गाजा जंग को आठ महीने से ऊपर का वक्त बीत गया है, लेकिन इसके रुकने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं, इसके साथ ही अब इजराइल नॉर्दर्न फ्रंट पर भी ईरान समर्थिक मिलिशिया हिजबुल्लाह से फुल फ्लेश वॉर की तैयारी कर रहा है. हाल ही में दोनों के बीच बढ़े तनाव के बाद हमास के खिलाफ शुरू हुई इस जंग का लेबनान, ईरान, साइप्रस और अमेरिका आदि तक फैलने का डर बन गया है. इजराइल ने हमास को खदेड़ते हुए सेंट्रल गाजा और उत्तरी गाजा का कंट्रोल लिया और अब दक्षिण गाजा में भी हमास के साथ सीधे लड़ाई कर रही है.
हिजबुल्लाह के साथ तनाव बढ़ने के बाद ये लड़ाई क्या मोड़ लेगी और ये कितनी लंबी चल सकती है, इस पर जानकारों का अलग-अलग मत है. जंग शुरू होने के बाद के सूरत-ए-हाल का अंदाजा लगाना के लिए हमें पहले हिजबुल्लाह और हमास के बीच के फर्क को समझना पड़ेगा. हमास और हिजबुल्लाह दोनों को ही ईरान का समर्थन मिलता है, लेकिन दोनों में एक बड़ा अंतर है. हमास के मुकाबले हिजबुल्लाह कई गुना ताकतवर है और उसके पास मिसाइल और रॉकिट्स का बड़ा जखीरा होने के साथ-साथ अपनी मजबूत इंटेलिजेंस यूनिट भी है. हिजबुल्लाह की ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसने कई अरब देशों को एक साथ हराने वाले इजराइल को 2006 की जंग में अकेले ही बुरी तरह हरा दिया था.
ईरान के ज्यादा करीब कौन?
हमास और हिजबुल्लाह दोनों को अमेरिका, यूरोपीय संघ और कई अन्य देशों ने आतंकवादी संगठन करार दिया है. दोनों समूहों को ईरान का समर्थन प्राप्त है और वे इजरायल को अपना कट्टर दुश्मन मानते हैं. हमास कमोबेश गाजा तक ही सीमित है, वहीं हिजबुल्लाह ने पिछले कुछ सालों में हसन नसरल्लाह के नेतृत्व में खुद को एक प्रभावशाली राजनीतिक दल और क्षेत्रीय ताकत के रूप में बदल लिया है.
हाल ही में ‘द कन्वर्सेशन’ के लिए यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन की प्रोफेसर जूली एम.नॉर्मन ने लिखा, “हमास को ईरान से लगातार फंड, हथियार और ट्रेनिंग मिल रही है, लेकिन वे ईरान के उतना नियंत्रण में नहीं है जितना हिजबुल्लाह है. हिजबुल्लाह पूरी तरह ईरान से जुड़ा है और उसके निर्देशों का पालन करता है.”
हमास की ताकत
हमास 1987 में मिस्र की दक्षिणपंथी पार्टी मुस्लिम ब्रदरहुड की एक शाखा के तौर पर गाजा पट्टी में सक्रिय हुआ. गाजा में अपना कब्जा जमाने और फतह को वैस्टबैंक तक सीमित करने के बाद इसकी सैन्य शाखा अल-क़स्साम ब्रिगेड ने गाजा के नीचे सुरंगों का एक नेटवर्क विकसित किया है, जिसका इस्तेमाल वे इजराइल के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध, हथियार सप्लाई, बंधकों कैद आदि में करते हैं.
हमास के पास इम्प्रोवाइज्ड रॉकेट, मोर्टार, विस्फोटक, एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल और कंधे से लॉन्च की जाने वाली एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल (MANPADS) है. हमास को उसके हथियारों से ज्यादा, हथियारों को छुपाने के लिए जाना जाता है, गाजा की सीमाओं पर कंट्रोल और कड़े इंटेलिजेंस पहरे के बाद भी इजराइल जिनका पता लगाने में विफल रहता है.
हमास के पास M-75, R-160 और J-80 के अलावा कई तरह के रॉकेट हैं, जो 50 मील तक की दूरी तक मार कर सकते हैं. कुछ खबरों के मुताबिक उसके पास ईरानी और सीरियाई मदद से मिले लंबी दूरी के रॉकेट भी है. हमास ने हाल ही में ईरानी अबाबिल-2 की तर्ज पर एक सुसाइड ड्रोन बनाया है. अगर हमास के छोटे हथियारों की बात करें, तो हमास के लड़ाके मुख्य रूप से पुरानी चीनी और रूसी असॉल्ट राइफलों, मशीन गन और ग्रेनेड का इस्तेमाल करते हैं. उनके पास AK-47 के वेरिएंट, स्नाइपर राइफल, रॉकेट-प्रोपेल्ड ग्रेनेड और भारी मशीन गन देखी जाती हैं.
हमास की कम हुई ताकत
महीनों तक चले युद्ध के बाद हमास ने अपनी ताकत का महत्वपूर्ण हिस्सा खो दिया है. खबरों के मुताबिक 7 अक्टूबर से पहले हमास के पास लगभग 30,000 लड़ाके थे, IDF का दावा है कि तब से अब तक लगभग 12,000 हमास के फाइटर्स को उन्होंने मार गिराया है.
हिजबुल्लाह की लगातार बढ़ रही ताकत
हिज़्बुल्लाह का मतलब ‘ईश्वर की पार्टी’ है. हिज़्बुल्लाह एक ईरान समर्थित समूह है जो 1982 में दक्षिणी लेबनान पर इजराइल के कब्जे से लड़ने के लिए बना था. 2006 में इजराइल से जंग के बाद हिजबुल्लाह ने अपनी ताकत को लगातार बढ़ाया है. 2006 में इजराइल को हराने के बाद लेबनान की जनता के बीच उसकी अहमियत बढ़ गई और ईरान की सपोर्ट के साथ उसको जनता का साथ भी मिलने लगा. हिजबुल्लाह महज मिलिशिया तक सीमित न रहकर अब लेबनान का एक बड़ा पॉलिटिकल ग्रुप भी है और लेबनान की पॉलिसीज में अपना दखल रखता है.
हिजबुल्लाह के पास हथियारों का ज़खीरा
इजराइल का मानना है कि हिजबुल्लाह के पास करीब 150,000 रॉकेट और मिसाइल हैं, जिनमें ईरानी फ़तेह-110 और ज़ेलज़ल-2 शामिल हैं, जो पिन टार्गेट के साथ इजराइली के अंदर तक हमला करने में सक्षम हैं. यह रॉकेट युद्ध की स्थिति में इजराइल के आयरन डोम को भी तबाह कर सकते हैं.
हिजबुल्लाह जासूसी और ऑपरेशन्स के लिए बड़े पैमाने पर ड्रोन का इस्तेमाल करता है, जिससे उसको खुफिया जानकारी जुटाने और टार्गेटेड अटैक करने में मदद मिलती है. हाल ही में हिजबुल्लाह ने अपने ड्रोन से ली गई इजराइल के शहरों की तस्वीरे भी शेयर की थी. हिजबुल्लाह के हथियारों के जखीरे में रूसी निर्मित याखोंट और चीनी सिल्कवर्म एंटी-शिप मिसाइलें शामिल हैं, जिन की रेंज लगभग 186 मील है. हालांकि इजराइल का एयर डिफेंस काफी हद तक इन चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार है, लेकिन हिजबुल्लाह कमतर नहीं आंका जा सकता है.
मिलिशिया के चीफ नसरल्लाह पहले ही इजराइल को चेतावनी दे चुके हैं कि हमें हमास न समझा जाए. नसरल्लाह के मुताबिक हिजबुल्लाह के पास 1 लाख से ज्यादा लड़ाके हैं. हमास की तरह ही नॉर्दर्न लेबनान में हिजबुल्लाह ने भी सुरंगों का एक व्यापक नेटवर्क विकसित किया है, जो इजराइल के हवाई हमलों से बचने में खासा मदद करता है.
हमास इजराइल की ओर कम दूरी से मार करने वाले रॉकेट छोड़ता है, जिसको रोकने में अगर एयर डिफेंस फैल भी हो जाता है, तो उनसे ज्यादा नुकसान नहीं हो पाता है. हिजबुल्लाह के पास मौजूद मिसाइल इजराइल के लिए एक बड़ा खतरा हैं क्योंकि एयर डिफेंस को चकमा देने के बाद ये इजराइल के शहरों को बड़ा नुकसान पहुंचा चुके हैं. नसरल्लाह और दूसरे हिजबुल्लाह लीडर्स की जंग के लिए तत्परता दिखाती है कि उनकी तैयारी मजबूत है, वहीं अमेरिका और इजराइल के दूसरे अलायंस शांति का आग्रह कर रहे हैं. जिससे जाहिर होता है कि हिजबुल्लाह की ताकत हमास से कई गुना ज्यादा है और इसको इजराइल और उसके अलायंस बखूबी जानते हैं.
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