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वाह रे पाकिस्तान! दहशगर्दी के मुखिया को बता रहा था मासूम मौलवी? भारत ने कर दिया बेपर्दा- सामने आया आतंकी का चिट्ठा

पाकिस्तान अपने यहां पल रही दहशतगर्दी को किसी भी हद तक छुपाने की कोशिश में लगा रहता है. हालांकि वह लाख कोशिश कर ले लेकिन उसका काला चेहरा दुनिया के सामने आ जरूर जाता है. वह और उसकी सेना जिस आतंकी को मासूम मौलवी बताने में जुटी हुई थी, वह आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का प्रमुख चेहरा है और राहत कार्यों की आड़ में आतंक को पाल-पोस रहा है. दरअसल हम आतंकी हाफिज अब्दुर रऊफ की बात कर रहे हैं.

पाकिस्तान की सेना के प्रवक्ता ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि वायरल तस्वीर में दिख रहा युवक कोई आतंकी नहीं बल्कि एक मासूम परिवार वाला और धर्मगुरु है. ये युवक कुछ पाकिस्तानी सैनिकों के साथ एक जनाजे में दिखाई दे रहा है. उन्होंने इस व्यक्ति का ID कार्ड भी दिखाया और कहा कि यह एक साधारण राजनीतिक कार्यकर्ता है.

नेशनल ID नंबर खा रहा आतंकी पहचान से मेल

पाकिस्तान की सेना के दावे के बाद जांच में सामने आया कि जिस व्यक्ति की पहचान पाकिस्तान की सेना ने बताई है, उसकी सभी जानकारी नाम यानी जन्मतिथि और यहां तक कि नेशनल ID नंबर पूरी तरह से मेल खाती है उस व्यक्ति से, जिसे अमेरिका ने विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी घोषित किया है. उसका नाम हाफिज अब्दुर रऊफ है.

अमेरिकी ट्रेजरी डिपार्टमेंट के मुताबिक, हाफिज अब्दुर रऊफ लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और उसके फ्रंट संगठनों के लिए चंदा इकट्ठा करता रहा है. जो ID कार्ड पाकिस्तान की सेना के प्रवक्ता ने दिखाया, उस पर लिखा है कि वह “वेलफेयर विंग इंचार्ज, पीएमएमएल (PMML)” है, यानी वह अपनी गतिविधियों को छिपाने के लिए एक राजनीतिक या धार्मिक संगठन के नाम का इस्तेमाल कर रहा है. पाकिस्तानी सेना ने जिस व्यक्ति को धार्मिक प्रचारक बताया, वह वास्तव में एक अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी है. इससे यह साफ होता है कि पाकिस्तान जानबूझकर आतंकियों को संरक्षण दे रहा है और दुनिया की आंखों में धूल झोंकने की कोशिश कर रहा है.

1999 से लश्कर के लिए कर रहा काम

US डिपार्टमेंट ऑफ ट्रेजरी के मुताबिक, आतंकी हाफिज अब्दुर रऊफ आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का प्रमुख चेहरा है और राहत कार्यों की आड़ में आतंक का एजेंडा है. लश्कर-ए-तैयबा की शीर्ष नेतृत्व टीम में शामिल हाफिज अब्दुर रऊफ साल 1999 से संगठन के लिए काम कर रहा है. रऊफ, लश्कर के फ्रंट संगठन फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (FIF) का मुखिया है, जो राहत कार्यों की आड़ में आतंकी गतिविधियों के लिए फंड इकट्ठा करता है.

2008 में मुंबई हमलों के बाद जब लश्कर पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ा, तब रऊफ ने FIF के बैनर तले पाकिस्तान में चंदा इकट्ठा करने का कार्यक्रम आयोजित किया. बताया जाता है कि 2009 में इस कार्यक्रम से भारी मात्रा में फंड इकट्ठा किया गया. रऊफ सीधे तौर पर लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दावा के प्रमुख हाफिज मोहम्मद सईद के निर्देशों पर काम करता है.

रऊफ लश्कर का प्रवक्ता भी रहा

साल 2008 में रऊफ को लश्कर का डायरेक्टर ऑफ ह्यूमैनिटेरियन रिलीफ नियुक्त किया गया था, जबकि 2003 में वह डायरेक्टर ऑफ पब्लिक सर्विस था. अगस्त 2008 में हाफिज सईद के कहने पर रऊफ ने पाकिस्तान के बाजौर क्षेत्र में राहत और फंडरेजिंग गतिविधियों की समीक्षा के लिए एक टीम का नेतृत्व किया.

इतना ही नहीं, रऊफ लश्कर का प्रवक्ता भी रहा है. वह मीडिया, वेबसाइट और सार्वजनिक मंचों पर संगठन की ओर से बोलता रहा है. FIF के जरिए वह हाई-प्रोफाइल मीडिया कार्यक्रमों का आयोजन करता है ताकि लश्कर को जनसमर्थन और फंडिंग मिल सके. दिसंबर 2008 में लश्कर की वेबसाइट पर दिए एक इंटरव्यू में रऊफ ने खुले तौर पर लश्कर और जमात-उद-दावा की कल्याणकारी गतिविधियों की जानकारी दी और उसे अपना संगठन बताया.

इदारा-ए-खिदमत-ए-खल्क को लीड किया

हाफिज रऊफ ने लश्कर के चैरिटेबल विंग “इदारा-ए-खिदमत-ए-खल्क” यानी IKK का नेतृत्व भी किया है. साल 2007 में वह पेशावर गया था, जहां उसने बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत कार्यों की निगरानी की. मई 2004 में उसने बतौर जमात-उद-दावा के कल्याण प्रमुख, एक मेडिकल संस्था की सालाना रिपोर्ट भी पेश की थी. IKK और JUD को अप्रैल 2006 में अमेरिका द्वारा आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के मुखौटे के रूप में चिन्हित किया गया था. हाफिज सईद को मई 2008 में Specially Designated Global Terrorist (SDGT) घोषित किया गया और दिसंबर 2008 में उसे और जमात-उद-दावा को संयुक्त राष्ट्र 1267 प्रतिबंध सूची में शामिल कर दिया गया. हाफिज अब्दुर रऊफ पर लगने वाले आरोप एक बार फिर बताते हैं कि कैसे आतंकी संगठन, राहत और सेवा के नाम पर आतंक का जाल फैलाते हैं.

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