कानपुर में भी लखनऊ की तरह हुई थी ‘डकैती’, मैनेजर ने ही तुड़वा दिए थे बैंक लॉकर; 11 ग्राहकों को लौटाने पड़े थे 2.64 करोड़

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में इंडियन ओवरसीज बैंक की दीवार काटकर चोरों ने 42 लॉकर्स से नगदी और जेवरात चोरी कर लिए हैं. इस मामले में पुलिस ने एनकाउंटर के बाद तीन आरोपियों को गिरफ्तार भी कर लिया है. यह घटना कानपुर की एक ऐसी ही वारदात की याद दिलाती है, जो दो साल पहले हुई थी, जब ग्राहकों को मुआवजा दिया गया था.

2022 में कानपुर के सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की कराचीखाना शाखा में कई लॉकर्स से करोड़ों रुपए के जेवरात और नकदी चोरी हो गए थे. इस मामले में बैंक के कर्मचारियों पर आरोप लगाए गए थे. पुलिस ने जांच के दौरान ब्रांच मैनेजर और लॉकर तोड़ने वाले शख्स सहित छह लोगों को गिरफ्तार किया था. गिरफ्तारी के बाद बैंक मैनेजर राम प्रसाद ने पूरी घटना को पुलिस के सामने स्वीकार किया था.

बैंक ने ग्राहकों को 75 प्रतिशत दिया था मुआवजा

बैंक प्रशासन ने बताया कि ग्राहकों ने कुल 3.71 करोड़ रुपए का क्लेम मांगा था, जिसमें से 75 प्रतिशत मुआवजा दे दिया गया. इस घटना के बाद बैंक ने भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए नए उपायों की घोषणा की. अब रीजनल ऑफिसर की देख-रेख में लॉकर खोले जाएंगे.

मुआवजा प्राप्त करने वाले ग्राहकों में सीता गुप्ता को 17.5 लाख, मंजू भट्टाचार्य को 25 लाख, शकुंतला देवी को 25 लाख, पंकज गुप्ता को 25 लाख, मीना यादव को 50 लाख, निर्मला तहिलियानी को 25 लाख, वैभव माहेश्वरी को 20 लाख, महेंद्र सविता को 2 लाख, सुशीला देवी को 25 लाख, राजा बेटी गुप्ता को 25 लाख और अमिता गुप्ता को 25 लाख रुपए का मुआवजा दिया गया था.

बदले नियम, अब 100 गुना मिलता है मुआवजा

दरअसल, 1 जनवरी 2022 से बैंक लॉकर के नियम बदल गए थे. नए नियमों के अनुसार, अब बैंक यह नहीं कह सकते कि लॉकर में रखे सामान की जिम्मेदारी उनकी नहीं है. चोरी, धोखाधड़ी, आग या भवन ढह जाने की स्थिति में बैंकों की जिम्मेदारी लॉकर के वार्षिक किराए का 100 गुना तक होगी. इस बदलाव के बाद ग्राहकों को मुआवजे की अधिक राशि मिल सकती है.

लॉकर से जुड़ी अहम बातें

जानकारों के अनुसार, ग्राहकों को अपने लॉकर की वस्तुओं की लिस्ट जरूर बनानी चाहिए. समय पर लॉकर फीस का भुगतान करते रहना चाहिए, क्योंकि यदि ग्राहक तीन साल तक फीस नहीं भरता है तो बैंक उसका लॉकर तोड़ सकता है. इसके अलावा, लॉकर धारकों को साल में कम से कम एक बार अपने लॉकर की जांच करनी चाहिए. लॉकर की जानकारी और बैंक के एग्रीमेंट की कॉपी अपने पास रखनी चाहिए.

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