मिस इंडिया की लिस्ट में भी दलित और आदिवासी नहीं… राहुल गांधी ने फिर दिया जाति जनगणना पर जोर

नेता प्रतिपक्ष और रायबरेली से सांसद राहुल गांधी ने एक बार फिर जाति जनगणना पर जोर दिया है. प्रयागराज में शनिवार को राहुल गांधी ने संविधान सम्मान सम्मेलन का आयोजन किया. इस सम्मेलन के दौरान जाति जनगणना के महत्व की बात करते हुए नेता प्रतिपक्ष ने पीएम मोदी की सरकार पर जमकर हमला बोला. राहुल गांधी ने कहा, मैंने मिस इंडिया की लिस्ट निकाली उसमें एक भी दलित, आदिवासी, ओबीसी महिला का नाम मुझे नहीं मिला.

जातिगत जनगणना की जरूरत को सामने रखते हुए राहुल गांधी ने कहा, 90% बहुजन – दलित, आदिवासी, OBC, अल्पसंख्यक और गरीब सामान्य वर्ग के वो मेहनतकश और हुनरमंद लोग हैं जिनके अवसरों से वंचित होने की वजह से देश की क्षमता का पूरा इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है, ये स्थिति वैसी ही है जैसे 10 सिलेंडर के इंजन को सिर्फ 1 सिलेंडर से चलाया जाए और 9 का इस्तेमाल ही न किया जाए.

मिस इंडिया में नहीं आदिवासी, दलित महिला

राहुल गांधी ने कहा, मैंने मिस इंडिया कि लिस्ट देखी और सोचा कि इसमें तो आदिवासी महिला होगी, एक दलित महिला तो होगी, लेकिन मिस इंडिया की लिस्ट में भी न दलित है न आदिवासी, कोई नहीं है. उन्होंने आगे कहा, क्रिकेट की बात होगी, बॉलीवुड की बात होगी, लेकिन किसानों की बात नहीं होगी, मजदूरों की बात नहीं होगी, आपने कभी मीडिया में मौची का इंटरव्यू देखा है.

पीएम मोदी पर किया हमला

राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर हमला करते हुए कहा, सब दिखाते हैं कि मोदी जी गले लग गए और हम सुपर पावर बन गए, उन्होंने पूछा कि हम सुपर पावर कैसे बन गए जब हमारी 90 प्रतिशत आबादी उसमें शामिल ही नहीं है, बेरोजगार है. राहुल गांधी ने कहा 90 प्रतिशत आबादी के बिना देश नहीं चल सकता.

“90 प्रतिशत के लिए न अवसर, न तरक्की”

जाति जनगणना को लेकर सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पोस्ट करते हुए राहुल गांधी ने कहा, नरेंद्र मोदी को जनता की बात सुन कर जातिगत जनगणना करवानी ही होगी, अगर वह खुद नहीं करेंगे तो अगले पीएम को करते हुए देखेंगे. राहुल गांधी ने आगे कहा, संविधान हर एक भारतीय को न्याय और बराबरी का अधिकार देता है, लेकिन कड़वी सच्चाई है कि देश की जनसंख्या के 90% के लिए न तो अवसर हैं और न ही तरक्की में उनकी भागीदारी है. जातिगत जनगणना की जरूरत को सामने रखते हुए नेता प्रतिपक्ष ने कहा, जातिगत जनगणना से सिर्फ जनसंख्या की गिनती ही नहीं होगी बल्कि समाज का एक्स-रे भी सामने आ जाएगा, ये पता चल जायेगा कि देश के संसाधनों का वितरण कैसा है और कौन से वर्ग हैं जो प्रतिनिधित्व में पीछे छूट गए हैं.

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