मध्य प्रदेश में गुना के बहुचर्चित नाबालिग लड़की के अपहरण की जांच अब सीबीआई करेगी. ग्वालियर हाईकोर्ट ने यह आदेश लड़की के पिता की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर दिया है. पिछले 7 सालों से यह मामला हाईकोर्ट में लंबित है. ग्वालियर हाईकोर्ट ने माना है कि पुलिस की जांच में गंभीर खामियां हैं, जिसके चलते एक नाबालिग लड़की का अब तक कोई पता नहीं चल सका है.
ग्वालियर हाईकोर्ट ने आदेश दिए हैं कि गुना पुलिस दो सप्ताह के भीतर इस केस से जुड़े सभी दस्तावेज, नार्को पॉलीग्राफ टेस्ट की रिपोर्ट सीबीआई के सुपुर्द करे. साथ ही सीबीआई जल्द से जल्द इस मामले की जांच कर लड़की का पता लगाए. जांच के दौरान जो भी दोषी पाया जाए उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए. अगर पुलिस की ओर से लापरवाही बरतने की बात सामने आती है, तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जाए.
थाना प्रभारी की भूमिका पर गंभीर सवाल
ग्वालियर हाईकोर्ट ने गुना के आरोन थाना प्रभारी रहे अभय प्रताप सिंह की भूमिका पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं. क्योंकि लड़की के पिता गजेंद्र सिंह चंदेल के नार्को और पॉलीग्राफ टेस्ट में तत्कालीन थाना प्रभारी अभय प्रताप सिंह की जानकारी में लड़की का होना बताया गया था. इस मामले में अपहरण के आरोपी बने जितेंद्र प्रजापति को मुख्य मास्टर माइंड बताया गया था. पुलिस ने इस संवेदनशील मामले में किस तरह की जांच की है, यह इसी से पता चलता है कि लड़की के अपहरण के प्रत्यक्ष दर्शियों के बयान अधीनस्थ न्यायालय में पेश नहीं किए गए. जबकि हाईकोर्ट में इन बयानों को अभियोजन की ओर से दिखाया गया था.
साल 2017 में गायब हुई थी लड़की
साल 2017 में जब यह नाबालिग लड़की आरोन इलाके से गायब हुई थी. तब उसकी उम्र 16 साल थी. लड़की अपने अपहरण के बाद कहां चली गई इसे लेकर पुलिस की जांच की प्रगति जीरो रही. कोर्ट ने पुलिस द्वारा बताए गए मुख्य आरोपी जितेंद्र को भी सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है. जितेंद्र ने यह तो माना कि उसकी लड़की से मुलाकात थी, लेकिन लड़की कहां है इसके बारे में उसे कोई जानकारी नहीं है. यह बात जितेंद्र के नार्को टेस्ट में भी सामने आई थी.
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