किराए के भवन में किया जा सकता था मेडिकल कॉलेज आरंभ, मेडिकल कॉलेज में दाखिलों का अता पता नहीं!
(लिमटी खरे)
साढ़े चार साल का समय बीत चुका है और सिवनी में जिस मेडिकल कॉलेज की घोषणा 2018 के चुनावों की घोषणा के एन पूर्व तत्कालीन और वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा की गई थी, उसमें दाखिले (एडमीशन) अब तक आरंभ नहीं हो पाए हैं। मेडिकल कॉलेज के नाम पर सिर्फ और सिर्फ ईंट और गारे का भवन ही खड़ा हो रहा है।
यह बात जेहन में इसलिए आई क्योंकि 19 फरवरी को भोपाल में हुई शिवराज सिंह चौहान मंत्रीमण्डल की बैठक (कैबनेट) में सतना के नवीन शासकीय के संचालन हेतु शासकीय सेवा के नियमित स्थापना के 01 हजार 92 पद तथा आउटसोर्स सेवाओं के 497 पद इस प्रकार कुल 1 हजार 589 नवीन पदों की स्वीकृति प्रदान की है। सतना में शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय और अस्पताल के निर्माण से प्रदेश के छात्रों के लिये चिकित्सा क्षेत्र के स्नातक पाठ्यक्रम की अतिरिक्त 150 एम.बी.बी.एस.सीट्स उपलब्ध होगी। इसके साथ ही सतना जिले के साथ-साथ आस-पास की जनता को चिकित्सा सुविधायें उपलब्ध हो सकेगीं।
आपको यह याद दिला दें कि 2018 के विधानसभा चुनावों की घोषणा के ठीक पहले तत्कालीन और वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा 05 अक्टूबर 2018 को सिवनी में मेडिकल कॉलेज की घोषणा के साथ ही साथ शहर से सटे कंडीपार ग्राम में इसका भूमिपूजन भी कर दिया था। यह भूमिपूजन इसलिए भी चर्चित रहा था क्योंकि इसमें पूर्व मंत्री एवं वर्तमान सांसद डॉ. ढाल सिंह बिसेन, पूर्व सांसद और तत्कालीन विधायक श्रीमति नीता पटेरिया, पूर्व विधायक नरेश दिवाकर सहित भाजपा की अनेक हस्तियों ने इस भूमिपूजन कार्यक्रम का अघोषित विरोध करते हुए इस कार्यक्रम से दूरी बनाए रखी थी।
बहरहाल, 05 अक्टूबर को शिवराज सिंह चौहान ने सिवनी में मेडिकल कॉलेज भवन का भूमिपूजन किया था और इसके निर्माण के लिए 300 करोड़ रूपए की स्वीकृति भी प्रदाय की थी। उन्होंने उस वक्त अपने संबोधन में यह भी कहा था कि सिवनी में हर साल 150 विद्यार्थी चिकित्सक बनकर तैयार होंगे। मजे की बात तो यह है कि 2018 के बाद 2023 भी आ गया किन्तु सिवनी मेडिकल कॉलेज में एक भी विद्यार्थी का दाखिला अब तक नहीं हो पाया है।
चिकित्सा शिक्षा संचालनालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि सिवनी, छतरपुर एवं सतना में मेडिकल कॉलेज के भवन का निर्माण 2019 में आरंभ कराया गया था और इन भवनों को 2021 तक पूरा कर लिया जाना चाहिए था। विडम्बना ही कही जाएगी कि सतना को छोड़कर सिवनी और छतरपुर में अब तक मेडिकल कॉलेज के नाम पर ज्यादा कवायद होती नहीं दिख रही है।
सतना में बने मेडिकल कॉलेज के लिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस आयुर्विज्ञान महाविद्यालय से 17 चिकित्सकों का तबादला किया गया है ताकि सतना में मेडिकल कॉलेज अस्तित्व में आ सके। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के द्वारा 24 फरवरी को सतना मेडिकल कॉलेज का लोकार्पण किया जा सकता है।
बात की जाए सिवनी में बनने वाले मेडिकल कॉलेज की तो इस मेडिकल कॉलेज के डीन का प्रभार छिंदवाड़ा मेडीकल कॉलेज में तैनात रहे तत्कालीन डीन डॉ. स्व. टकी रजा को दिया गया था। उनके निधन के उपरांत सिवनी में मेडिकल कॉलेज के डीन का प्रभार किसके पास है इस कुहासे पर से सांसदों और विधायकों के द्वारा पर्दा हटाने का प्रयास नहीं किया गया है। सिवनी के मेडिकल कॉलेज के डीन का कार्यालय कहां है! यहां कितने अधिकारी, कर्मचारियों, चिकित्सकों की तैनाती है यह बात भी शायद ही कोई जानता हो!
2019 – 2020 के शैक्षणिक सत्र से हो सकते थे दाखिले!
जानकारों का कहना है कि सिवनी में आरंभ होने वाले मेडिकल कॉलेज में दाखिले 2019 से आरंभ होने वाले शैक्षणिक सत्र से करवाए जा सकते थे। अगर ऐसा किया जाता तो आज सिवनी में चिकित्सा की पढ़ाई करने वाले चिकित्सक चौथे साल की पढ़ाई कर रहे होते, पर विडम्बना ही कही जाएगी कि सिवनी में मेडिकल कॉलेज आरंभ करवाने के बजाए सिर्फ भवन बनाने पर ही जोर दिया गया है।
लोगों का कहना है कि सिवनी का पहला महाविद्यालय शिखरचंद जैन के नाम पर था जो जिला चिकित्सालय के सामने गोपाल साव पूरन साव परमार्थिक ट्रस्ट के भवन में लगता था। बाद में इसे नार्मल स्कूल की लाल बिल्डिंग में स्थानांतरित किया गया था। शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय का अपना भवन उसे दशकों बाद नसीब हो पाया है।
इसी तरह औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान की अगर बात की जाए तो यह सबसे पहले एसपी बंगले के सामने स्व. के.एल. राजपूत के निवास के पीछे सालों तक संचालित होता रहा है। इसको बरघाट रोड पर अपना भवन सालों बाद ही नसीब हुआ है।
इसके अलावा सिवनी में केंद्रीय विद्यालय सबसे पहले पुराने जेल भवन में संचालित किया जाता रहा है। केंद्रीय विद्यालय को भी अपना भवन सालों के बाद ही नसीब हो पाया है।
लोगों का कहना है कि इसी तर्ज पर सिवनी में रिक्त पड़े अनगिनत भवनों में से किसी भवन में मेडिकल कॉलेज को संचालित कर दिया जाता और इंदिरा गांधी जिला चिकित्सालय को इस मेडिकल कॉलेज से संबद्ध कर दिया जाता तो आज तीन साल का हो जाता मेडिकल कॉलेज . . ., पर लगता है कि घोषणा की पहली पंचवर्षीय में इसका भवन काफी हद तक बन पाया है। अब दूसरी पंचवर्षीय में यह पूरा हो सकता है और उसके बाद वाली पंचवर्षीय में यहां दाखिले अगर आरंभ करा दिए जाएं तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए . . .!