नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने आबकारी नीति मामले से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से संबंधित अदालती कार्यवाही की वीडियो रिकॉर्डिंग विभिन्न सोशल मीडिया मंचों से हटाने का शनिवार को निर्देश जारी किया। वीडियो में आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल एक अधीनस्थ अदालत में अपनी बात रखते नजर आ रहे हैं।
न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा और न्यायमूर्ति अमित शर्मा की खंडपीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाने वाली याचिका पर सुनीता केजरीवाल समेत छह लोगों और सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’, ‘मेटा’ और ‘यूट्यूब’ को नोटिस जारी किए हैं।
पीठ ने अपने छह पन्नों के आदेश में कहा, “प्रथम दृष्टया यह पाया गया है कि अदालती कार्यवाही की रिकॉर्डिंग दिल्ली उच्च न्यायालय वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग नियम, 2021 के नियम 3(6) का उल्लंघन है और इसे सार्वजनिक रूप से सुलभ रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।” सुनवाई के दौरान पीठ ने छह व्यक्तियों सहित प्रतिवादियों से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से सामग्री हटाने को कहा।
हालांकि, अदालत की वेबसाइट पर अपलोड किए गए आदेश में कहा गया है, “सोशल मीडिया मंच एक्स (पूर्व में ‘ट्विटर’), मेटा (पूर्व में ‘फेसबुक’), इंस्टाग्राम और यूट्यूब को अपने-अपने मंच से ऑडियो/वीडियो रिकॉर्डिंग को तुरंत हटाने का निर्देश दिया जाता है।” अदालत ने हटाए जाने वाले ‘यूआरएल’ की सूची का भी उल्लेख किया और कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अगले आदेश तक ऑडियो/वीडियो को उनके मंच पर दोबारा अपलोड नहीं किया जाए।
अदालत ने मामले में एकपक्षीय अंतरिम आदेश जारी करते हुए अगली सुनवाई के लिए नौ जुलाई की तारीख निर्धारित की। पीठ ने कहा, “याचिका की सूचना अन्य प्रतिवादी संख्या 1 से 7 को भेजी जाए, जिसे साधारण डाक और इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भेजा जाए, जिसका जवाब सुनवाई की अगली तारीख तक वापस किया जाए। आदेश के बारे में प्रतिवादी (यों) को 48 घंटे के भीतर सूचित किया जाए।”
उच्च न्यायालय अधिवक्ता वैभव सिंह की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। सिंह ने अपनी याचिका में दावा किया कि दिल्ली आबकारी नीति मामले में गिरफ्तारी के बाद जब अरविंद केजरीवाल को 28 मार्च को एक अधीनस्थ अदालत में पेश किया गया तो उन्होंने अदालत के समक्ष व्यक्तिगत रूप से अपनी बात रखने का विकल्प चुना और कार्यवाही की वीडियो रिकॉर्डिंग सोशल मीडिया मंच पर पोस्ट की गई, जो अदालतों से संबंधित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय नियम, 2021 के तहत प्रतिबंधित है।
नियमों के अनुसार, किसी भी व्यक्ति या संस्था द्वारा कार्यवाही की अनधिकृत रिकॉर्डिंग नहीं की जाएगी। कथित तौर पर यह वीडियो सुनीता केजरीवाल और अन्य लोगों द्वारा दोबारा पोस्ट किया गया थाAयाचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि यूट्यूब ने एक ई-मेल भेजकर कहा था कि उसने अपने मंच से सामग्री हटा दी है।
जनहित याचिका में याचिकाकर्ता ने अदालती कार्यवाही की ऑडियो तथा वीडियो रिकॉर्डिंग करने और उसे साझा करने तथा अधीनस्थ अदालत के न्यायाधीश की सुरक्षा को खतरे में डालने की कथित साजिश के खिलाफ जांच करने एवं प्राथमिकी दर्ज करने के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का अनुरोध किया।
याचिका में कहा, ‘‘विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों समेत आम आदमी पार्टी के कई सदस्यों ने इरादतन और जानबूझकर अदालती कार्यवाही को बदनाम करने और उसे गलत तरीके से पेश करने के इरादे से इसकी ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग की तथा उसे सोशल मीडिया मंचों पर प्रसारित/प्रकाशित किया।’’
याचिका में अदालत की कार्यवाही की ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग करने और साझा करने के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों की पहचान करने के खातिर गहन जांच करने के निर्देश देने का भी आग्रह किया गया।अरविंद केजरीवाल को दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया था और उन्हें न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में रखा गया है।
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