सिवनी पुलिस सफेद पाउडर के नेटवर्क को क्यों नहीं भेद पा रही?

जिले  में नशे का अवैध कारोबार तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन पुलिस अभी तक सफेद पाउडर (हेरोइन, कोकीन, एमडी ड्रग्स) के इस नेटवर्क को पूरी तरह ध्वस्त करने में नाकाम साबित हो रही है। शहर और ग्रामीण इलाकों में नशे का जाल फैलता जा रहा है, जिससे युवाओं का भविष्य अंधकार में डूबता नजर आ रहा है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि आखिर सिवनी पुलिस इस नेटवर्क को क्यों नहीं भेद पा रही?  सिवनी में नशे के सौदागर एक संगठित गिरोह की तरह काम कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, यह नेटवर्क कई परतों में बंटा हुआ है, जहां मुख्य सरगना कभी भी सामने नहीं आता। छोटी मछलियों को पकडऩे के बाद भी पुलिस अब तक उन असली मास्टरमाइंड तक नहीं पहुंच सकी है, जो इस पूरे धंधे को चला रहे हैं।
राष्ट्र चंडिका न्यूज़,सिवनी, जिले में नशे का अवैध कारोबार लगातार बढ़ता जा रहा है, लेकिन सिवनी पुलिस अब तक सफेद पाउडर (हेरोइन, कोकीन आदि) के तस्करी नेटवर्क को पूरी तरह ध्वस्त करने में नाकाम रही है। शहर और आसपास के इलाकों में यह जहर तेजी से फैल रहा है, जिससे युवा पीढ़ी नशे की चपेट में आ रही है।
गुप्त और संगठित नेटवर्क बना चुनौती -सूत्रों के मुताबिक, नशे के सौदागर एक मजबूत और गुप्त नेटवर्क के जरिए सफेद पाउडर की तस्करी कर रहे हैं। बड़े तस्कर खुद को सामने लाने के बजाय स्थानीय डीलरों और पेडलर्स के जरिए माल सप्लाई करवा रहे हैं, जिससे पुलिस को असली सरगनाओं तक पहुंचने में दिक्कत हो रही है।
पुलिस कार्रवाई में खामियां – पिछले कुछ महीनों में पुलिस ने कई छोटी-मोटी गिरफ्तारियां की हैं, लेकिन इससे पूरे नेटवर्क पर कोई असर नहीं पड़ा है। ऐसा माना जा रहा है कि या तो पुलिस के पास पुख्ता खुफिया जानकारी की कमी है या फिर कार्रवाई करने में देरी की जा रही है, जिससे तस्करों को समय रहते सतर्क होने का मौका मिल जाता है।
ड्रग माफिया अब डिजिटल तकनीकों और गुप्त कोड का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे उनके नेटवर्क को ट्रेस करना मुश्किल हो गया है। पुलिस के पास इन आधुनिक तरीकों से निपटने के लिए जरूरी तकनीकी संसाधन और विशेषज्ञता की कमी है, जिससे तस्कर पुलिस से दो कदम आगे बने रहते हैं।
स्थानीय संलिप्तता और राजनीतिक दबाव?
कुछ लोगों का मानना है कि इस अवैध धंधे में कुछ प्रभावशाली स्थानीय लोग भी शामिल हो सकते हैं, जो पुलिस की जांच को प्रभावित कर रहे हैं। साथ ही, कानूनी प्रक्रियाओं में देरी और तस्करों को जल्द ही जमानत मिल जाना भी पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती बन रहा है।
कुछ मामलों में स्थानीय प्रभावशाली लोगों के इस कारोबार से जुड़े होने की भी चर्चाएं हैं। ऐसे में पुलिस पर दबाव रहता है कि वह किसी बड़े नाम पर हाथ न डाले। वहीं, कई बार नशे के सौदागर कानून के पेचीदगियों का फायदा उठाकर जमानत पर छूट जाते हैं और फिर से अपने धंधे में लग जाते हैं।
जनता का डर और सहयोग की कमी
नशे के खिलाफ पुलिस का अभियान तब तक सफल नहीं हो सकता जब तक कि स्थानीय लोग इसमें खुलकर सहयोग न करें। लेकिन डर या दबाव के कारण लोग पुलिस को सही सूचनाएं नहीं दे पा रहे हैं, जिससे यह नेटवर्क मजबूत बना हुआ है।
पुलिस की नई रणनीति – पुलिस अधिकारियों का कहना है कि अब खुफिया तंत्र को मजबूत किया जा रहा है और बड़े तस्करों तक पहुंचने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा। स्थानीय लोगों को भी जागरूक किया जाएगा ताकि वे नशे के कारोबार की सूचना पुलिस को दे सकें।
क्या पुलिस इस बार सफल होगी?
अब देखने वाली बात यह होगी कि सिवनी पुलिस इस बार सफेद पाउडर के नेटवर्क को पूरी तरह भेदकर इसे खत्म कर पाएगी या नहीं। अगर जल्द ही ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो जिले में नशे की समस्या और भी गंभीर हो सकती है। अब सिवनी पुलिस इस नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए नई रणनीति तैयार कर रही है। खुफिया जानकारी इक_ा करने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, और बड़े तस्करों तक पहुंचने के लिए विशेष अभियान चलाने की योजना बनाई जा रही है। इसके अलावा, जागरूकता अभियानों के जरिए लोगों को भी नशे के खिलाफ लड़ाई में शामिल करने पर जोर दिया जाएगा।  सिवनी में नशे के इस काले कारोबार को खत्म करने के लिए पुलिस को और सख्त कदम उठाने होंगे। जब तक मुख्य सरगनाओं तक नहीं पहुंचा जाता और स्थानीय लोगों का पूरा सहयोग नहीं मिलता, तब तक इस नेटवर्क को तोड़ पाना आसान नहीं होगा। पुलिस के लिए यह समय चुनौतीपूर्ण है, लेकिन अगर सही रणनीति अपनाई जाए, तो जल्द ही सिवनी को नशे के जाल से मुक्त किया जा सकता है।

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