चुनावी बिगुल बज चुका है. सत्ता पक्ष और विपक्ष उसकी तैयारी में पूरी तरह से जुट गया है. केंद्र सरकार ऐसी कोई भी गलती नहीं चाहती है, जिससे कि उसके वोट पर असर पड़े और नुकसान हो. इसीलिए चीनी और गेहूं की कीमतों पर लगाम लगाने कि लिए खास तैयारी शुरू की है. मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने बताया कि सरकार ने खाद्य पदार्थों की कीमतों पर नियंत्रण रखने के लिए आम चुनाव से पहले कृषि जिंस कंपनियों और व्यापारियों पर निगरानी बढ़ा दी है.
80 कंपनियों पर गिरी गाज
उन्होंने कहा कि इसने लगभग 80 चीनी कंपनियों पर कार्रवाई की है, जिन्होंने अपने संबंधित कोटा से अधिक चीनी बेची है, गेहूं कंपनियों को फसल के मौसम के दौरान अपने स्टॉक का खुलासा करने के लिए कहा है और चावल निर्यातकों को निर्यात को हतोत्साहित करने के लिए माल ढुलाई शुल्क पर भी निर्यात शुल्क का भुगतान करने का निर्देश दिया है. उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने जनवरी में आवंटित मात्रा से अधिक चीनी बेचने के लिए कुछ बड़े चीनी उत्पादकों के अप्रैल के कोटे में से 25% की कटौती की है.
किन कंपनियों पर चला है हथौड़ा?
इनमें बलरामपुर चीनी मिल और कोल्हापुर चीनी मिल शामिल हैं. बता दें कि सरकार घरेलू बाजार में चीनी की बिक्री के लिए मासिक कोटा तय करती है. चीनी मिलों को नियमित आधार पर स्टॉक आदि के बारे में खुलासा करना आवश्यक है. ईटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, आम चुनाव से पहले सतर्कता बढ़ाना महत्वपूर्ण है, जब सार्वजनिक समारोहों में वृद्धि के कारण आवश्यक खाद्य पदार्थों की मांग बढ़ जाती है, ताकि किसी भी तरह की शरारत को रोका जा सके जिससे कीमतों में वृद्धि हो सकती है. इससे पहले सीमा शुल्क विभाग ने पिछले 18 महीनों में निर्यात किए गए चावल पर शुल्क अंतर के भुगतान के लिए चावल निर्यातकों को नोटिस भेजा था.
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.