अगले बरस फिर आना… विदा हुए गणपति बप्पा, शहर में गाजे-बाजे के साथ निकली शोभायात्रा

राष्ट्र चंडिका न्यूज़,सिवनी, शास्त्रों में भगवान गणेश को विध्नहर्ता और सुख-समृद्धि का देवता माना जाता है। अनंत चतुर्दशी पर 10 दिनों तक चलने वाले पर्व गणेश उत्सव का आखिरी दिन होता है और इस दिन गणेश विसर्जन किया जाता है। भक्त मूर्ति को पानी में विसर्जित करके अगले वर्ष फिर भगवान गणेश के वापस आने की आशा की।
अनंत चतुर्दशी को गणेश विसर्जन का दिन माना जाता है क्योंकि यह दिन हिन्दू पंचांग के अनुसार गणेश चतुर्थी के बाद चौदह दिन तक गणेश उत्सव मनाया जाता है, जिसमें भगवान गणेश की मूर्ति पूजन की जाती है। इसके बाद गणेश मूर्ति को विसर्जित किया जाता है।
गणेश विसर्जन की पौराणिक कथा
गणपति बप्पा की मूर्ति को दस दिन बाद जल में विसर्जित करने के पीछे की मुख्य वजह महाभारत और महर्षि वेदव्यास से जुड़ी है। दरअसल, महाभारत के रचयिता महर्षि वेदव्यास ने भगवान गणेश से इसे लिपिबद्ध करने की प्रार्थना की थी। भगवान गणेश ने उनकी इस प्रार्थना को स्वीकार किया था और महाभारत लेखन का कार्य गणेश चतुर्थी के दिन से ही शुरू किया गया था।
लेकिन भगवान गणेश ने महर्षि वेदव्यास की प्रार्थना को स्वीकार्य कर लिया, लेकिन उन्होंने एक शर्त रखी थी ‘कि मैं जब लिखना प्रारंभ करूंगा तो कलम को रोकूंगा नहीं, यदि कलम रुक गई तो लिखना बंद कर दूंगा’।
तब वेदव्यासजी ने कहा कि भगवन आप देवताओं में अग्रणी हैं,विद्या और बुद्धि के दाता हैं और मैं एक साधारण ऋषि हूं। यदि किसी श्लोक में मुझसे त्रुटि हो जाय तो आप उस श्लोक को ठीक कर उसे लिपिबद्ध करें।
गणपति जी ने सहमति दी और फिर दिन-रात लेखन कार्य प्रारम्भ हुआ और इस कारण गणेश जी को थकान तो होनी ही थी, लेकिन उन्हें पानी पीना भी वर्जित था। अतः गणपति जी के शरीर का तापमान बढ़े नहीं, इसलिए वेदव्यास ने उनके शरीर पर मिट्टी का लेप किया और भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को गणेश जी की पूजा की। जिसके बाद महाभारत लेखन का कार्य शुरू हुआ। इसे पूरा होने में करीबन 10 दिन लग गए।
जिस दिन गणेश जी ने महाभारत लेखन का कार्य पूरा किया, उस दिन अनंत चतुर्दशी थी। लेकिन लगातार दस दिनों तक बिना रूके लिखने के कारण भगवान गणेश का शरीर जड़वत हो चुका था। मिट्टी का लेप सूखने पर गणेश जी के शरीर में अकड़न आ गई, इसी कारण गणेश जी का एक नाम पार्थिव गणेश भी पड़ा। वेदव्यास ने देखा कि, गणपति का शारीरिक तापमान फिर भी बहुत बढ़ा हुआ है और उनके शरीर पर लेप की गई मिट्टी सूखकर झड़ रही है, तो वेदव्यास ने उन्हें पानी में डाल दिया। इन दस दिनों में वेदव्यास ने गणेश जी को खाने के लिए विभिन्न पदार्थ दिए। यही कारण है कि गणपति स्थापना 10 दिन के लिए की जाती है और फिर 10 दिनों के बाद अनंत चतुर्दशी पर गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन करते हैं।
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