उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी में एंबुलेंस की आस में रातभर परिवार मरीज के शव को लेकर बैठा रहा, लेकिन उन्हें मदद नहीं मिली. मेडिकल कॉलेज की लापरवाही की वजह से परिवार को परेशानी का सामना करना पड़ा. आरोप है कि मेडिकल कॉलेज मंझनपुर में मरीज की मौत के बाद उसके शव को घर ले जाने के लिए परिवार के सदस्य सुबह तक एम्बुलेंस की मांग करते रहे, लेकिन मेडिकल कॉलेज की तरफ से कोई मदद नहीं मिली.
सुबह जब चीफ मेडिकल अफसर टहलने निकले तो उन्होंने एंबुलेंस के लिए परेशान परिवार को देखा. उनका हाल जाना और परेशानी सुनने के बाद अस्पताल के स्टाफ को फटकार लगाई और एम्बुलेंस का इंतजाम कराया. इसके बाद मरीज का परिवार शव के साथ घर पहुंचे और उसका अंतिम संस्कार किया. कड़ा धाम थाना क्षेत्र के बड़नावां गांव के सुरेमन की मौत की वजह से पहले ही परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल था. कई दिनों तक अस्पताल में रहने के बाद भी युवक की जान नहीं बच सकी.
सुरेमन एक दिन साइकिल से बाजार जाते समय गुलामीपुर स्थित निजी गेस्ट हाउस के पास बाइक से टक्कराकर घायल हो गया. इसके बाद उसे मेडिकल कॉलेज मंझनपुर में भर्ती कराया गया. भर्ती कराने के 25वें दिन मंगलवार की रात उसकी सांसें थम गईं और मौत हो गई. मृतक के परिवार वाले रात भर एम्बुलेंस के लिए अस्पताल से मदद की गुहार लगाते रहे, लेकिन स्टाफ ने उनसे सीधे मुंह बात तक न की.
क्या बोले सुरेमन के परिजन?
सुरेमन के परिजन का कहना था कि सुबह चीफ मेडिकल अफसर डॉ. एसके शुक्ला नहीं आते तो एम्बुलेंस नहीं मिल पाती. उन्होंने स्टॉफ के व्यवहार पर नाराजगी जाहिर की.
खराब हो गई थी गाड़ी
चीफ मेडिकल अफसर डॉ. एसके शुक्ला ने स्टाफ को दोबारा इस तरह की लापरवाही न करने की चेतावनी देकर छोड़ दिया. उन्होंने कहा कि वाहन में खराबी आ गई थी, इसलिए रात को व्यवस्था नहीं हो सकी. सुबह वाहन उपलब्ध करा दिया गया था.
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