शास्त्रों में गुप्त नवरात्रि को बहुत ही शुभ और महत्वपूर्ण माना गया है और इस दौरान सभी दस महाविद्या की पूजा अर्चना करने का विधान है. जिसके अनुसार, नौवें दिन मां मातंगी की पूजा की जाती है. यह तंत्र की देवी हैं, वचन की देवी हैं. यह एकमात्र ऐसी देवी हैं, जिनके लिए व्रत नहीं रखा जाता है. यह केवल मन और वचन से ही तृप्त हो जाती हैं.
मां मातंगी का स्वरूप
शास्त्रों के अनुसार मतंग भगवान शिव का ही एक नाम है. भगवान शिव की आदिशक्ति देवी मातंगी हैं. मां मातंगी का रंग श्याम है. वह अपने मस्तक पर चंद्रमा को धारण करती हैं. मां मातंगी ने राक्षसों का वध करने के लिए तेजस्व रूप धारण किया है. मां मातंगी सदैव लाल रंग के वस्त्र धारण करती हैं. मां मातंगी अपने पैरों में लाल पादुका और गले में लाल माला धारण करती हैं. मां मातंगी के हाथों में धनुष बाण ,शंख, पास, कटार, छत्र, त्रिशूल, अक्ष माला आदि लिए रहती हैं.
मां मातंगी की पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर सूर्य देव को अर्घ्य दें. इसके बाद घर को गंगाजल से शुद्ध कर एक चौकी पर वेदी बनाकर माता मातंगी की प्रतिमा रखें. इसके बाद अगरबत्ती और दीया जलाएं, फल, दीप, अक्षत अर्पित करने के बाद फूल, नारियल, माला, प्रसाद चढ़ाइये, वस्त्र, कुमकुम और श्रृंगार का सामान भेंट करें. इसके बाद देवी मातंगी की आरती करें और मातंगी माता के मंत्रों का जाप करें. इसके बाद परिवार के सदस्यों को प्रसाद बांटें. इस दिन गरीबों को यथासंभव दान भी करना चाहिए. इस दिन छोटी लड़कियों की देवी के रूप में पूजा की जाती है और उन्हें प्रसाद चढ़ाया जाता है.
मातंगी माता का मंत्र
ॐ ह्रीं ऐं भगवती मतंगेश्वरी श्रीं स्वाहा॥
मां मातंगी का ध्यान
श्यामांगी शशिशेखरां त्रिनयनां वेदैः करैर्विभ्रतीं,
पाशं खेटमथांकुशं दृढ़मसिं नाशाय भक्तद्विषाम् ।
रत्नालंकरणप्रभोज्जवलतनुं भास्वत्किरीटां शुभां,
मातंगी मनसा स्मरामि सदयां सर्वाथसिद्धिप्रदाम् ।।
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