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कोरोना वायरस: CJI बोबड़े ने लिया सुप्रीम कोर्ट में तैयारियों का जायजा लिया

नई दिल्लीः देश के मुख्यन्यायाधीश एस ए बोबडे और सुप्रीम कोर्ट के तीन अन्य न्यायाधीशों ने कोरोना वायरस से खतरे के मद्देनजर शीर्ष न्यायालय में अपनाये गए सुरक्षा उपायों तथा तैयारियों का मंगलवार को जायजा लिया। सीजेआई के साथ जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशन कौल और न्यायायमूर्ति एल नागेश्वर राव ने अधिक भीड़ लगने की समस्या और अन्य तैयारियों के बारे में शीर्ष न्यायालय के कॉरीडोर में अधिवक्ताओं से बात की।

न्यायाधीशों ने सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता, पूर्व अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी, पूर्व अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल मनिंदर सिंह के साथ बातचीत की और कॉरीडोर में अधिक भीड़ लगने की समस्या पर चर्चा की। उन्होंने न्यायालय परिसर में तैयारियों और प्रशासन द्वारा प्रवेश पर पाबंदी लगाये जाने से अधिवक्ताओं के समक्ष आ रही समस्याओं पर भी चर्चा की।

रोहतगी ने अदालत-3 के बाहर वकीलों के जमावड़े को दिखाया। वे लोग मध्य प्रदेश में जारी राजनीतिक संकट को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई का इंतजार कर रहे थे। उन्होंने न्यायाधीशों को सुझाव दिया कि शीर्ष न्यायालय कॉरीडोर में अधिक भीड़ लगने को टालने के लिए यह उपयुक्त होगा कि सिर्फ अत्यावश्यक विषयों की सुनवाई की जाए, जैसा कि अवकाश पीठों द्वारा की जाती है।
मध्य प्रदेश मामले में सुनवाई के दौरान मंगलवार को जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि उम्मीद है कि मीडियाकर्मियों को प्रतिबंधित नहीं किया जा रहा है क्योंकि मामला सार्वजनिक महत्व का है। पीठ के सदस्यों में जस्टिस हेमंत गुप्ता भी शामिल हैं। मेहता ने पीठ से कहा कि प्रशासन द्वारा लगाई गई मौजूदा पाबंदियों के चलते अदालत कक्ष में सिर्फ सीमित संख्या में मीडिया कर्मियों के रहने की इजाजत है।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि ये असाधारण हालात हैं और लोगों को सहयोग करना चाहिए। इस विषय में रोहतगी ने भी पेश होते हुए कहा कि मौजूदा परिदृश्य में ज्यादा पीठों को सुनवाई नहीं करनी चाहिए और यह उपयुक्त होगा कि अत्यावश्यक मामलों को सुनने के लिए सिर्फ दो अदालतें काम करें। पूर्व अटार्नी जनरल ने कहा कि उन्होंने सीजेआई को यहां तक सुझाव दिया है कि अदालतें बंद कर दी जानी चाहिए।

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