उज्जैन। भगवान महाकाल की भस्म आरती के दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं को अब रेडियो फ्रीक्वेंसी आईडी (आरएफआईडी) बैंड पहनना अनिवार्य रहेगा। मंदिर समिति भस्म आरती में अनाधिकृत प्रवेश रोकने के लिए दीपावली के बाद प्रायोगिक तौर पर यह सुविधा शुरू कर सकती है।
भस्म आरती दर्शन व्यवस्था को पारदर्शी व भ्रष्टाचार मुक्त करने के लिए मंदिर समिति लंबे समय से प्रयास कर रही है। समय-समय पर इसके लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाता रहा है। कई वर्ष पहले समिति ने मैनुअल रसीद बंद कर कम्प्यूटराइज्ड रसीद की शुरुआत की।
इसके बाद इस पर बारकोड लगाया गया। बाद में बारकोड रीडर से रसीद की जांच आदि की सुविधा शुरू हुई और अब आरएफआईडी तकनीक के इस्तेमाल की योजना है।
ऐसे काम करेगी तकनीक
मंदिर प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ ने बताया रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन तकनीक चिप प्रोसेस पर काम करती है। इसमें व्यक्ति की संपूर्ण जानकारी फीड रहती है। इसे कलाई पर बैंड के रूप में बांध सकते हैं।
भस्मारती में प्रवेश के समय मानसरोवर सहित विभिन्न प्रवेश द्वारों पर जांच के बाद भक्तों के हाथ पर यह बैंड बांध दिया जाएगा। इसके बाद दर्शनार्थी भस्म आरती में पूरे समय बैंड बांधे रहेंगे। आरती खत्म होने के बाद लौटते समय इसे काउंटर पर जमा कराना अनिवार्य रहेगा।
महाकाल दर्शन के लिए भी यह व्यवस्था लागू की जाएगी
प्रशासक धाकड़ ने बताया व्यवस्था कारगर रही, तो आने वाले दिनों में भगवान महाकाल के दर्शन में भी यह व्यवस्था लागू की जाएगी। मंदिर में एंट्रीगेट पर फ्लैप बैरियर लगाए जाएंगे। आरएफआइडी बैंड पहनकर आने वाले भक्तों के लिए फ्लैप बैरियर आटोमेटिक खुल जाएंगे।
बार-बार की जांच से मिलेगी मुक्ति
महाकाल मंदिर में सुबह भस्मारती के समय प्रवेश के दौरान श्रद्धालुओं के हाथ में बैंड बांधा जाएगा। इसमें उनकी सभी जानकारी होगी। इसके बाद वे सीधे मंदिर के अंदर पहुंच सकेंगे। इससे बार-बार होने वाली जांच से भी मुक्ति मिलेगी।
गलत प्रवेश रोकने के लिए उठाया कदम
महाकाल मंदिर में भस्मारती में अनाधिकृत प्रवेश रोकने के लिए मंदिर समिति ने यह कदम उठाया है। यहां हर दिन करीब 2 हजार श्रद्धालुओं को भस्मारती में शामिल होने की अनुमति दी जाती है। प्रवेश पत्र पर बारकोड लगा होता है, जिससे गलत प्रवेश को रोका जाता है। इसके बाद भी कुछ लोग बिना अनुमति के अंदर आ जाते हैं, ऐसे में अब नई तकनीक को शामिल किया गया है।
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