हिंदी कैलेंडर के अनुसार चैत्र माह की प्रतिपदा तिथि से हिंदू नववर्ष के साथ-साथ मराठी नववर्ष की शुरुआत भी मानी जाती है. इस दिन को गुड़ी पड़वा के रूप में भी मनाया जाता है. यह पर्व मुख्य रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटक, गोवा और आंध्र प्रदेश में मनाया जाता है. यह मराठी नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है और हिंदुओं के लिए अत्यधिक सांस्कृतिक महत्व रखता है. मराठी समुदाय के लोग अपने घरों के बाहर समृद्धि का प्रतीक गुड़ी स्थापित करके और पूजा करके गुड़ी पड़वा मनाते हैं ऐसे में आइए जानते हैं कि वर्ष 2024 में गुड़ी पड़वा कब है और इस त्योहार को कैसे मनाया जाता है.
गुड़ी पड़वा 2024 तिथि (Gudi Padwa 2024 date)
इस साल, गुड़ी पड़वा 9 अप्रैल, 2024 के मनाया जाएगा. इस दिन से ही हिंदू नव वर्ष विक्रम संवत 2081 और शुभ चैत्र नवरात्रि की शुरुआत भी हो रही है. बहित से राज्यों उगादि, चेटी चंद और युगादि जैसे बहुत से नामों से जाना जाने वाला यह पर्व चैत्र माह की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत का प्रतीक है.
गुड़ी पड़वा 2024 शुभ मुहूर्त (Gudi Padwa 2024 Time)
हिंदी कैलेंडर के अनुसार, चैत्र माह की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 8 अप्रैल को रात 11 बजकर 50 मिनट पर हो रही है और इस तिथि का समापन 9 अप्रैल को रात 8 बजकर 30 मिनट पर होगा. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार गुड़ी पड़वा का त्योहार 09 अप्रैल, मंगलवार के दिन मनाया जाएगा.
गुड़ी पड़वा का महत्व (Gudi Padwa Significance)
‘गुड़ी’ शब्द एक झंडे या बैनर को दर्शाता है, जबकि ‘पड़वा’ महीने के पहले दिन को दर्शाता है. यह रबी फसलों की कटाई का प्रतीक है और माना जाता है कि यह वही दिन है जब भगवान ब्रह्मा ने ब्रह्मांड के निर्माण की शुरुआत की थी. महाराष्ट्र में, गुड़ी पड़वा मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज की जीत की याद में भी मनाया जाता है. मान्यताओं के अनुसार, गुड़ी पड़वा सत्य और धार्मिकता के युग, सतयुग की शुरुआत का प्रतीक है.
ऐसा माना जाता है कि घर पर गुड़ी फहराने से नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती हैं और जीवन में सौभाग्य और समृद्धि आती है. इसके साथ ही यह दिन वसंत ऋतु की शुरुआत भी है. इस त्योहार को देश के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है जैसे संवत्सर पड़वो, उगादि, युगादि, चेटी चंद या नवरेह. पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में इसे साजिबू नोंगमा पनबा चेइराओबा के नाम से जाना जाता है.
कैसे मनाया जाता है गुड़ी पड़वा? (How Gudi padwa is celebrated)
गुड़ी पड़वा के दिन महिलाएं सुबह उठकर स्नान करती हैं और उसके बाद अपने घरों को गुड़ियों से सजाती हैं. गुड़ी को पारंपरिक रूप से एक बांस की छड़ी का इस्तेमाल करके तैयार किया जाता है जिसके ऊपर एक उल्टा चांदी, तांबा या पीतल का बर्तन रखा जाता है. फिर इसपर स्वास्तिक बनाकर केसरिया रंग के कपड़े, नीम या आम के पत्तों और फूलों से सजाकर इसे घर के सबसे ऊंचे स्थान पर रखा जाता है.
इसके साथ ही, परिवार घर के मुख्य द्वारों को रंगीन रंगोलियों और फूल माला से सजाते हैं. इसके साथ ही मुख्य द्वार पर आम या फिर अशोक के पत्तों का तोरण बांधा जाता है. प्रसाद के रूप में पूरन पोली और श्रीखंड जैसे खास व्यंजन तैयार करते हैं. साथ ही इस दिन सुबह शरीर पर तेल लगाकर स्नान करने की भी परंपरा है. बेहतर स्वास्थ्य की कामना के लिए इस दिन पर नीम की कोपल को गुड़ के साथ खाने का भी विधान है.
क्यों मनाया जाता है गुड़ी पड़वा? (Why Gudi Padwa is Celebrated)
गुड़ी पड़वा को लेकर बहुत सी कहानियां और पौराणिक कथाएं मिलती हैं. पवित्र हिंदू धर्मग्रंथों में से एक, ब्रह्म पुराण में, यह उल्लेख मिलता है कि भगवान ब्रह्मा ने एक प्राकृतिक आपदा के बाद सृष्टि का पुनर्निर्माण किया. ब्रह्मा के प्रयास के बाद एक बार फिर से न्याय और सत्य का युग शुरू हुआ. इसी कारण से इस दिन भगवान ब्रह्मा की पूजा की जाती है.
एक अन्य कहानी में कहा गया है कि रावण को हराने के बाद भगवान राम 14 वर्ष का वनवास पूरा कर सीता और लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे थे. यह दिन भगवान राम की रावण पर विजय का जश्न के तौर पर भी मनाया जाता है. इसलिए, गुड़ी यानी ब्रह्मा का झंडा घरों में फहराया जाता है जिस प्रकार प्रभु राम की रावण पर जीत के बाद विजय ध्वज के रूप में इसे अयोध्या में फहराया गया था .
गुड़ी पड़वा का एक और ऐतिहासिक तथ्य मिलता है. छत्रपति शिवाजी महाराज ने मुगलों को हराकर राज्य के लोगों को मुगल शासन से मुक्त कराया था, इसलिए भी इस दिन महाराष्ट्र के लोग गुड़ी फहराते हैं. ऐसा माना जाता है कि गुड़ी का यह झंडा किसी भी प्रकार की बुराई को घरों में प्रवेश करने से रोकता है.
गुड़ी पड़वा के बारे में कुछ रोचक बातें (Facts About Gudi Padwa)
गुड़ी पड़वा का महाराष्ट्र का एक महत्वपूर्ण त्योहार होता है. इस दिन यहां के लगभग सभी घरों में रंगोलियों दिखती है हैं क्योंकि लोग गुड़ी पड़वा को बहुत उत्साह के साथ मनाते हैं. पश्चिमी महाराष्ट्र के लोग गुड़ी पड़वा या नए साल की शुरुआत का जश्न मनाते हुए जुलूस निकालते हैं और इस जुलूस के दौरान पारंपरिक पोशाक पहनते हैं और नृत्य करते हैं.
यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का भी प्रतीक है क्योंकि भगवान राम रावण को हराने के बाद अयोध्या लौटे थे. गुड़ी पड़वा को श्रीखंड, पूरी और पूरन पोली जैसी मिठाइयां तैयार करने और बांटने के साथ मनाया जाता है. कोंकणी कनंगाची खीर जैसे व्यंजन तैयार करते हैं – शकरकंद, नारियल के दूध, चावल और गुड़ से बनी एक भारतीय मीठी मिठाई.
गुड़ी पड़वा की रस्में (Gudi Padwa Rituals)
गुड़ी पड़वा के दिन लोग घर के प्रवेश द्वार पर रंग-बिरंगी रंगोली बनाते हैं और घर के सामने झंडा या गुड़ी फहराया जाता है. इस गुड़ी पर फूलों और आम के पेड़ के पत्तों के साथ पीले रेशम की सजावट की जाती है. इस दिन हल्दी और सिंदूर से शुभ स्वास्तिक बनाया जाता है और साथ ही मोमबत्तियां भी जलाई जाती हैं. कुछ लोग इस दिन सोना या नया वाहन खरीदने के लिए शुभ मानते हैं.
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