जबलपुर। मवेशी बाजार के लिए ठेकेदार ने एक करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। ग्राम पंचायत द्वारा उक्त ठेकेदार को महज 53 लाख में ठेका प्रदान कर दिया गया। एसडीएम ने ठेका दिए जाने के आदेश को निरस्त कर दिया था। ठेकेदार की अपील पर संभागायुक्त इंदौर ने सरकार को राजस्व हानि के बावजूद भी एसडीएम के आदेश को निरस्त कर दिया। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रवि मलिमठ व जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने स्थगन आदेश जारी करते हुए आवेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
ग्रामवासियों ने एसडीएम पंधाना के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया था
याचिकाकर्ता पांडुरंग देशमुख तथा ईरामुद्दीन निवासी खंडवा की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि पंधाना तहसील के बोरगांव में मवेशी बाजार के लिए अनावेदक ठेकेदार ने महेश राठौर ने एक करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। ठेकेदार द्वारा एक करोड़ की बोली लगाने के बावजूद ग्राम पंचायत ने उसे 53 लाख में ठेका प्रदान कर दिया। जिसके खिलाफ ग्रामवासियों ने एसडीएम पंधाना के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया था। एसडीएम ने मामले की सुनवाई करते हुए ठेके को निरस्त करते हुए मवेशी बाजार संचालन के लिए प्रशासनिक कमेटी का गठन कर दिया था।
ठेकेदार ने संभागायुक्त इंदौर के समक्ष अपील दायर की थी
एसडीएम के आदेश को चुनौती देते हुए अनावेदक ठेकेदार ने संभागायुक्त इंदौर के समक्ष अपील दायर की थी। संभागायुक्त इंदौर ने एसडीएम के आदेश को निरस्त करने हुए अपीलकर्ता को 53 लाख में ठेका दिए जाने के आदेश जारी कर दिया। जिसके खिलाफ उक्त याचिका दायर की गई है। याचिका में कहा गया था कि बोली की राशि से 47 लाख कम में ठेका दिए जाने के कारण सरकार को 47 लाख रूपये की राजस्व क्षति हुई है। युगलपीठ ने सुनवाई के बाद संभागायुक्त के आदेश पर रोक लगाते हुए आवेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका पर अगली सुनवाई एक जुलाई को निर्धारित की गई है।
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