चार शहरों में बनेंगे नए न्यूक्लियर पावर प्लांट, जल्द होगा सर्वे

राष्ट्र चंडिका न्यूज,सिवनी , प्रदेश के सिवनी सहित 4 जिलों का हुआ चयन सिवनी जिले में बिन्दरई गांव में न्यूक्लियर पॉव प्लांट को मंजूरी मिली है। चंसार से यह 15 किमी और चरगी डैम 2 किमी दूर है। 5 किमी के रेंज में बड़ी जनसंख्या वाला को कस्वा नहीं है। यहां साल्ट रॉक (ठोस पत्थर) मौजूद है। जिले के लिहाज सेबड़ी खबर है। भारत सरकार की यूक्लियर पावर कॉपोर्रेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल) सिवनी जिले सहित प्रदेश में चार नए न्यूक्लियर प्रोजेक्ट लगाने कोतयार है। इसके लिए कंपनी ने मंजरी भी दे दी है। कंपनी ने सिवनी के किन्दरई, नीमच जिले के बासी, देवास के बावड़ी खेड़ा, शिवपुरी के खाकरोन में जगह देख ली है। इन प्रोजेक्ट के लिए कंपनी जल्द ही सर्वे शुरू करेगी। इस सर्वे को लेकर कद्रीय ऊर्जा सचिव बैठक भी करेंगे। इसी बैठक में इस सर्वे को जल्द मंजूरी मिल सकती है। गौरतलब है कि, यूक्लियर पावर कॉपोर्रेशन ऑफ हडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल) आने वाले कुछ ही दिनों में इन चारों प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर सकती है. भारत सरकार के एनटीपीसी ने मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव को इसकी जानकारी दे दी है. महाप्रबंधक (न्यूक्लियर इंजीनियरिंग) एपी सामल को इसका समन्वय देखने के लिए कहा गया है. इधर, ऊर्जा विभाग ने चारों जिलों के कलेक्टरों को भी इसकी जानकारी दे दी है. कलेक्टरों से कहा गया है कि सर्वे के काम में पूरा सहयोग करें। इस सर्वे में यह देखा जाएगा कि ये जगह और बाकी चीजे आदमिक एनर्जी रेग्युलेटरी बोर्ड के मापदंडों पर खरा उतर रही हैं कि नहीं, इसमें देखा जाएगा कि जमीन के नीचे कोई फॉल्ट तो नहीं, यहां कोई भूकंप जैसी परिस्थिति तो नहीं बनती. आसपास ज्यादा जनसंख्या न हो. डेम या रिजर्व वॉयर है. मिट्टी कैसी है. वाढ़ या लैंड स्लाइड तो नहीं होता. एक्सपर्ट का कहना है. नही कालहाल तो चारों साइट तर “बिंदुओं को पूरा करती दिखाई दे रही हैं. चारों जिलों में लग रहे इन प्रोजेक्ट में 1200 मैगावाट की दो यूनिट स्थापित की जाएंगी. इसके लिए एक हजार से लेकर दो हजार एकड़ जमीन की जरूरत होगी सर्वे के दौरान इन बिंदुओंपर जांच की जाएगीःडेम या रिजर्व वायर है। मिट्टी कैसी है (सोइल स्ट्रेटा)। आसपास जनसंख्या ज्यादा तो नहीं है। जमीन के नीचे कोई फॉल्ट या भूकंप जैसी परिस्थितियां भविष्य में तो नहीं बनेंगी। बाढ़ या भूस्खलन जैसी स्थिति तो नहीं है।
इन स्थानों का चयन इस कारण से किया गया है कि ये जगहें बड़ी आबादी से दूर हैं, जिससे किसी भी जनसंख्या से संबंधित समस्या उत्पन्न नहीं होगी। इन न्यूक्लियर पावर प्रोजेक्ट्स में कितनी बिजली का उत्पादन होगा। इन चार प्रोजेक्ट्स में कुल 1200 मेगावॉट की दो यूनिट्स के साथ कुल छह यूनिट्स प्रस्तावित हैं, जिससे राज्य की विद्युत उत्पादन क्षमता में वृद्धि होगी। इन परियोजनाओं के लिए कितनी जमीन आवश्यकता होगी इन चार प्रोजेक्ट्स के लिए 1200 से 2000 एकड़ तक जमीन की आवश्यकता होगी, , जा न्यूक्लियर पावर प्लांट्स के निर्माण के लिए पर्याप्त होगी.
सर्वे के दौरान किन-किन बिंदुओं की जांच की जाएगी
सर्वे के दौरान निम्नलिखित बिंदुओं की जांच की जाएगी। जैसे- क्या यहां डेम या रिजर्व वायर हैं। मिट्टी की संरचना (सोइल स्ट्रेटा) कैसी है। आसपास की जनसंख्या का घनत्व अधिक तो नहीं है।
जिला प्रशासन का सहयोग
परमाणु ऊर्जा प्रोजेक्ट्स के लिए लगभग 1200 से 2000 एकड़ जमीन की आवश्यकता होगी। इस बड़े प्रोजेक्ट को ध्यान में रखते हुए मध्य प्रदेश के ऊर्जा विभाग ने इन जिलों के कलेक्टरों को निर्देशित किया है ताकि जिलां प्रशासन परियोजना सर्वे में पूरा सहयोग दे सके। यह प्रशासनिक सहयोग महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रोजेक्ट के निर्माण में जमीन के चयन, प्रशासनिक अनुमतियाँ और अन्य आवश्यक मंजूते प्राप्त करने के लिए स्थानीय प्रशासन का सक्रिय रूप से शामिल होना आवश्यक होगा।
ऊर्जा क्षेत्र में एक नया अध्याय
इस परमाणु ऊर्जा परियोजना से मध्य प्रदेश में रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे, साथ ही राज्य की ऊर्जा क्षमता में भी वृद्धि होगा। परमाणु ऊर्जा के उपयोग से प्रदूषण कम होगा और ऊर्जा उत्पादन में स्थिरता आएगी, जिससे राज्य के औद्योगिक और शहरी विकास में भी गहाग मिलेगा। केंद्र सरकार का यह कदम ऊर्जा क्षेत्र में एक नया अध्याय में आत्यनिर बना सकता है।
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