What is FDTL: पायलट ने बीच सफर में किया प्लेन उड़ाने से इनकार, जानिए क्या हैं नियम

पायलट अगर बीच सफर में ही प्लेन उड़ाने से इनकार कर दे तो क्या होगा? एयर इंडिया की एक इंटरनेशनल फ्लाइट से ऐसा ही हैरान कर देने वाली बात सामने आई है, जहां पायलट ने यह कहकर प्लेन आगे ले जाने से मना कर दिया कि उसके ड्यूटी के घंटे पूरे हो गए. यह फ्लाइट पेरिस से दिल्ली के लिए टेक ऑफ हुई थी, मगर मौसम खराब होने की वजह से कुछ देर के लिए जयपुर डायवर्ट की गई जहां लैंड होने के बाद पायलट फ्लाइट से उतर गए.

जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर हुआ यह वाकया फ्लाइट में सवार सभी 180 यात्रियों के लिए चौंकाने वाला था. यात्रियों ने इसे लेकर हंगामा किया और किसी तरह मामले को संभाला गया. हालांकि इस मामले से एक बार फिर वही सवाल खड़ा हो गया कि क्या पायलट ऐसा कर सकता है? क्या बीच सफर में फ्लाइट छोड़ना उसकी गलती है? आखिर क्या हैं नियम, आइए समझते हैं.

क्या है पूरा मामला?

एयर इंडिया की फ्लाइट AI-2022 रविवार को रात 10 बजे पेरिस से टेक ऑफ हुई थी. इस फ्लाइट को सोमवार सुबह 10:35 पर दिल्ली में लैंड होना था, लेकिन खराब मौसम की वजह से ऐसा हो नहीं सका. ATC ने फ्लाइट को कुछ देर के लिए जयपुर में डायवर्ट किया और दोपहर 12:10 बजे फ्लाइट लैंड हो गई. पायलट कुछ देर तक क्लीयरेंस का इंतजार करते रहे, जब ये नहीं मिला तो पायलट ने FDTL का हवाला देते हुए कहा कि उनका ड्यूटी टाइम पूरा हो चुका है, इसलिए वे फ्लाइट आगे नहीं ले जा सकते.’

क्या है FDTL, जो पायलटों को देता है अधिकार

फ्लाइट में पायलटों के लिए एक अलग ड्यूटी टाइम बनाया जाता है, इन्हें FDTL यानी फ्लाइट ड्रयूटी टाइम लिमिटेशन कहते हैं. ये नियम इसलिए बनाए जाते हैं, ताकि कोई पायलट थकान में प्लेन न उड़ाए, क्योंकि ऐसा करने से यात्रियों की सुरक्षा से समझौता हो सकता है. इसके तहत यदि पायलट थकान महसूस कर रहा है तो वह ड्यूटी खत्म होने से पहले भी प्लेन को छोड़ सकता है. क्योंकि थकावट में प्लेन उड़ाने से दुर्घटना का खतरा रहता है. FDTL नियम दुनिया भर में मान्य होते हैं, इन्हें लागू करने की जिम्मेदारी संबंधित देश की होती है, भारत में इन नियमों की देखरेख DGCS यानी नागर विमानन महानिदेशालय करता है.

FDTL के तहत क्या हैं नियम?

फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन का पालन सभी एयरलाइंस को करना होता है, यदि ऐसा न किया जाए तो एयरलाइंस पर कार्रवाई भी हो सकती है, इसके तहत फ्लाइट का क्रू एक सप्ताह में अधिकतम 35 घंटे फ्लाई कर सकता है, एक महीने में 125 घंटे और साल में एक हजार घंटे तक ही उड़ान भर सकता है. इसमें क्रू के लिए नियम है कि उन्हें 24 घंटे में कम से कम 10 घंटे रेस्ट करना होगा. अगर फ्लाइट लंबी दूरी की है, तो पायलट के लिए बीच में रेस्ट करने की व्यवस्था भी की जाती है.

विशेष परिस्थितियों में मिल सकती है छूट

अगर फ्लाइट मौसम खराब होने पर तय समय पर लैंड न कर पाए तो एयरलाइंस फ्लाइट के क्रू को कुछ समय के लिए FDTL के नियमों में छूट ले सकती है, लेकिन ये पायलट पर निर्भर करता है कि वह प्लेन उड़ाना चाहता है या नहीं. नियम के तहत पायलट पर दबाव नहीं बनाया जा सकता है.

उड़ान से पहले तैयार होता है ड्यूटी रोस्टर

एयरलाइंस और फ्लाइट के क्रू को उड़ान से पहले रोस्टर तैयार करना होता है, यह कम से कम सात दिन तक का होना चाहिए, इसमें उड़ान की अवधि के साथ साथ रेस्ट के बारे में भी जानकारी दी जाती है, क्रू कितना थका हुआ है, कितनी उड़ान भर चुका है इसकी एक रिपोर्ट तैयार की जाती है. डीजीसीए कभी भी किसी भी एयरलाइंस से फ्लाइट क्रू का रोस्टर मांगने के लिए स्वतंत्र है. उड़ान के दौरान FDTL के नियमों के पालन की जिम्मेदारी पायलट और क्रू मेंबर्स की होती है.

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