झारखंड में सत्ता की कमान तीसरी बार संभालने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोमवार को कैबिनेट के साथ मंत्रियों के विभागों का बंटवारा भी कर दिया है. हेमंत ने कैबिनेट में 6-4-1 का फॉर्मूला बनाकर सहयोगी दल कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) को संतुष्ट रखने की कवायद की है. साथ ही इंडिया गठबंधन ने कैबिनेट के जरिए प्रदेश के जातीय समीकरण साधने के साथ ही क्षेत्रीय संतुलन बनाने की कोशिश की है ताकि 4 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव की सियासी बिसात बिछाई जा सके.
सोरेन ने अपने मंत्रिमंडल में अपनी पत्नी कल्पना सोरेन और भाई बसंत सोरेन को जगह न देकर परिवारवाद के नैरेटिव को भी तोड़ने की स्ट्रैटेजी अपनाई है. विधानसभा चुनाव से ठीक पहले झारखंड की सियासत पूरी तरह से 360 डिग्री पर घूम गई है. चंपई सोरेन की जगह मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने वाले हेमंत सोरेन ने अपनी नई कैबिनेट में 11 मंत्री बनाए हैं, जिसमें 6 झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) कोटे से हैं, जबकि 4 कांग्रेस और एक आरजेडी कोटे से मंत्री बनाया गया है.
कैबिनेट विस्तार के साथ ही शपथ लेने वाले नए मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा भी कर दिया गया है. हेमंत सोरेन ने 2 नए चेहरों को अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया है तो कई मंत्रियों के विभाग में फेरबदल किया हैं. पहली बार मंत्री बनने वाले इरफान अंसारी और दीपिका पांडेय सिंह को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है.
कैबिनेट में किसे मौका, किसका कटा पत्ता
हेमंत सोरेन कैबिनेट में पूर्व सीएम चंपाई सोरेन को फिर से मंत्री बनाया गया है. कैबिनेट में डॉक्टर रामेश्वर उरांव, सत्यानंद भोक्ता, बैद्यनाथ राम, दीपक बिरुवा, बन्ना गुप्ता, इरफान अंसारी, मिथिलेश ठाकुर, हफीजुल हसन अंसारी, बेबी देवी और दीपिका पांडेय सिंह को जगह मिली है. मुख्यमंत्री सोरेन सहित कैबिनेट में 12 सदस्य शामिल किए गए हैं. कांग्रेस कोटे से बादल पत्रलेख की जगह नए मंत्रिमंडल में दीपिका पांडेय सिंह ने मंत्री के रूप में शपथ ली तो आलमगीर आलम की जगह कांग्रेस की ओर से इरफान अंसारी को मौका दिया गया.
जेएमएम कोटे से बैद्यनाथ राम को भी मंत्री बनाया गया है. जेएमएम-कांग्रेस और आरजेडी कोटे से अन्य सभी पुराने मंत्रियों को फिर से मौका मिला. लेकिन चंपाई सोरेन की कैबिनेट में शामिल होने से हेमंत सोरेन के छोटे भाई और पूर्व मंत्री बसंत सोरेन को मंत्री नहीं बनाया गया है.
हेमंत ने कैबिनेट से साधा जातीय समीकरण
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपनी कैबिनेट के जरिए जातीय समीकरण को साधने की कवायद की और सभी समुदाय को कैबिनेट में प्रतिनिधित्व दिया है. अगड़ी जातियों से लेकर दलित, मुस्लिम और ओबीसी वोट बैंक को पूरी तरह से साधने की कोशिश की गई है. आदिवासी समाज को कैबिनेट में खास तवज्जो मिली है तो ओबीसी से कुर्मी समाज को भी मौका दिया गया है. सीएम हेमंत सोरेन सहित 4 आदिवासी नेताओं को कैबिनेट में जगह मिली है, उसके बाद 2 ओबीसी, 2 मुस्लिम, 2 दलित, एक ब्राह्मण और एक ठाकुर समुदाय से आते हैं.
जेएमएम कोटे से जातीय समीकरण साधने के लिए मिथिलेश ठाकुर (ब्राह्मण), चंपाई सोरेन (आदिवासी), बेबी देवी (कुर्मी), हफीजुल हसन अंसारी (मुस्लिम), दीपक बिरुआ (अनुसूचित जनजाति) और बैद्यनाथ राम अनुसूचित जाति समाज से आते हैं. इस तरह आदिवासी, मुस्लिम, कुर्मी निर्णायक भूमिका निभाते हैं. लिहाजा, हेमंत ने अगड़ी के साथ-साथ दलित वोट बैंक पर भी साधा है. कांग्रेस ने आदिवासी समाज से आने वाले डॉ. रामेश्वर उरांव, मुस्लिम समाज से इरफान अंसारी, अगड़ी जाति से दीपिका पांडेय सिंह और ओबीसी से बन्ना गुप्ता को मंत्री बनाया. आरजेडी से सत्यानंद भोक्ता को मंत्री बनाया गया है, जो दलित समुदाय से आते हैं.
हेमंत ने बिछाई विधानसभा चुनाव की बिसात
हेमंत सोरेन ने अपनी पत्नी कल्पना सोरेन और भाई बसंत सोरेन को मंत्री न बनाकर परिवारवाद के आरोपों के आरोपों को दरकिनार करने की कोशिश की है. इसके साथ ही कैबिनेट में जिस तरह से आदिवासी समुदाय से लेकर दलित, पिछड़े, अगड़े और मुस्लिम समुदाय को जगह दी है, उसके जरिए विधानसभा चुनाव का दांव चला है. राज्य में सबसे बड़ी आबादी आदिवासी समुदाय की है, जिसके चलते कैबिनेट में सबसे ज्यादा जगह आदिवासी नेताओं को दी गई है. हेमंत खुद सीएम के पद पर हैं तो चंपाई सोरेन और दीपक बिरुआ मंत्री बनाए गए हैं. इसके अलावा कांग्रेस के आदिवासी चेहरा माने जाने वाले रामेश्वर उरांव को भी मंत्रिमंडल में जगह मिली है.
झारखंड में करीब 26 फीसदी आदिवासी समुदाय है, जो किसी भी दल का खेल बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखता है. राज्य में 55 फीसदी ओबीसी समुदाय आती है, जो सबसे अहम माने जाते हैं. कांग्रेस और जेएमएम दोनों ही दलों ने अपने-अपने कोटे से एक-एक ओबीसी मंत्री बनाया है. कांग्रेस ने ओबीसी से बन्ना गुप्ता को मंत्री बनाया तो जेएमएम ने बेबी देवी को कैबिनेट में जगह दी है. बेबी देवी कुर्मी समुदाय से आती हैं, जो ओबीसी में सबसे अहम फैक्टर माने जाते हैं.
झारखंड में 14 फीसदी मुसलमान वोटर्स
अगड़ी जाति से जेएमएम और कांग्रेस दोनों ने अपने-अपने कोटे से एक-एक मंत्री बनाए हैं. जेएमएम ने ब्राह्मण समुदाय को साधे रखने के लिए मिथिलेश ठाकुर को मंत्री बनाया है, जो मैथिली ब्राह्मण हैं. कांग्रेस ने दीपिका पांडेय सिंह को मंत्री बनाकर सियासी संदेश देने की कोशिश की है.
राज्य में दलितों की आबादी 11 फीसदी के करीब है. जेएमएम-कांग्रेस ने अपने-अपने कोटे से एक-एक मंत्री दलित समाज से भी बनाया है तो आरजेडी कोटे से मंत्री बने सत्यानंद भोक्ता दलित समुदाय से आते हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव में राज्य में इंडिया गठबंधन को दलित और आदिवासी समुदाय का अच्छा समर्थन मिला है.
ऐसे में दलित वोटों को साधे रखने के लिए इंडिया गठबंधन के तीनों दलों ने अपने-अपने कोटे से जगह देकर सियासी संदेश देने का दांव चला है. झारखंड में 14 फीसदी मुसलमान वोटर हैं, जिन्हें जेएमएम और कांग्रेस का कोर वोटबैंक माना जाता है. इसीलिए दोनों ही दलों ने अपने-अपने कोटे से एक-एक मुस्लिम को मंत्री बनाया है और उन्हें अहम विभागों की जिम्मेदारी सौंपी है.
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