मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट मंगलवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया. युवाओं और महिलाओं साथ-साथ देश के अल्पसंख्यकों के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए मोदी सरकार बजट में मेहरबान दिखी. वित्त मंत्री ने अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के बजट में 20 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी की है. मोदी सरकार ने केंद्रीय बजट में इस बार अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के लिए कुल 3183.24 करोड़ रुपये के आवंटन का प्रावधान किया है, जो पिछले बजट की तुलना में 574.31 करोड़ रुपये अधिक है.
वित्त मंत्री ने अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के लिए इस वर्ष बजट में 3,183.24 करोड़ रुपये देने का प्रावधान रखा है, जिसमें मंत्रालय की प्रमुख स्कीम के लिए कुल 2120.72 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. इसके अलावा अल्पसंख्यक मंत्रालय के प्रमुख कार्यक्रमों में से एक ‘प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम’ के लिए इस बार 910.90 करोड़ रुपये के आवंटन का प्रावधान किया गया है.
मोदी सरकार के द्वारा दिए गए 3183.24 करोड़ रुपये के बजट में 1575.72 करोड़ रुपये अल्पसंख्यक समुदाय की शिक्षा और सशक्तिकरण के लिए रखा गया है. अल्पसंख्यक समुदाय के लिए प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति के लिए बजट में 326.16 करोड़ रुपये आंवटित किया गया है. साथ ही मंत्रालय ने अल्पसंख्यकों के लिए पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति के लिए 1145.38 करोड़ रुपये दिए हैं.
केंद्र की मोदी सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में मंत्रालय के लिए 3097.60 करोड़ रुपये के आवंटन का प्रस्ताव किया गया था. हालांकि, संशोधित बजट में यह राशि 2608.93 करोड़ रुपये हो गई थी. सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय को 3183.24 करोड़ रुपये आवंटित करने का प्रस्ताव किया है, जो 574.31 करोड़ रुपये अधिक है.
10 साल में घटा बजट
मनमोहन सरकार की तुलना में मोदी सरकार में अल्पसंख्यक मंत्रालय का बजट बढ़ा है, लेकिन जिस तरह से मोदी सरकार 2014 में आने के बाद से अल्पसंख्यक समुदाय पर मेहरबान नजर आ रही थी, उसमें कमी जरूर आई है. यूपीए सरकार से तुलना करेंगे तो उस लिहाज से एक हजार करोड़ की अल्पसंख्यक मंत्रालय के बजट में बढ़ोतरी दिखेगी, लेकिन मोदी सरकार के 2014 से लेकर 2024 तक किए गए बजट के लिहाज से देखें तो उस लिहाज से कमी नजर आएगी.
हालांकि, देश की सत्ता पर नरेंद्र मोदी के काबिज होने के बाद माना जा रहा था कि केंद्र सरकार अल्पसंख्यक मंत्रालय को ही खत्म कर देगी, लेकिन मोदी सरकार ने ऐसा नहीं किया. इतना ही नहीं अल्पसंख्यकों के विकास के लिए केंद्र सरकार द्वारा मिलने वाला बजट भी दूसरे कार्यकाल तक हर साल बढ़ता ही रहा. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में यानि 2014 से लेकर 2019 तक अल्पसंख्यकों पर मोदी सरकार खास मेहरबान नजर आई. ऐसे लगा कि कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार से भी ज्यादा खजाना अल्पसंख्यकों के विकास के लिए खोल दिया.
कब कितना बजट आवंटित
अल्पसंख्यक समुदाय के विकास के लिए अलग से अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय का गठन मनमोहन सरकार के पहले कार्यकाल में साल 2006 में हुआ. कांग्रेस नेतृत्व वाली तत्कालीन यूपीए सरकार ने पहली बार 2006 में अल्पसंख्यक कल्याण के लिए 143 करोड़ रुपये आवंटित किए थे. उसके बाद से केंद्र सरकार बजट में अल्पसंख्यक मंत्रालय पर मेहरबान रही. 2009-10 के बजट में अल्पसंख्यक कल्याण के मद में 740 करोड़, 2010-11 में 760 करोड़, 2011-12 में 330 करोड़ और 2012-13 में 305 करोड़ रुपये का इजाफा किया गया था.
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में प्रचंड बहुमत के साथ बीजेपी 2014 में सत्ता में आई थी. मोदी सरकार ने अपना पहला बजट 2014-15 में पेश किया. बीजेपी और मुस्लिमों के बीच जिस तरह विरोधाभास रहा है, उससे लग रहा था कि मोदी सरकार अल्पसंख्यक मंत्रालय को कोई खास तवज्जो नहीं देगी. पीएम मोदी ने इन कयासों को तोड़ते हुए अपने मूल मंत्र ‘सबका-साथ, सबका-विकास’ के तहत अल्पसंख्यकों पर दिल खोलकर खजाना लुटाया.
मोदी सरकार ने अपने पहले बजट में यानि 2014-15 में 3711 करोड़ रुपये का धन अल्पसंख्यक मंत्रालय को आवंटित किया था. वहीं, 2013-14 में मनमोहन सिंह की सरकार ने 3511 करोड़ रुपये दिए थे. इस तरह मोदी सरकार ने मनमोहन सरकार के आखिरी बजट की तुलना में 200 करोड़ रुपये अल्पसंख्यकों को ज्यादा दिया. इसके बाद मोदी सरकार ने दूसरा बजट 2015-16 में पेश किया. इस बार अल्पसंख्यक कल्याण के लिए मोदी सरकार ने बजट में 3712.78 करोड़ रुपये आवंटित किए. इस तरह मोदी सरकार ने अपने पहले बजट की तुलना में पौने दो करोड़ रुपये का मामूली इजाफा किया.
केंद्र की मोदी सरकार ने अपना तीसरा बजट 2016 में पेश किया था. सरकार ने साल 2016-2017 के बजट में भी अल्पसंख्यकों पर मेहरबानी दिखाई और अल्पसंख्यक कल्याण के लिए 3800 करोड़ रुपये आवंटित किए थे. इस तरह पिछले बजट की तुलना में करीब 88 करोड़ की बढ़त दर्ज की गई.
मोदी सरकार ने चौथे बजट में 395 करोड़ बढ़ाया, अपने चौथे बजट में मोदी सरकार अल्पसंख्यकों पर खूब मेहरबान नजर आई. 2017-18 के बजट में मोदी सरकार ने अल्पसंख्यक कल्याण के लिए 4194 करोड़ रुपये आवंटित किया, जो पिछले बजट की तुलना में 395 करोड़ का ज्यादा था. मुख्तार अब्बास नकवी ने इसे अब तक की सबसे बड़ी बढ़ोतरी बताया था. ये अल्पसंख्यक मंत्रालय के इतिहास में सबसे ज्यादा था. बीजेपी के सत्ता में आने के बाद चार बजट को देखें तो करीब 500 करोड़ रुपये का इजाफा था.
केंद्र की मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल के अंतिम साल में यानि 2018-19 के आम बजट में अल्पसंख्यक मंत्रालय के लिए 4700 करोड़ रुपए का आवंटन किया था. इस तरह 505 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी की गई थी. इसके बाद वर्ष 2019-20 के बजट में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के लिए सरकार ने 4700 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा था. मोदी सरकार सत्ता में दूसरी बार आने के बाद अल्पसंख्यक मंत्रालय का बजट में 329 करोड़ की इजाफा करते हुए 5029 करोड़ रुपये कर दिया है. केंद्रीय वित्त मंत्री ने साल 2020-21 के लिए पेश बजट में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय को 5029 करोड़ रुपये देने का प्रावधान था.
अल्पसंख्यक मंत्रालय के बजट में कटौती
देश में मोदी सरकार बनने के बाद अल्पसंख्यक मंत्रालय के बजट में जो इजाफा हो रहा था, उसमें कटौती का सिलसिला 2022 से शुरू हुआ. साल 2022-2023 के बजट में अल्पसंख्यक मंत्रालय के लिए 5020 करोड़ रुपये आवंटित किया था, जो इसके पिछले साल की तुलना में 9 करोड़ कम था. हालांकि, मोदी सरकार ने अल्पसंख्यकों के विकास के लिए वित्त वर्ष 2022-2023 में आवंटित किए गए 5020 करोड़ में से सिर्फ 2612 करोड़ रुपये ही खर्च हो पाया था.
मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के आखिरी पूर्ण बजट में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के बजट में भारी कटौती की थी. साल 2023-24 के लिए अल्पसंख्यक मंत्रालय को वित्त मंत्री ने 3097 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया था, जो पिछले बजट की तुलना में 1923 करोड़ कम था. इसके बाद 2024-24 के मंगलवार को पेश किए बजट में 3183.24 करोड़ रुपये के आवंटन का प्रावधान रखा गया है, जो पिछले वर्ष के बजट की तुलना में 574.31 करोड़ भले अधिक हो, लेकिन मोदी सरकार के 2014 से 2022 तक दिए गए अल्पसंख्यक मंत्रालय से कम है.
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के लिए केंद्र सरकार द्वारा आवंटित बजट में अक्सर संशोधन होता रहता है और कई बार इसमें कटौती भी की जाती है. यह आमतौर पर मंत्रालय की ज़रूरतों के हिसाब से कम होता है. अंततः व्यय के मामले में यह देखा गया है कि दी गई राशि का सही तरीके से उपयोग नहीं किया जाता है. ऐसे में देखा गया है कि 2023-2024 में सरकार ने अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के लिए 3,097.60 करोड़ रुपये का बजट तय किया था, लेकिन बजट में संशोधन के बाद इसे घटाकर 2,608.93 करोड़ रुपये कर दिया गया था. ऐसे में देखना है कि अल्पसंख्यकों के विकास के लिए आवंटित किए गए 3183.24 करोड़ रुपये में से कितना मंत्रालय खर्च करता है?
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