झारखंड से लेकर महाराष्ट्र तक महिलाओं पर नेताओं के विवादित बोल सुर्खियों में है. महाराष्ट्र के मुंबादेवी से शिंदे के उम्मीदवार शाइना एनसी के खिलाफ कथित तौर पर विवादित टिप्पणी कर उद्धव के सांसद अरविंद सावंत बुरी तरह फंस गए हैं. सावंत के खिलाफ महायुति ने मोर्चा खोल दिया है.
सावंत की तरह ही महिलाओं को लेकर विवादित टिप्पणी करने वाले जामताड़ा विधायक इरफान अंसारी भी बैकफुट पर हैं. इरफान ने कथित तौर पर सीता सोरेन को रिजेक्टेड माल कहा था.
भारत की सियासत में पुरुष नेताओं की तरफ से महिलाओं पर विवादित टिप्पणी करना नई बात नहीं है. हालांकि, इसके इतर एक दिलचस्प आंकड़ा यह भी है, जिन नेताओं ने महिलाओं के खिलाफ विवादित टिप्पणी की, उनकी सियासत मंझधार में फंस गई.
एमपी की सियासत में साइलेंट हो गए दिग्विजय
2013 के चुनाव में मंदसौर प्रचार करने पहुंचे दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी मीनाक्षी नटराजन को 100 प्रतिशत टंच माल कह दिया. दरअसल, रैली के दौरान दिग्विजय ने कहा कि मैं तो पुराना जौहरी हूं लेकिन मीनाक्षी 100 प्रतिशत टंच माल है.
दिग्विजय के इस बयान से कांग्रेस बैकफुट पर आ गई. 2014 के चुनाव में पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा. उस वक्त दिग्विजय सिंह मध्य प्रदेश कांग्रेस के सबसे बड़े नेता थे, लेकिन पार्टी ने इसके बाद उन्हें अलग-थलग करना शुरू कर दिया.
2019 और 2024 के चुनाव में दिग्विजय चुनाव लड़ने भी उतरे, लेकिन जीत दर्ज नहीं कर पाए. दिग्विजय सिंह अब राज्यसभा के जरिए ही अपनी राजनीति को आगे बढ़ा रहे हैं. 2018 के चुनाव में दिग्विजय का एक बयान खूब वायरल हुआ था.
दिग्गी राजा ने उस वक्त कहा था कि मेरे भाषण देने से कांग्रेस के वोट कट जाते हैं.
जहां दिया बयान, उस संसद में फिर नहीं पहुंचे शरद
2015 में शरद यादव ने संसद में महिलाओं पर विवादित टिप्पणी करते हुए कहा- दक्षिण की महिला जितनी खूबसूरत होती है, उतना हम लोग उन्हें नहीं मानते हैं. दक्षिण की महिलाओं को नाचना भी आता है. मैं तो उन महिलाओं की खूबसूरती का कायल हूं.
शरद के इस बयान पर जब घमासान मचा तो उन्होंने तुरंत माफी मांग ली. हालांकि, 2017 में उन्होंने फिर एक विवादित बयान दे दिया. इस बार उन्होंने राजस्थान की तत्कालीन सीएम वसुंधरा राजे को लेकर विवादित टिप्पणी कर दी.
2017 के बाद शरद यादव की सियासत ढलान की तरफ जाने लगी. जेडीयू ने पहले उनकी सदस्यता रद्द करवाई और फिर उन्हें अलग-थलग करने की रणनीति तैयार की. 2019 में शरद यादव मधेपुरा से चुनाव भी लड़े, लेकिन जीत नहीं पाए.
जिस संसद में शरद यादव महिलाओं पर विवादित टिप्पणी कर रहे थे, उस संसद आखिर वक्त तक वे नहीं जा पाए.
जया पर विवादित बोल के बाद शंट हो गए अग्रवाल
नरेश अग्रवाल एक वक्त में समाजवादी पार्टी के बड़े नेता माने जाते थे. सपा में हरदोई और मिश्रिख की राजनीति में अग्रवाल के इर्द-गिर्द ही घूमती थी. नरेश को मुलायम सिंह यादव का करीबी माना जाता था. मुलायम ने अखिलेश की सरकार बनने पर नरेश को राज्यसभा भेज दिया.
नरेश अपने बयानों की वजह से राज्यसभा में खूब सुर्खियों में रहते थे. ऐसे ही 2018 के मई महीने में नरेश का टिकट काटकर सपा ने जय बच्चन को उम्मीदवार बना दिया. इससे नाराज नरेश ने जया को नाचने वाली बता दिया.
नरेश के इस बयान पर खूब हंगामा हुआ. सपा ने भी बयान से किनारा कर लिया. नरेश इसके बाद अलग-थलग पड़ गए. सपा में कुछ महीने रहने के बाद नरेश बीजेपी में चले आए. यहां उन्हें राजनीतिक किक मिलने की उम्मीद थी, लेकिन बीजेपी ने भी उन्हें भाव नहीं दिया.
नरेश वर्तमान में हरदोई में ही अपने राजनीतिक सितारा चमकने की उम्मीद में हैं.
जयाप्रदा पर टिप्पणी ने आजम को पीछे धकेला
2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के दूसरे नंबर के नेता आजम खान के खिलाफ बीजेपी ने जयाप्रदा को मैदान में उतार दिया. आजम ने जया के खिलाफ चुनाव में खूब विवादित टिप्पणी की. इन टिप्पणियों की वजह से आजम पर चुनाव आयोग ने बैन भी लगा दिया. हालांकि, आजम की जीत पर इसका कोई फर्क नहीं पड़ा.
2019 में जीत के बाद आजम ने फिर एक विवादित बयान दिया. इस बार आजम ने कहा कि रामपुर में नचनिया लोगों की कोई जगह नहीं है. यहां कोई बार और डांस पैलेस नहीं है. इस बयान को बीजेपी ने खूब भुनाया.
आजम पर इस बयान को लेकर मुकदमा भी दर्ज हुआ. धीरे-धीरे यूपी पुलिस आजम पर शिकंजा कसने लगी. उनकी कई पुरानी फाइलें एक साथ खोल दी गई. आजम को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.
आजम के साथ-साथ उनके परिवार के लोग भी जेल गए. आजम फर्जी सर्टिफिकेट मामले में दोषी पाए गए और उन्हें सजा हुई. इस वजह से उनकी सदस्यता भी रद्द हो गई. आजम की सदस्यता जब रद्द हुई तो जयाप्रदा का बयान सामने आया और उन्होंने कहा कि महिलाओं पर जुबान चलाने की सजा पूरे आजम परिवार को मिल रहा है.
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