राष्ट्र चंडिका न्यूज़,मनुष्य स्वाभाव के हीन व्यक्तियेां को उत्तेजना देकर, हिंसा द्वेश फैलाकर, बडों की निंदाकर, लोगों की घरेलू बातो पर कुत्सित टीका टिप्पणी कर, अमोद प्रमोद का अभाव, अश्लीलता से पूर्ण करने की चेेष्टा कर तथा ऐसे ही अन्य उपायों से समाचार पत्रों की बिक्री और चैनलों का क्रेज तो बढाया जा सकता है। महामूर्ख धनी की प्रसशा की पुल बांध कर तथा स्वार्थ विशेष के लोगो के हित चिंतक बनकर भी रूपया कमाया जा सकता है।
देश भक्त बनकर भी स्वार्थ सिद्धि की जा सकती है। लेेकिन सब कुछ अगर पत्रकारिता के आड मे हो तो कितना शर्मनाक है। सिवनी क्षेत्र में कुकुरमुत्तों की तरह फैले तथाकथित, पत्रकार, पत्रकार शब्द के गौरव को नष्ट करने के लगे हुये है। क्षेत्र मे दर्जनों ऐसी गाडियाँ है जिनमें प्रेस अथवा पत्रकार लिखा हुआ है। वास्तविकता यह है। कि ऐसे लोग न किसी समाचार पत्र से जुडे हुये है। और न ही व पत्रकार है न उनका अकबार क्षेत्र में आता हैै।
दलाली में जुटे तथाकथित पत्रकारों ने कर्मठ और निष्ठावान पत्रकारों को बदनाम करने की ठान ली है। कहीं लकडी कटान से अवैध वसूली तो कही लोगों को गुमराह कर दलाली से क्षेत्र के लोग देखकर हैरान है। कुछ तथाकतिथ ऐसे भी पत्रकार पनप चुके है। जिले भर में सहकारी समितियों द्वारा इन दिनों धान खरीदी का काम किया जा रहा है जिसमें भारी मात्रा में किसानों के धान की तुलाई कराकर शासन के खाते में खरीदी हो रही है मगर खरीदी केंद्रों में किसान को शासन को नुकसान पहुंचाने के तमाम जतन किए जाते हैं जिससे समितियों के मुखियाओं और आकाओं का पेट भरा जा सके जिसके कारण प्रत्येक खरीदी केंद्रों में किसानों के साथ लूट मची हुई है कही अधिक मात्रा में धान की तुलाई कराकर किसान को चुना लगाया जा रहा है तो कही प्रति बोरी तौलाई के नाम पर किसानों से 5 रुपए की राशि ली जा रही है जो जुडक़र लाखों रुपए तक पहुंचती है और फिर इससे सहकारी समितियों के कर्मचारी तथाकथित पत्रकार के भरण पोषण में उपयोग की जाती है .
जिले में ऐसे ही तथाकथित पत्रकार (यूट्यूबर कथित पत्रकार बनकर) इन दिनों समितियों में अपना भौकाल दिखाते हुए किसानों से लूटी गई राशि को प्राप्त करने के लिए काम में जुटे हुए हैं। जो पहले तो समितियों को अपना संरक्षण देकर उन्हें किसानों को लूटने के लिए उकसाते हैं फिर उसमें अपना मैनेजमेंट बनाकर चल देते हैं.
दरअसल जिले भर में हो रही धान खरीदी इन दिनों छोटे मोटे तथाकथित पत्रकार के लिए वरदान बनी हुई है जहां प्रत्येक खरीदी केंद्रों में जाकर यह लोग अपना धौंस जमाते हुए खरीदी प्रभारियों से पैसे की मांग करते हैं जिसमें कई जगह तो इन्हें रुपयों के बंडल से नवाजा भी जाता है मगर कई स्थान ऐसे भी है जहां के कर्मचारी अकेले ही मलाई चट करने की फिराक में रहते हैं और ऐसे स्थानों से इन्हें खाली हाथों ही लौटना पड़ता है।
बताया जा रहा है कि इस तरह के धौंस बाज लोग खरीदी केंद्रों में जाकर 500 रूपये से लेकर 1500 रूपये तक के मैनेजमेंट की बात करते हैं तथा जहां इनकी दाल गली और जेब में 500 रुपए आए तो फिर यह किसानों के दुख दर्द को भूलकर बाहर निकल जाते हैं ऐसे में अगर कोई किसान इन लोगों से अपनी समस्याएं बताता है तो उसकी परेशानी और ज्यादा बढ़ जाती है जिससे फिर वह किसान अन्य अच्छे लोगों को भी उसी लिस्ट में रखकर अपनी समस्याएं बताने से कतराता रहता है जिससे पुन: उसके साथ भारी भरकम लुट की जाती है।
जानकारी के अनुसार अभी हाल ही में एक खरीदी केंद्र में पहुंचे कुछ तथाकथित पत्रकार (यूट्यूबरों कथित पत्रकारों) कुछ ऐसे वीडियो समिति के खरीदी केंद्रों के प्रबंधकों के द्वारा आपस में पर्सनल व्हाट्सएप में आदान प्रदान किए जा रहे हैं.
आपको बता दें सहकारी समितियों में इन दिनों व्यापक पैमाने में लूट मची हुई है जहां किसानों से धान खरीदी केंद्र में पैसे का लेनदेन किया जाता है तथा उनसे नियम के विपरीत अधिक मात्रा में धान भी ले लिया जाता है मगर जिम्मेदार इस पर कोई कार्यवाही नहीं कर पाते जिससे ऐसे धौंस बाज लोगों का दबदबा कायम हो रहा है।