लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे अब आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे सियासी तपिश भी बढ़ती जा रही है. ‘मोदी गारंटी’ के साथ 2024 के लोकसभा चुनाव मैदान में उतरी बीजेपी का सियासी एजेंडा पहले चरण के मतदान के बाद बदला हुआ नजर आ रहा है. कांग्रेस को देश की सत्ता से बेदखल हुए दस साल हो गए और मोदी सरकार का दूसरा टर्म भी पूरा हो रहा, लेकिन चुनाव प्रचार में पुरानी बातें फिर से गूंजने लगी हैं. दूसरे चरण की वोटिंग से पहले पीएम मोदी ने ‘हिंदुत्व’ की पिच पर बिसात बिछानी शुरू कर दी है और कांग्रेस को मुस्लिम परस्त पार्टी बताने में जुटे हैं. इसके चलते एक बार फिर से हिंदू-मुसलमान, पाकिस्तान, हनुमान, घुसपैठिया जैसा नैरेटिव सेट किए जाने लगे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि ‘मोदी की गारंटी’ पर क्या बीजेपी के पुराने मुद्दे हावी हो रहे हैं?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुसलमानों के लिए ‘घुसपैठिया’ और ‘ज्यादा बच्चे पैदा करने वाले’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया. राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में कांग्रेस के शामिल नहीं होने पर प्रधानमंत्री ने सवाल उठाया और सनातन को लेकर भी विपक्ष को घेरा. हनुमान जयंती के मौके पर उन्होंने हनुमान चालीसा का जिक्र कर विपक्षी पार्टी खासकर कांग्रेस पर करारा अटैक किया. इतना ही नहीं कर्नाटक में कथित तौर पर हनुमान चालीसा बजाने पर एक दुकानदार के ऊपर हमले का जिक्र करते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार में हनुमान चालीसा सुनना अपराध हो गया है.
पीएम मोदी ने कांग्रेस पर दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के आरक्षण को मजहब के आधार पर मुसलमानों को देने का का आरोप लगाया. पीएम मोदी ने हिंदुत्व के मुद्दे को धार देकर सियासी पारा बढ़ा दिया है, जिसके बाद से बीजेपी के तमाम छोटे-बड़े नेता अपने चुनाव प्रचार में इन्हीं सारे मुद्दों का जिक्र करते हुए नजर आ रहे हैं. हालांकि, मोदी सरकार के पास देश के वोटर को बताने के लिए तमाम उपलब्धियां हैं. बीजेपी ‘मोदी की गारंटी’ पर चुनावी एजेंडा सेट कर रही, लेकिन पहले फेज के बाद उसको आखिर पुराने मुद्दों पर क्यों लौटना पड़ा?
ठंडे पड़े चुनाव में मोदी ने भरा उत्साह!
वरिष्ठ पत्रकार विजय उपाध्याय ने कहते हैं कि पहले चरण का चुनाव जिस तरह का है, उसके बाद बीजेपी की सबसे ज्यादा चिंता थी कि लोकसभा चुनाव कैसे गरमाया जाए और क्या किया जाए कि लोग सड़कों पर उतरकर मोदी-मोदी के नारे पहले की तरह लगाने लगे. मोदी गारंटी, विकसित भारत का संकल्प और आर्थिक मुद्दों से राजनीतिक धरातल पर बहुत ज्यादा असर नहीं हो रहा, क्योंकि इससे मतदाताओं का सीधा सरोकार नहीं है. इसीलिए पीएम मोदी को पहले चरण की वोटिंग के बाद अपने पुराने मुद्दे पर लौटना पड़ा है. बीजेपी के मतदाताओं को बातें भी वैसी ही पसंद है, जिस तरह की पीएम मोदी अबकर रहे हैं.
विजय उपाध्याय कहते हैं कि पीएम मोदी की बांसवाड़ा की रैली से ठंडे पड़े लोकसभा चुनाव में भी तपिश आई है और बीजेपी के कार्यकर्ताओं में उत्साह दिख रहा है. वह बताते हैं कि बीजेपी के तीन तरह के वोटर हैं, जिसमें पहले पक्के वोटर, दूसरे जो पहले दूसरी पार्टियों को वोट देते थे और अब बीजेपी को वोट देते हैं और तीसरे फ्लोटिंग वोटर जो किसी को भी वोट देते हैं. पीएम मोदी इस तरह से अपनी बात रखते हैं ताकि उनकी बात हर तरह के वोटरों तक पहुंचे. ऐसे में पहले चरण की वोटिंग में प्रतिशत गिरने के बाद मोदी का यह बयान आया है. उनका भाषण दर्शाता है कि पार्टी अपनी मूल राजनीति की ओर लौटती नजर आ रही है.
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