बिहार के भागलपुर जिले के एक निजी क्लीनिक में जच्चा-बच्चा की मौत पर बवाल हो गया. वहीं, इस घटना के बाद अस्पताल के फर्जी होने की पोल खुल गई. इतना ही नहीं बवाल की सूचना पर जांच में लिए अनुमंडल अस्पताल के उपाधीक्षक को भेजा गया, लेकिन ताज्जुब की बात यह है कि फर्जी अस्पताल के साइन बोर्ड पर उनका भी नाम लिखा हुआ था. महिला को परिजन फर्जी क्लीनिक में नॉर्मल डिलीवरी के लिए लेकर आए थे.
भागलपुर जिले के खरीक थाना क्षेत्र के कृष्ण कुमार की पत्नी सुनैना देवी को प्रसव पीड़ा होने के बाद रंगरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए, लेकिन यहां से उन्हें अनुमंडल अस्पताल नवगछिया रेफर कर दिया गया था. इसी दौरान सामुदायिक केंद्र में मौजूद गांव की आशा ने रेखा देवी को निजी क्लिनिक ले जाने की सलाह दी. इसके बाद नॉर्मल डिलीवरी कराने की शर्त पर परिजनों ने महिला को रंगरा के हरानाथचक में मां दुर्गा तेतरी हेल्थ केयर सेंटर में भर्ती कराया. जहां पैसे लेने के बाद इलाज शुरू हो गया.
इलाज के दौरान हुई मौत
वहीं बीते दिन शुक्रवार दोहपर जब महिला की तबीयत बिगड़ने लगी तो यहां स्टाफों ने कहा कि ऑपरेशन करना पड़ेगा एमबीबीएस डॉक्टर आएंगे. इसके लिए 35 हजार रुपये लगेंगे परिजनों ने हामी भरी, लेकिन इससे पहले ही प्रसूता की मौत हो चुकी थी. हालांकि, परिजनों को इस बात की जानकारी नहीं थी. प्रसूता को मरा देखकर अस्पताल के स्टाफ ने महिला को जेएनएमसीएच रेफर दिया. इसी दौरान जब परिजन महिला को ले जाने लगे तो उन्हें पता कि सुनैना की मौत हो चुकी है.
घटना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस
मौत का पता चलते ही परिवार के लोगों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया. वहीं, हंगामे को देखते हुए अस्पताल के स्टाफ के लोग फरार हो गए. घटना की जानकारी होते ही पुलिस मौके पर पहुंची. बीडीओ के साथ अनुमंडल अस्पताल के उपाधीक्षक डॉक्टर बरुन कुमार भी मौके पर पहुंचे. उन्होंने परिजनों को कार्रवाई करने का आश्वासन दिया. जांच के लिए भेजे गए अनुमंडल अस्पताल के उपाधीक्षक का नाम फर्जी अस्पताल के साइन बोर्ड में डिटेल के साथ लिखा हुआ था. इस सवाल पर उन्होंने कहा कि एक नाम के बहुत लोग हो सकते हैं.
वहीं, पदनाम लिखे होने के सवाल पर उनकी बोलती बंद हो गई. डॉक्टर बरुन पर पहले से भी कई आरोप है. मृतक महिला के पिता के द्वारा फर्जी क्लीनिक के संचालकों पर केस दर्ज किया गया है.
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