इंदौर। इसे विडंबना कहें या पैसा कमाने की बेतहाशा लालसा कि सरकार द्वारा डॉक्टरों को तीन लाख रुपये महीना तक वेतन दिए जाने के बावजूद वे सरकारी अस्पताल को छोड़कर निजी अस्पताल जा रहे हैं।
यह मध्य प्रदेश के सबसे शानदार सात मंजिला सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल में हो रहा है। 2024 में करीब चार डॉक्टर इस्तीफा देकर एम्स या अन्य अस्पतालों में जा चुके हैं। वहीं 2023 में भी छह डॉक्टरों ने इस्तीफा दिया था। इसमें न्यूरो सर्जरी, एनेस्थिसिया, नेफ्रोलॉजी, कार्डियोलॉजी, पीडियाट्रिक सर्जरी, न्यूरोलॉजी के असिस्टेंट प्रोफेसर शामिल हैं।
हमदाबाद और इंदौर में है सरकारी सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ड्रीम अस्पताल सीरीज के तहत ऐसे सर्वसुविधासंपन्न अस्पताल देश के चुनिंदा शहरों में बनाए गए हैं। देश के पश्चिम क्षेत्र में अहमदाबाद के बाद इंदौर ऐसा दूसरा शहर है, जहां सरकारी सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल है।
डेढ लाख से तीन लाख रुपये महीना है सैलरी
यहां के डॉक्टरों का वेतन भी डेढ़ लाख से तीन लाख रुपये प्रतिमाह तक है, किंतु दुर्भाग्य है कि इसके बावजूद यहां पदस्थ डॉक्टर पलायन कर रहे हैं।
पलायन रोकने के प्रयास शुरू
हालांकि डॉक्टरों का पलायन रोकने के लिए अस्पताल प्रबंधन अब एक नई कोशिश कर रहा है। इसके तहत यहां कार्यरत डॉक्टरों को आवास की सुविधा भी दी जाएगी। यदि आवास नहीं मिलता है, तो किराये के लिए भाड़ा दिया जाएगा। इसे लेकर प्रबंधन ने डॉक्टरों की नियुक्ति के लिए निकाली विज्ञप्ति में संशोधन किया है।
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