सरकार जल्द ही वित्त वर्ष 2024-25 का पूर्ण बजट पेश कर सकती है. मोदी 3.0 का ये पहला बजट है. देश में ऑटो सेक्टर में सबसे तेजी से बदलाव देखने को मिल रहे हैं. एक तरफ फ्यूल के लेवल पर कारों से लेकर बाइक तक में पेट्रोल डीजल के बजाय इलेक्ट्रिक, सीएनजी और हाइब्रिड के ऑप्शंस आ रहे हैं. वहीं सेफ्टी एक बड़ा बायिंग फैक्टर बनता जा रहा है. ऐसे में ऑटो सेक्टर की बजट से क्या आस है. चलिए समझते हैं…
ऑटो सेक्टर में एसयूवी की सेल जहां अब भी स्ट्रॉन्ग बनी हुई है. वहीं कमर्शियल व्हीकल की सेल्स में पॉजिटिव ट्रेंड है. लेकिन इस बीच ऑटो सेक्टर को रूरल डिमांड में कमी देखने को मिल रही है. इसलिए वह चाहता है कि सरकार इस पर फोकस करे.
रूरल डिमांड के साथ इनोवेशन पर हो फोकस
चुनाव में एनडीए सरकार को उम्मीद के मुताबिक सीटें नहीं मिली हैं. ऐसे में इंडस्ट्री एक्सपर्ट का मानना है कि सरकार का जोर रूरल सेगमेंट में ज्यादा खर्च करने पर हो सकता है. इसके लिए सरकार कैपिटल एक्सपेंडिचर बढ़ा सकती है. ऑटो सेक्टर को इससे फायदा ही होगा, क्योंकि ये रूरल डिमांड को बढ़ाने में मदद करेगा. खासकर के 2-व्हीलर और एमपीवी सेक्टर में.
इसके अलावा देश के ऑटो सेक्टर में कई बदलाव देखने को मिल रहे हैं जैसे कि इलेक्ट्रिक व्हीकल को लेकर बिहेवियर चेंज आना और अन्य फ्यूल ऑप्शन पर काम करना. ऐसे में डिमांड ग्रोथ को बनाए रखने के लिए सरकार को इनोवेशन को बढ़ावा देने वाले सेगमेंट्स पर भी ध्यान देना चाहिए.
ईवी को लेकर बने कारगर योजना
देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल का अडॉप्टेशन बढ़े. इस ओर भी सरकार को ध्यान देने की जरूरत है. ऐसा इंडस्ट्री एक्सपर्ट मानते हैं. मिंट ने भी सैमको सिक्योरिटीज के रिसर्च एनालिस्ट अमर नंदू के हवाले से लिखा है कि सरकार को फेम सब्सिडी का फायदा आगे बढ़ाने की जरूरत है. इससे जहां ऑटोमोबाइल मैन्यूफैक्चरर्स को मदद मिलेगी. वहीं देश में ईवी के अडॉप्शन की ग्रोथ बनी रहेगी.
लोगों के हाथ में आए खर्च का पैसा
बजट में सरकार से टैक्स रिफॉर्म की भी उम्मीद है. खासकर के 2-व्हीलर्स पर जीएसटी को लेकर. वहीं इनकम टैक्स में रिफॉर्म या छूट का दायरा बढ़ाने से लोगों के हाथ में पैसा बचेगा, जो डिस्पोजेबल इनकम को खर्च करने की वजह देगा. ये मार्केट में ओवरऑल डिमांड को बढ़ाएगा.
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