बैरागढ़ विश्रामघाट में महिलाओं ने किया कीर्तन, समझी अंतिम संस्कार की प्रक्रिया

 भोपाल : आमतौर पर महिलाएं विश्राम घाट नहीं जातीं, लेकिन सिंधी समाज के प्रमुख धार्मिक गुरु स्वामी देवप्रकाश महाराज की पहल पर देवउठनी एकादशी पर हर साल विश्रामघाट में महिला कीर्तन करती हैं। इस बार भी यह सिलसिला बरकरार रखते हुए मंगलवार को देवप्रबोधनी एकादशी पर संत हिरदाराम नगर (बैरागढ़) में विश्राम घाट पहुंचकर बड़ी संख्या में महिलाओं ने कीर्तन किया। साथ ही जलती चिता को निकट से देखकर यह महसूस किया कि अंत समय में शरीर खाक हो जाता है, अत: जीवन में सदैव अच्छे कर्म करना चाहिए।

स्वामी देवप्रकाश महाराज ने उल्हास नगर से संगत को देवउठनी ग्यारस की शुभकामनाएं देते हुए अरदास कराई। स्वामीजी ने कहा कि जीवन में अहंकार का कोई स्थान नहीं होना चाहिए, क्योंकि शरीर भी हमारा नहीं है। यह भी एक दिन मिट्टी में मिल जाएगा।

महिला सत्संग के दौरान स्वामी टेंऊराम आश्रम से जुड़ी दादी विद्यादेवी ने कहा कि इससे पहले की जीवन का अंत हो जाए, हर किसी को विश्रामघाट देखना चाहिए। महिलाओं को भी यह समझना चाहिए कि अंत में हमें भी कंधा देकर कोई यहां तक ले आएगा। कंधा पर आने से पहले खुद यहां आना चाहिए। इससे आपका प्रभु के प्रति प्यार बढ़ेगा।

कीर्तन सुनकर भावुक हुई महिलाएं

विश्रामघाट में कीर्तन सुनकर महिलाएं भावुक हो उठीं। सेवादार दयाल तोलानी एवं मदनलाल साधवानी ने भी संगत को संबोधित किया। महिलाओं ने कहा कि वे स्वामी देवप्रकाश के बताए मार्ग पर चलकर सेवा और सिमरन को जीवन का लक्ष्य बनाएंगी। पूज्य सिंधी पंचायत के अध्यक्ष माधु चांदवानी, नंद दादलानी, दयाल गोकलानी एवं अनिल सदारंगानी सहित अनेक गणमान्य नागरिक भी सत्संग में पहुंचे।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.