राष्ट्र चंडिका न्यूज़, सिवनी। धान खरीदी केंद्र शुरू होते ही फर्जी एवं तथाकथित पत्रकारों की फौज वसूली के लिए पुनः तैयार हो गई है। सुबह से टीप टॉप होकर निकल पड़ते हैं खरीदी केंद्रो में। ये तथाकथित पत्रकार अपनी फर्जी आईडी और फेक माईक का रौब दिखाकर मोबाईल से वीडियो बनाकर खरीदी प्रभारी को खबर छापने की धमकी देकर उगाही करते हे। ऐसे में सख्त जरूरत है कि जिला प्रशासन एक टीम गठित कर ऐसे फर्जी पत्रकारों की लिस्ट बनाकर कार्यवाही करें। कुछ तथाकतिथ ऐसे भी पत्रकार पनप चुके है। जो कि अपने लच्छेदार बातो से हाईफाई बताकर किसी का शस्त्र लाइसेंस बनवाने, जमीन का पट्टा करवाने, ठेका दिलाने, स्थानान्तरण करवाने अथवा रूकवाने आदि बहुत से कार्य करवाने आदि का ठेका लेकर अच्छी खासी दलाली चमाका रहे है। दिलचस्प बात यह है। कि इनके बिछायें हुये जाल में वहीं फसते है। जो अपने को सबसे बड़ा सयाना समझते है। इन सयानों को यही तथकथित पत्रकार चपटे की तरह खून चूस कर छोड देते है। जबकि इनकी असलियत की जांच की जाये तो यह तथाकथित पत्रकार लिखने में जीरो है.
कुछ तथाकतिथ ऐसे भी पत्रकार पनप चुके है। जो कि अपने लच्छेदार बातो से हाईफाई बताकर किसी का शस्त्र लाइसेंस बनवाने, जमीन का पट्टा करवाने, ठेका दिलाने, स्थानान्तरण करवाने अथवा रूकवाने आदि बहुत से कार्य करवाने आदि का ठेका लेकर अच्छी खासी दलाली चमाका रहे है। दिलचस्प बात यह है। कि इनके बिछायें हुये जाल में वहीं फसते है। जो अपने को सबसे बड़ा सयाना समझते है। इन सयानों को यही तथकथित पत्रकार चपटे की तरह खून चूस कर छोड देते है। जबकि इनकी असलियत की जांच की जाये तो यह तथाकथित पत्रकार लिखने में जीरो है और तालमेल मिलाने में हीरो है। क्षेत्र में तो कुुछ ऐसे पत्रकार पनप चुके हैं जो पत्रकारिता की आण में गाडिय़ां चलवाते हैं।
पत्रकारिता का रौब दिखाकर पंचायत सेक्रेट्रियों से विज्ञापन के नाम पर वसूली करते हैं। जब कि देखा जाए तो इन्ही तथाकथित पत्रकारों की यह घिनौनी करतूत असली पत्रकारों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है। जब कभी पुलिस द्वारा वाहन चेकिंग अभियान चलाया जाता है। तो प्रेस व पत्रकार लिखा होने का फायदा उठाकर यह तथाकथित पत्रकार बच जाते हैं। क्योंकि यह तथाकथित पत्रकार इतने सातिर है की इनकी लच्छेदार भाषा शैली तथा मिल बाट कर खाने वाली प्रणाली के चलते इनकी पुलिस विभाग से लेकर सभी महत्वपूर्ण विभागों तक इनकी पहुँच होती है। जबकी न तो इनके पास लाइसेन्स रहता है और न ही जिस गाड़ी से चलते है उसका बीमा।
कई बार इन तथाकथित पत्रकारों पर नकेल कसने के लिए पुलिस अधिक्षक द्वारा पहल की बात कही गई। लेकिन फिल हाल अभीतक अमल में नही आया है इन फर्जी पत्रकारों तथा पत्रकारिता की आड़ में कर रहे दलाली वाले तथाकथित पत्रकारों की वजह से अपने पेसे को मिशन मान कर जुटे पत्रकारों की कलम भी कलंकित हो रही है।