क्या ईरान में नहीं बनती भारत की तरह गठबंधन सरकार? जानें एक ही हफ्ते में क्यों कराया जा रहा दोबारा चुनाव
ईरान के राष्ट्रपति चुनाव में इस बार वोटिंग प्रतिशत में रिकॉर्ड गिरावट देखने को मिली है. 28 जून को हुए मतदान में 4 उम्मीदवारों में से कोई भी 50 फीसद का आंकड़ा नहीं पार कर पाया है. वोटिंग में कुल 40 फीसद यानी 61 मिलियन लोगों ने मतदान किया. 1979 की क्रांति के बाद से इस चुनाव में सबसे कम मतदान हुआ है. इस चुनाव में सबसे ज्यादा वोट सुधारवादी उम्मीदवार मसूद पेजेशकियन को 10.41 मिलियन मिले और रुढ़िवादी सईद जलाली को 9.47 मिलियन वोट हासिल किए. लेकिन दोनों में से कोई भी 50 फीसद वोट का आंकड़ा नहीं छू पाया. जिसके बाद 5 जुलाई को दोनों उम्मीदवारों के बीच रन ऑफ मुकाबला होगा.
देश का 14वें राष्ट्रपति बनने की दौड़ में 4 उम्मीदवार मैदान में थे, जिनमें से टॉप दो के बीच रन ऑफ में मुकाबला होगा. ईरान में अगर किसी भी उम्मीदवार को 50 फीसदी से कम वोट मिलते हैं तो चुनाव का दूसरा चरण आयोजित किया जाता है. रन ऑफ में जिसको ज्यादा वोट मिलेंगे वहीं ईरान का अगला राष्ट्रपति बनेगा.
क्यों नहीं बनती गठबंधन सरकार?
ईरान में राष्ट्रपति प्रणाली है जिसका मतलब है कि देश का मुख्या राष्ट्रपति होता है. यहां राष्ट्रपति सर्वोच्च निर्वाचित नेता होता है और सुप्रीम लीडर के बाद उसकी अहमियत दूसरे नंबर पर होती है. ईरान के चुनाव पार्टी बेस पर नहीं लड़े जाते बल्कि राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार अपनी दावेदारी गार्जियन काउंसिल के सामने पेश करते हैं. चुनाव कौन लड़ेगा कौन नहीं इसका फैसला गार्जियन काउंसिल करती है. गार्जियन काउंसिल सीधे तौर से सुप्रीम लीडर से जुड़ी होती है.
यहां भारत की तरह बहुमत हासिल न कर पाने के बाद किसी और पार्टी या उम्मीगवार का समर्थन नहीं लिया जा सकता. बल्कि जो उम्मीदवार पहले और दूसरे नंबर पर आते हैं उनके बीच रन ऑफ मुकाबला होता है.
रन ऑफ से पहेल हुई उम्मीदवारों में बहस
रन ऑफ से पहले मसूद पेजेशकियन और सईद जलाली के बीच एक ईरानी न्यूज चैनल पर बहस हुई. दोनों नेताओं एक दूसरी की विदेश नीति पर निशाना साधा और जनता के सामने खुद को बेहतर राष्ट्रपति पद का दावेदार साबित करने की कोशिश की. मसूद पेजेशकियन ने सईद जलीली पर हमला करते हुए पूछा, “मुझे बताइए, आपने किस एक कंपनी के साथ मिलकर देश चलाने में सफलता पाई है?” दूसरी ओर सईद जलीली ने दावा किया कि मसूद पेजेशकियन अगर सत्ता में आए तो वे ईरान की विदेश नीति को कमजोर कर देंगे और अमेरिका, EU के सामने झुक जाएंगे.
زندگی مردم روز به روز بدتر میشود و قیمتها زیاد میشود ولی آقای جلیلی میگوید تحریمها را خنثی کردید.
آقای جلیلی! بله شما میتوانید بایستید ولی مردم نمیتوانند زندگی کنند.
— Masoud Pezeshkian (@drpezeshkian) July 1, 2024
इससे पहले 2005 के राष्ट्रपति चुनाव में रनऑफ वोटिंग की गई थी. उस साल भी किसी उम्मीदवार को 50 फीसद से ज्यादा वोट नहीं मिल पाए थे. तब अहमदीनेजाद ने जीत हासिल की थी. अब देखना है कि 5 जुलाई को होने वाले रन-ऑफ चुनाव में दोनों नेताओं में से किसे जीत मिलती है.
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