उत्तर प्रदेश के वाराणसी में अवैध शराब के धंधे को बढ़ाने के लिए कारोबारी राजेंद्र गुप्ता अपने ही परिवार के लोगों की बलि चढ़ाने में कभी नहीं हिचके. बल्कि उनका यह अवैध कारोबार उनके ही परिवार के खून से रंगा हुआ है. इस कारोबार को लेकर 28 साल पहले उनकी पत्नी ने विरोध किया. उस समय खूब झगड़ा हुआ और पत्नी उन्हें छोड़ कर चली गई. इसके बाद राजेंद्र गुप्ता के पिता और भाई विरोध करने लगे. ऐसे में राजेंद्र गुप्ता ने उनकी हत्या कर दी. उन्हें बचाने के लिए पिता का गनर और भाई की पत्नी आगे आए तो राजेंद्र गुप्ता ने उन्हें भी गोली मार दिया.
इस वारदात के बाद वाराणसी पुलिस ने राजेंद्र गुप्ता को अरेस्ट कर जेल भेज दिया था. जेल जाने के बाद उनका कारोबार ध्वस्त हो गया था. इस वारदात में राजेंद्र गुप्ता की मां ही चश्मदीद गवाह थीं. हालांकि कोर्ट में वह गवाही नहीं दे सकीं. ऐसे में साक्ष्य के अभाव में गुप्ता को जमानत मिल गई और कुछ दिन बाद वह जेल से बाहर आ गए थे. इसके बाद उन्होंने फिर से अपने शराब के कारोबार को खड़ा कर दिया. इसी दौरान उन्होंने दूसरी शादी भी कर ली. फिर तो उनका कारोबार दिन दूना और रात चौगुना बढ़ने लगा.
बनारस शहर में ही उन्होंने चार-चार प्रापर्टी खड़ी कर ली. इनमें दो मकानों में 20 से 30 कमरे बने हैं. वहीं बाकी के दो मकानों में 50 से 60 कमरे हैं. इनमें से एक कमरे में तो उनका परिवार रहता था, वहीं बाकी तीन मकान किराए पर दिए गए थे. इनसे करीब तीन से चार लाख रुपये हर महीने कमाई आती थी. इसके अलावा यह भी पता चला है कि राजेंद्र गुप्ता का अफेयर किसी अन्य महिला के साथ भी है. पुलिस के मुताबिक राजेंद्र गुप्ता इस महिला के साथ शादी करना चाहते थे, लेकिन उनकी पत्नी ऐसा नहीं होने दे रही थी.
इसकी वजह से राजेंद्र गुप्ता अपने परिवार को छोड़ कर एक साल से अकेले रह रहे थे. पुलिस सूत्रों के मुताबिक प्रापर्टी से इतनी कमाई के बावजूद राजेंद्र गुप्ता के अवैध शराब का कारोबार कुछ ठीक नहीं चल रहा था. कई बार उनका माल पकड़ा जा चुका था. ऐसे हालात में गुप्ता ने पिछले दिनों बनारस में ही किसी तांत्रिक से सलाह ली थी. इसमें तांत्रिक ने बताया था कि उनकी पत्नी ही कारोबार में बाधा है. बताया जा रहा है कि तांत्रिक की सलाह पर ही राजेंद्र गुप्ता योजना के तहत दिवाली के दिन अपने परिवार के पास लौटे. खूब दिवाली मनाई और मंगलवार की दोपहर मौका देखकर अपनी पत्नी, दोनों बेटे और बेटी को मार डाला.
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