दिल्ली के कथित शराब घोटाले मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक और बड़ा झटका लगा है. सीबीआई ने केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया है. गिरफ्तारी से पहले सीएम केजरीवाल को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया गया. सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कोर्ट से केजरीवाल की रिमांड की मांग की जिसे जस्टिस अमिताभ की बेंच ने स्वीकार कर लिया है.
जांच एजेंसी ने कहा कि हमें केजरीवाल को हिरासत में ले जाकर पूछताछ करने की इजाजत दी जाए. वहीं केजरीवाल के वकील विक्रम चौधरी ने सीएम को हिरासत में लेने को चिंताजनक बताया है. इस बीच सीबीआई ने अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी किस आधार पर की है इसे विस्तार से कोर्ट के सामने रखा है.
2021 में शराब नीति को लेकर हुई बैठक: CBI
सीबीआई ने कोर्ट से कहा है कि उनके पास केजरीवाल को गिरफ्तार करने के लिए पर्याप्क सबूत है. सीबीआई के मुताबिक 16 मार्च 2021 को एक शराब कारोबारी से संपर्क किया गया कि केजरीवाल शराब नीति को लेकर मिलना चाहते हैं. 20 मार्च को के कविता और मगुनता रेड्डी की मुलाकात हुई.
विजय नायर, आम आदमी पार्टी के कम्युनिकेशन इंचार्ज को बैठक को ऑर्डिनेट करने के लिए कहा गया. सीबीआई ने कहा कि जब कोराना महामारी अफने चरम पर थी, कोविड लॉकडाउन लगा था उसके बावजूद प्राइवेट प्लेन से साउथ से एक टीम दिल्ली आई. मीटिंग हुई. बुच्चीबाबू ने रिपोर्ट विजय नायर को दी और फिर वो सिसोदिया के पास फाइल पहुंची.
हमारे पास पैसे का ट्रेल है: CBI
साउथ ग्रुप ने बताया कि दिल्ली की शराब नीति कैसी होनी चाहिए. सीबीआई ने कोर्ट के सामने कहा है हमारे पास गोवा ट्रेल के बारे में पर्याप्त सबूत है कि किसने किसको पैसे दिए. सीबीआई ने गिरफ्तारी के ग्राउंड में ये भी बताया है कि इलेक्शन के लिए दिए गए पैसे खर्च किए गए. साउथ ग्रुप के कहने पर ही शराब पॉलिसी में बदलाव हुए.
सीबीआई ने कहा है कि एडवांस के तौर पर उसी समय साउथ ग्रुप की तरफ से 100 करोड़ दिए गए ताकि प्रॉफिट मार्जिन बढ़ाकर 6 से 12 करा दिया गया. सारा पैसा नकद दिया गया है. सीबीआई ने कहा हम 44 करोड़ रुपये के बारे में पता लगा पाए हैं और यह भी पता लगा पाए हैं कि यह पैसा गोवा कैसे पहुंचा और इसका इस्तेमाल कैसे किया गया. चनप्रीत सिंह ने चुनाव के लिए, गोवा के प्रत्याशियों के लिए और यहां तक कि सीएम के वहां रहने के लिए भी पैसे दे रहा है.
LG ऑफिस के सुझावों पर नहीं किया गया गौर
अभिषेक बोइनपल्ली ने विजय नायर के माध्यम से मनीष सिसोदिया को एक रिपोर्ट भेजी. सिसोदिया के सचिव सी अरविंद ने रिपोर्ट टाइप की और इसे उनके कैंप कार्यालय (सीएम) में दिया गया. जब रिपोर्ट एलजी ऑफिस गई तो उस पर विचार किया गया और 7 सवाल उठाए गए लेकिन उन पर कभी चर्चा नहीं हुई.
एलजी ऑफिस से एकमात्र सुझाव यह आया कि इसे मंत्रियों के समूह (GOM) के माध्यम से भेजा जाना चाहिए और इस पर विचार नहीं किया गया. सबकुछ जल्दबाजी में किया गया. सर्कुलेशन के ज़रिए हस्ताक्षर लिए गए. कोई भी इंतज़ार नहीं करना चाहता था.
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