हिंदू धर्म में मासिक शिवरात्रि का विशेष महत्व है. हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि होती है. ये दिन महादेव को समर्पित है. इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा का विधान है. साथ ही मासिक शिवरात्रि का व्रत भी किया जाता है. मासिक शिवरात्रि पर जो भी पूजन और व्रत करता है उसको मनोवांछित फल मिलते हैं. मासिक शिवरात्रि पर भगवान शिव का जलाभिषेक भी किया जाता है. हिंदू धर्म शास्त्रों में मासिक शिवरात्रि पर भगवान के जलाभिषेक की विधि बताई गई है. उसी के अनुसार इस दिन भगवान शिव का जलाभिषेक करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं.
कब है साल की आखिरी मासिक शिवरात्रि?
वैदिक पंचांग के अनुसार, पौष माह में मासिक शिवरात्रि 29 दिसंबर को मनाई जाएगी. 29 दिसंबर को ये तिथि देर रात 3 बजकर 32 मिनट पर शुरू होगी. वहीं 30 दिसंबर को सुबह 4 बजकर 1 मिनट पर इस तिथि का समापन हो जाएगा.
मासिक शिवरात्रि पर जलाभिषेक की विधि
- मासिक शिवरात्रि पर सुबह उठकर स्नान करके साफ वस्त्र पहनने चाहिए.
- पूजा के स्थान को साफ करके वहां शिवलिंग की स्थापना करनी चाहिए.
- गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी आदि से भगवान शिव अभिषेक करना चाहिए.
- बेलपत्र और समी के पत्तों को भगवान शिव को चढ़ाना चाहिए.
- भगवान शिव को धूप-दीप जलाया जाना चाहिए.
- भगवान शिव को सफेद मिठाई का भोग लागाना चाहिए
- पूजा के दौरान ‘ॐ नमः शिवाय’, ‘ॐ महादेवाय नमः’ के मंत्रों को जपना चाहिए.
- भगवान शिव की आरती करनी चाहिए.
मासिक शिवरात्रि का महत्व
हिंदू धर्म में मासिक शिवरात्रि बेहद अहम मानी गई है. हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगावान शिव और माता पार्वती का पूजन करने वाले के जीवन और परिवार में खुशियों का आगमन होता है. अगर किसी के विवाह में रुकावट आ रही है, तो वो दूर हो जाती है. इसके अलावा इस दिन शिवलिंग का रुद्राभिषेक और जलाभिषेक करने से कुंडली में च्रंदमा से संबंधित जो परेशानियां हैं वो भी खत्म हो जाती हैं.
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