इजरायल के गाजा पर हमले के विरोध में उतरे यमन के हूती विद्रोही लगातार आतंक का पर्याय बने हुए हैं. अब सीधे तौर पर संयुक्त राष्ट्र संघ को चुनौती दे दी है. संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों के करीब नौ कर्मचारियों को हूती विद्रोहियों ने बंधक बना लिया है. ये कर्मचारी यमन के हैं. बढ़ते वित्तीय दबाव और हवाई हमलों का सामना करने के बीच हूती विद्रोहियों ने इस घटना को अंजाम दिया है.
अधिकारियों ने शुक्रवार को कहा कि संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों के करीब नौ कर्मचारियों समेत काम करने वाले अन्य लोगों को भी बंधक बनाए जाने की आशंका है.अधिकारियों ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों में काम करने वाले कर्मचारियों को हूती विद्रोहियों द्वारा बंधक बनाया गया है. बंधक बनाए एक कर्मचारी की पत्नी को भी पकड़ रखा है. हालांकि, इस मामले में संयुक्त राष्ट्र ने अभी कोई टिप्पणी करने से इनकार किया है.
लाल सागर में कई जहाजों को बना चुके हैं निशाना
हूती विद्रोहियों ने लगभग एक दशक पहले यमन की राजधानी पर कब्जा कर लिया था. सऊदी नेतृत्व वाले गठबंधन के साथ उसके बाद से ही लड़ रहे हैं. हूती विद्रोहियों ने गाजा पट्टी में इजराइल-हमास युद्ध को लेकर लाल सागर में कई जहाजों को निशाना बनाया है.
कौन हैं हूती विद्रोही?
सऊदी अरब के बढ़ते धार्मिक प्रभाव के विरोध में हूती विद्रोह पैदा हुआ. हूती आंदोलन की नींव 1990 में हुसैन बदरेद्दीन अल-हूती ने रखी थी. हुसैन बदरेद्दीन अल-हूती यमन के जैदी शिया अल्पसंख्यक समुदाय से थे, जिनकी यमन की आबादी में एक तिहाई की हिस्सेदारी है. हुसैन की 2004 में यमन के सैनिकों द्वारा हत्या कर दी गई. इसके बाद से ही हूती समूह की कमान हुसैन के भाई अब्दुल मलिक ने संभाली हुई है. यमन के उत्तरी हिस्से में जैदी समुदाय का प्रभुत्व हुआ करता था, लेकिन 1962-70 के गृह युद्ध के दौरान इन्हें साइडलाइन कर दिया गया.
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