अब विधानसभा चुनाव को लेकर टेंशन में महाराष्ट्र बीजेपी, सहयोगी करने लगे सीटों की खुली डिमांड

महाराष्ट्र में एक तरफ लोकसभा चुनाव में हुई करारी हार की समीक्षा बीजेपी कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ विधानसभा चुनाव को लेकर सहयोगी दलों ने उसकी मुश्किलें बढ़ानी शुरू कर दी है. महाराष्ट्र में एनडीए के 2 बड़े सहयोगियों ने सीटों को लेकर अपनी दावेदारी ठोक दी है.

सीटों की पहली दावेदारी एनसीपी के छगन भुजबल की तरफ से की गई है. भुजबल ने आगामी विधानसभा चुनाव में एनसीपी के 80 सीटों पर लड़ने की बात कही है. सीटों को लेकर एनडीए के भीतर दूसरी बड़ी दावेदारी एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने की है. शिवसेना नेता रामदास कदम ने महाराष्ट्र में 100 सीटों की मांग की है.

महाराष्ट्र में अब से 4 महीने बाद 288 सीटों के लिए विधानसभा के चुनाव होने हैं, जहां एनडीए का सीधा मुकाबला इंडिया गठबंधन से है. चुनाव के बाद जिस तरह से सीटों की दावेदारी शुरू हुई है, वो आने वाले वक्त में बीजेपी के लिए चुनौतीपूर्ण रहने वाला है. इसकी 2 मुख्य वजहें हैं-

1. बीजेपी के वोट प्रतिशत और सांसदों की संख्या में गिरावट और 2. महाराष्ट्र में एनडीए के दलों का बढ़ता कुनबा.

महाराष्ट्र एनडीए में कौन-कौन है?

2014 और 2019 के मुकाबले अभी महाराष्ट्र में एनडीए का स्वरूप बदला हुआ है. महाराष्ट्र में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में वर्तमान में 6 दल शामिल हैं. 2014 में 5 और 2019 में 4 दल एनडीए में थे

बीजेपी महाराष्ट्र में एनडीए की सबसे बड़ी पार्टी है. इसके साथ ही गठबंधन में एकनाथ शिंदे की नेतृत्व वाली शिवसेना, अजित पवार की नेतृत्व वाली एनसीपी शामिल हैं. इन दोनों दलों के पास विधायक और सांसद दोनों हैं.

राम दास अठावले की आरपीआई और राज ठाकरे की मनसे भी गठबंधन का हिस्सा है. रामदास अठावले मोदी सरकार में मंत्री भी हैं. वहीं चुनाव से पहले मनसे ने बीजेपी को समर्थन दिया था. इन दलों के अलावा एनडीए में महादेव जांकर की राष्ट्रीय समाज पक्ष भी एनडीए का हिस्सा है.

अब जानिए सीटों को लेकर दलों की दावेदारी

1. बीजेपी- सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते सीट बंटवारे का जिम्मा बीजेपी पर ही है. हालांकि अब तक का जो इतिहास रहा है, उसके मुताबिक एनडीए में बीजेपी ही सबसे ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगी.

2014 में बीजेपी 260 और 2019 में 144 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. 2014 में उसे 122 और 2019 में 105 सीटों पर जीत मिली थी. वर्तमान में बीजेपी के पास 106 विधायक हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी 28 सीटों पर लड़ी थी, जो कुल सीटों का 58 प्रतिशत है.

2. शिवसेना- एकनाथ शिंदे की नेतृत्व वाली शिवसेना के पास वर्तमान में 38 विधायक हैं. शिवसेना लोकसभा चुनाव में 15 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, जिसमें से उसे 7 सीटों पर जीत मिली. शिवसेना अब विधानसभा में 100 सीटों की मांग कर रही है.

पार्टी की तरफ से यह मांग वरिष्ठ नेता रामदास कदम ने रखी है. पार्टी का तर्क है कि 2019 में अविभाजीत शिवसेना को 124 सीटें दी गई थी. विभाजीत होने के बाद भी हमारा परफॉर्मेंस खराब नहीं हुआ है.

3. एनसीपी- अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने 80-90 सीटों की मांग की है. एनसीपी की तरफ से यह डिमांड मंत्री छगन भुजबल ने की है. भुजबल को अजित पवार का काफी करीबी माना जाता है.

लोकसभा चुनाव में एनसीपी को एनडीए गठबंधन में 4 सीटें मिली थी. एनसीपी इसलिए विधानसभा चुनाव में ज्यादा सीटों की डिमांड कर रही है.

4. आरपीआई- सीट डिमांड को लेकर आरपीआई ने अब तक कोई बयान नहीं दिया है, लेकिन पिछली बार आरपीआई को 6 सीटें मिली थी. पार्टी इस बार भी इन्हीं सीटों पर दावेदारी करेगी.

5. मनसे- लोकसभा चुनाव में मनसे को एक सीट दिए जाने की चर्चा थी, लेकिन नहीं मिली. विधानसभा चुनाव में मनसे को कितनी सीटें मिलती है, यह देखने वाली बात होगी. मनसे अब तक अकेले चुनाव लड़ती आई है.

मनसे को 2009 में सबसे ज्यादा 13 सीटों पर जीत मिली थी. 2019 में पार्टी ने 101 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन उसके सिर्फ एक उम्मीदवार जीत पाए. वोट प्रतिशत के लिहाज से मनसे की भी दावेदारी 15-20 सीटों पर हो सकती है.

6. राष्ट्रीय समाज पक्ष- 2019 में पार्टी को गठबंधन कोटे से 6 सीटें मिली थी, जिसमें से पार्टी ने एक सीट पर जीत हासिल की थी. इस बार के लोकसभा चुनाव में भी पार्टी के खाते में 1 सीट गई थी, लेकिन उसे जीत नहीं मिल पाई.

ऐसे में इस बार भी आरएसपी की दावेदारी भी 6 सीटों की ही रह सकती है.

महाराष्ट्र का सीट बंटवारा बीजेपी के लिए टेंशन क्यों?

1. 2014 और 2019 के मुकाबले बीजेपी के वोट प्रतिशत में कमी आई है. इस बार तो सीटों की संख्या में भी भारी गिरावट हुई है. बीजेपी लोकसभा के आधार पर ही पिछले चुनाव में ज्यादा सीटों पर लड़ी थी. इस बार शिवसेना से उसके सिर्फ 2 सांसद ज्यादा हैं.

2. बीजेपी को छोड़कर अन्य सहयोगियों की जो न्यूनतम दावेदारी है, वो 200 सीटों के आसपास है. इनमें शिवसेना की 100 और एनसीपी की 80 सीटें शामिल हैं. ऐसे में बीजेपी के लिए सिर्फ 88 सीटें बच रही हैं.

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