भोपाल। आजादी का अमृतकाल बीत जाने के बाद भी नौनिहालों को स्कूल तक का सफर 500 मीटर के दलदली रास्ते को पार करके जाना पड़े तो सरकारी सिस्टम पर यकीनन गुस्सा आता है, लेकिन उससे भी ज्यादा तरस उन बच्चों पर आता है, जो रोजाना डरते-सहमते हुए इस दलदल में पैर जमाते हुए स्कूल तक पहुंचते हैं।
बारिश के मौसम में कीचड़ में तब्दील
एक तरफ राज्य और केंद्र सरकार स्कूल चले अभियान के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, वहीं पाड़ल्यामाता गांव के बीचो-बीच से आदर्श नगर कॉलोनी का कच्चा रास्ता जाता है, जो बारिश के मौसम में कीचड़ में तब्दील हो गया है। सरकारी हो या निजी स्कूल के बच्चों को कीचड़ और गंदगी के बीच से रोजाना स्कूल जाना पडता है। यही से छात्रावास और विद्युत कंपनी कार्यालय जाने का रास्ता है और कॉलोनी की करीब 500 की आबादी निवासरत है।
हर रोज कीचड़ से गुजरना
मार्ग की दूरी महज 500 मीटर है, उसमें भी रास्ते भर काफी दलदल है। करीब दर्जनों छात्र-छात्राए इसी कच्चे मार्ग से होकर रोजाना स्कूल पहुंचते हैं। जिस कीचड़ के दलदल वाले रास्ते में कोई अपना पैर भी नहीं रखना चाहता, उसी रास्ते से होकर बचे रोजाना स्कूल तक का सफर तय करते हैं। लेकिन शिक्षा प्राप्त करने के लिए उन्हें हर रोज इसी कीचड़ से होकर गुजरना पडता है।
वहीं, ग्रामीणों, आमजन व किसानों को उक्त मार्ग से होकर आना-जाना पड़ता है, जिन्हें भी काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। उक्त मार्ग पर सीसी रोड नहीं होने के चलते ग्रामीण काफी परेशान हैं।
कॉलोनी वाले कीचड़ से निकलने को मजबूर हैं। लोग अपने घरों तक अपने वाहनों को भी नहीं ले जा रहें हैं। जलभराव से कीचड़ के रास्ते में मच्छल पनप रहे हैं। इससे बीमारियों की चपेट में आने का खतरा बना हुआ है। इसके बाद भी जिम्मेदार अनदेखा कर देते हैं।
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