महंगे पत्थर, शीशा और लकड़ी से बनी है भोले बाबा की ये आलीशान ‘कुटिया’, यहां पत्नी के नाम है करोड़ों की संपत्ति
2 जून को हाथरस में हुए वीभत्स हादसे में 121 लोगों को मौत हो गई. नारायण साकार विश्व हरि उर्फ भोले बाबा के सत्संग में यह बड़ा हादसा हुआ. इस घटना के बाद से भोले बाबा गायब हैं. पुलिस उनकी तलाश में है. हादसे के बाद बाबा के कई आलीशान आश्रम सामने आ रहे हैं. इन्हीं में एक उत्तर प्रदेश के संभल जिले में मौजूद भोले बाबा प्रवास कुटिया भी है.
जिले की चंदोसी तहसील के गांव सराय सिकंदर के करीब भोले बाबा का आश्रम बना हुआ है. करोड़ों रुपयों की लागत से बना इस आश्रम पर सन्नाटा पसरा है. आश्रम पर रहने वाले सेवादार के मुताबिक, 12 साल पहले इस आलीशान आश्रम को बनाया गया था. इस आश्रम को 10 बीघा जमीन पर बनाया गया है.
12 साल पहले बनी कुटिया
आश्रम पर रहने वाले सेवादार ने बताया कि संभल जिले में नारायण साकार विश्व हरि उर्फ भोले बाबा के हजारों अनुयायी हैं. भोले बाबा की इस कुटिया का निर्माण 12 साल पहले उनकी कमेटी द्वारा किया गया था. उन्होंने बताया कि भोले बाबा यहां तीन से चार बार ही प्रवास किए हैं. भोले बाबा यहां जब भी आए वह 7 दिन से कम नहीं रुके. कुटिया बनने के बाद वह सबसे ज्यादा एक माह तक यहां रुके. कुटिया से निकट मैदान में भोले बाबा ने सत्संग भी किया था.
माता श्री के नाम है करोड़ों की संपत्ति
कुटिया पर किसका मालिकाना हक है? इस बारे में सेवादार ने बताया कि माता जी यानी भोले बाबा की पत्नी के नाम यह संपत्ति रजिस्टर्ड है. साथ ही कई एकड़ जमीन भी उनके नाम है. संभल जिले में भी भोले बाबा के मानने वाले काफी संख्या में हैं. जिस स्थान पर बाबा की कुटिया है उसके आसपास जितने भी ईंट भट्ठा हैं वह सभी भोले बाबा के नाम पर हैं. इनमें भोले बाबा विश्व हरि ईंट उद्योग, साकार विश्व हरि ईंट उद्योग, नारायण हरि ईंट उद्योग शामिल हैं.
हाथरस हादसे में जिले की एक महिला की मौत
2 जून को हाथरस में नारायण साकार विश्व हरि के सत्संग में मची भगदड़ हादसे में 121 लोगों की मौत हुई थी. इनमें संभल जिले की एक महिला भी शामिल हैं. जिले के अनुयायी सत्संग में शामिल होने के लिए कई बसों के जरिए गए थे. हादसे का शिकार हुई महिला जिले के गुन्नौर थाना इलाके के उदयभान पुर गांव की रहने वाली थी. पोस्टमार्टम के बाद महिला का शव परिजनों को सौंप दिया था. मृतक महिला के परिजनों ने उसका अंतिम संस्कार नरौरा गंगा घाट पर किया है.
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