उत्तर प्रदेश की योगी सरकार मंगलवार को अनुपूरक बजट पेश करेगी. विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन करीब 14 हजार करोड़ रुपये का बजट यूपी सरकार रख सकती है. अनुपूरक बजट में मुख्य फोकस महाकुंभ से जुड़ी मूलभूत सुविधाओं, नगर विकास की योजनाओं और बुनियादी ढांचे के विकास पर रह सकता है. योगी सरकार दिव्य और भव्य महाकुंभ कराने में जुटी है, जिसके लिए कोई भी कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहती. योगी सरकार महाकुंभ के लिए विशेष पैकेज दे सकती है, लेकिन सवाल यह है कि आखिर योगी सरकार को अनुपूरक बजट की जरूरत क्यों पड़ गई?
योगी सरकार ने वर्ष 2024-25 के लिए फरवरी में करीब 7.36 लाख करोड़ रुपये का मूल बजट पेश किया था. इसके बाद योगी सरकार ने 30 जुलाई को मानसून सत्र में 12,909 करोड़ का अनुपूरक बजट पेश किया था और अब दूसरा अनुपूरक बजट शीतकालीन सत्र में ला रही है. इस बार अनुपूरक बजट पूरी तरह महाकुंभ पर केंद्रित रहने वाला है, क्योंकि 13 जनवरी से महाकुंभ शुरू हो रहा है.
अनुपूरक बजट की क्यों पड़ी जरूरत?
अनुपूरक बजट कोई भी सरकार तब पेश करती है जब उसे अपने पहले से स्वीकृत बजट में अतिरिक्त खर्च की आवश्यकता होती है. यह बजट उन खर्चों को शामिल करने के लिए भी पेश किया जाता है, जिसे अनुमानित बजट में शामिल नहीं किया गया था या नई योजनाओं या नीतियों के कारण जरूरी हो गया है. अनुपूरक बजट वित्त वर्ष के बीच में किसी विभाग या मंत्रालय की किसी योजना में अतिरिक्त राशि खर्च करने के लिए लाया जाता है. यह खर्च के अनुमान के साथ पेश किया जाता है.
दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक समागमों में से एक महाकुम्भ 2025 के लिए उत्तर प्रदेश सरकार जमकर तैयारियों में लगी हुई है. महाकुंभ से जुड़ी मूलभूत सुविधाओं के लिए कोई भी कमी नहीं रखना चाहती है. महाकुंभ के दौरान कराए जाने वाले विकास कार्यों के साथ ग्रेटर नोएडा में बन रहे जेवर एयरपोर्ट के लिए अतरिक्त धन की जरूरत है. इसके अलावा भी कई योजनाएं और विकास कार्य के लिए बजट की जरूरत है. इसीलिए योगी सरकार अनुपूरक बजट ला रही है ताकि धन की कमी न रह सके.
बजट के प्रस्ताव को दी जाएगी मंजूरी
अनुपूरक बजट में प्रयागराज महाकुंभ के लिए अतिरिक्त धनराशि मिलने की उम्मीद है. मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में अनुपूरक बजट के प्रस्ताव को मंजूरी दी जाएगी. बाद में इसे विधानसभा में पेश किया जाएगा. योगी सरकार ने प्रयागराज महाकुंभ के आयोजन के लिए मेला क्षेत्र को नया जिला घोषित किया था. बीते दिनों महाकुंभ मेला नाम से नए जिले की अधिसूचना जारी करते हुए बताया गया था कि महाकुंभ मेला जिले में वह सभी प्रक्रियाएं अपनाई जाएंगी, जो किसी दूसरे जिले के संचालन के लिए जरूरी होती हैं. इसके लिए बजट की जरूरत भी पड़ रही है, जिसे अनुपूरक बजट के जरिए सरकार पूरा करेगी.
फरवरी 2023 में योगी सरकार ने बताया था कि कुंभमेले के लिए उन्होंने जो बजट पेश किया है, वह 2500 करोड़ रुपये का था. इससे पहले वित्त वर्ष 2022-23 में कुंभ मेले के लिए 621.55 करोड़ रुपये का बजट पेश किया गया था. सूबे की सरकार ने 15 से ज्यादा विभागों को तैयारी के प्रोजेक्ट्स की जिम्मेदारी सौंपी है. तैयारी में 500 से ज्यादा प्रोजेक्ट्स पूरा करने का टारगेट रखा गया था.
महाकुंभ के लिए UP सरकार ने खोला खजाना
उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग के मुताबिक, संगन के किनारे 4,000 हेक्टेयर में हो रहे महाकुंभ में करीब 40-45 करोड़ लोगों के शामिल होने की उम्मीद है. इस आयोजन का अनुमानित बजट करीब 6,382 करोड़ रुपये का है, जिसमें से 5,600 करोड़ रुपये से ज्यादा पहले ही आयोजन और संबंधित परियोजनाओं के लिए जा चुके हैं. सपा सरकार के शासनकाल में 2012 में हुए कार्यक्रम बजट 1,152 करोड़ रुपये था, लेकिन करीब 12 करोड़ खर्च हुए थे. महाकुंभ के लिए जोरदार तैयारी के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अपना खजाना खोल रखा है, जिसके लिए भी अनुपूरक बजट पेश कर रही है.
कुंभमेले के अलावा फोकस नगर विकास की योजनाओं, बुनियादी ढांचे का विकास, औद्योगिक विकास, स्वास्थ्य और परिवहन रहेगा. जेवर एयरपोर्ट के लिए धन का आवंटन किया जा सकता है. इसके अलावा गंगा एक्सप्रेस-वे का कार्य तेजी से चल रहा है, जिसके लिए भी अतिरिक्त धन की जरूरत है ताकि समय से प्रोजेक्ट को पूरा किया जा सके. इसीलिए योगी सरकार अनुपूरक बजट ला रही, जिसे पहले कैबिनेट से मंजूरी दी जाएगी और उसके बाद सदन में पेश किया जाएगा.
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