भारत की इकोनॉमी की रफ्तार देखकर कोई नहीं कह सकता कि दुनिया मंदी की चपेट में है. इस तेजी के आगे हर कोई बौना नजर दिखाई दे रहा है. फिर चाहे वो चीन हो या फिर अमेरिका. यूरोपीय देश तो कहीं दिखाई ही नहीं दे रहे हैं. भारत के भविष्य को लेकर जो अनुमान सामने आ रहे हैं, उससे देश में अलग ही जोश देखने को मिल रहा है.
कुछ दिन पहले मूडीज ने अपने अनुमान में कहा था कि देश की इकोनॉमी की रफ्तार 7 फीसदी रह सकती है. अब जो अनुमान आया है वो क्रिसिल का है. जिसने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए अपना अनुमान 6.8 फीसदी रखा है. क्रिसिल का मानना है कि साल 2031 तक देश हाई मिड इनकम वाला देश बन जाएगा. साथ ही भारत की इकोनॉमी का साइज भी 7 ट्रिलियल डॉलर यानी 580 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा होगा.
क्रिसिल रेटिंग्स ने अपनी ‘इंडिया आउटलुक’ रिपोर्ट में कहा कि इंडियन इकोनॉमी को घरेलू संरचनात्मक सुधारों और चक्रीय स्थितियों से समर्थन मिलेगा और यह वर्ष 2031 तक तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बनने के लिए अपनी वृद्धि संभावनाओं को बरकरार रखने के साथ उसमें सुधार भी कर सकती है. इस रिपोर्ट के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में उम्मीद से बेहतर 7.6 फीसदी वृद्धि रहने के बाद भारत की रियल जीडीपी ग्रोथ वित्त वर्ष 2024-25 में थोड़ा मध्यम होकर 6.8 फीसदी रहने का अनुमान है.
7 साल में कितनी होगी इकोनॉमी?
रिपोर्ट कहती है कि अगले सात वित्त वर्षों (2024-25 से 2030-31) में भारतीय इकोनॉमी पांच ट्रिलियन डॉलर का आंकड़ा पार कर 7 ट्रिलियन डॉलर के करीब पहुंच जाएगी. क्रिसिल ने कहा कि इस अवधि में 6.7 फीसदी की अनुमानित एवरेज ग्रोथ भारत को दुनिया की तीसरी बड़ी इकोनॉमी बना देगी और 2030-31 तक इसकी प्रति व्यक्ति आय भी उच्च-मध्यम आय समूह तक पहुंच जाएगी. भारत फिलहाल 3.6 ट्रिलियन डॉलर जीडीपी के साथ दुनिया की पांचवीं बड़ी इकोनॉमी है. इसके आगे अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी हैं.
क्या होता है हाई मिड इनकम वाला देश?
क्रिसिल को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2030-31 तक भारतीय अर्थव्यवस्था का साइज 6.7 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच जाएगा. उस समय तक देश की प्रति व्यक्ति आय भी बढ़कर 4,500 अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाएगी और भारत उच्च-मध्यम आय वाले देशों के समूह में शामिल हो जाएगा. विश्व बैंक की परिभाषा के मुताबिक, उच्च-मध्यम आय वाले देश वे हैं जिनकी प्रति व्यक्ति आय 4,000-12,000 अमेरिकी डॉलर के बीच है. क्रिसिल के मैनेजिंड डायरेक्टर और सीईओ अमीश मेहता ने कहा कि वित्त वर्ष 2030-31 तक भारत तीसरी बड़ी इकोनॉमी और उच्च-मध्यम आय वाला देश होगा, जो घरेलू खपत के लिए एक बड़ा सकारात्मक पक्ष होगा.
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