जब भी किसी फिल्म की कहानी लिखी जाती है, उसमें तीन किरदारों पर काफी काम किया जाता है. ये तीन किरदार फिल्म के वो 3 लीड एक्टर होते हैं, जिनके ईर्द-गिर्द पिक्चर की सारी कहानी को बुना जाता है. इन 3 एक्टर में एक होता है पिक्चर का हीरो, दूसरा किरदार हीरोइन का और तीसरा, लेकिन बेहद जरूरी फिल्म का विलेन. जब तक पर्दे पर हीरो फिल्म के विलेन से थोड़ी मार न खा ले और हीरो उठकर पलटवार करते हुए उसे मजा न चखा दे, तब तक दर्शकों की तालियां नहीं बजती. इतना ही नहीं फिल्म में ड्रामा, एक्शन और गानों का तालमेल बैठाकर डायरेक्टर फिल्म तैयार करता है.
आज के दौर में दर्शक विलेन को हीरो से ज्यादा पसंद करते हुए नजर आ रहे हैं. लेकिन एक 90 के दशक में एक से बढ़कर एक विलेन हुआ करते थे. फिर चाहे वो फिल्म शान का शाकाल हो, शोले का गब्बर या फिर मिस्टर इंडिया का मोगैम्बो. जब ये विलेन पर्दे पर आए तो लोगों के रोंगटे खड़े हो गए थे. लेकिन एक विलेन ऐसा भी आया जिसके आगे ये सारे विलेन फीके से लगने लगे थे. हम बात कर रह हैं आशुतोष राणा की.
माथे पर बड़ी सी बिंदी, नाक में नथनी और लाल रंग की साड़ी पहनकर जब आशुतोष राणा ने लज्जा शंकर का किरदार निभाया, तो हर कोई उनकी अदाकारी का मुरीद हो गया. डरावनी शक्लोसूरत और आंखों में उतरता खून देख हर कोई लज्जा शंकर से डरने लगा था. फिल्म संघर्ष में जब आशुतोष ने खतरनाक गेटअप लिया तो हीरो से ज्यादा ध्यान लोगों का विलेन पर चला गया. खून से सने चेहरे के साथ जब आशुतोष राणा चिल्लाए तो थिएटर में भी सन्नाटा पसर गया था.
इस फिल्म में यूं तो अक्षय कुमार और प्रीति जिंटा लीड रोल में थे. फिल्म संघर्ष के लिए प्रीति के काम की भी खूब तारीफ की गई थी. लज्जा शंकर का डर पिक्चर में उनके चेहरे पर साफ नजर आया. डरी-सहमी एक्ट्रेस ने हिम्मत जुटाकर विलेन को न केवल ललकारा बल्कि उसका अंत भी कर डाला. फिल्म में आशुतोष का किरदार एक साइको किलर का होता है. जो अमर होने के लिए लोगों की बलि देता है. 4 करोड़ के खर्चे के साथ बनकर तैयार हुई संघर्ष ने 10 करोड़ तक का बिजनेस किया था.
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