खुलेआम खेला जाता है सट्टा प्रतिबंध के बावजूद खुलेआम चल रहा है नम्बरों का काला खेल
सिवनी बना सट्टे मटके के मामले में मिनी महाराष्ट्र
राष्ट्र चंडिका न्यजू, सिवनी । कम समय और बिना मेहनत के पैसा कमाने के लालच में नगर के नौजवान गलत रास्ते पर चल पड़े है। सटोरियों पर कार्रवाई नहीं होने से इनका नेटवर्किंग शहर के साथ साथ अब आस पास के गांवों में भी फैल गया है। खुले तौर पर नंबरों का खेल चलने से क्षेत्र के लगभग 40 प्रतिशत युवा सट्टे का लत लगा बैठे हैं। सट्टा पट्टी का चलन कोई नई बात नहीं है यह अवैध कारोबार लंबे समय से सिवनी में फल फूल रहा है। पिछले कुछ दिनों से सट्टे का कारोबार खुलेआम संचालित होने लगा है। कई खाईबाज जगह-जगह अपने अपने एजेंटों के माध्यम से इस खेल को खिलाने का काम कर रहे हैं। शहर के कई क्षेत्रों में सट्टा खेलने वालों की भीड़ लगी रहती है। सट्टा खिलाने वालों के एजेंट जगह-जगह बैठकर खुलेआम सट्टा पर्ची लेकर दांवपेच लगवाने का काम कर रहे हैं। इस खेल में कई लोग लाखों रुपए की राशि हार कर बर्बाद हो रहे हैं। हैरानी की बात तो है कि पहले यह खेल चोरी छुपे होता था अब सट्टे का खेल खिलाने वालों के हौसले इतने बुलंद हो गए हैं सिवनी बना मिनी महाराष्ट्र महाराष्ट्र की तर्ज पर सिवनी में जगह-जगह सट्टा मटका के नंबर खोले जा रहे है इतना ही नहीं इंटरनेट पर चल रहे सट्टा मटका डॉट कॉम में (कुछ शुल्क देकर)अपने खेल का रिजल्ट देकर यह यह अवैध सट्टे के गेम को बाहर का खेल बता कर सिवनी से ही सट्टा मटके का नंबर खोल रहे हैं बताया जाता है कि सिवनी में चार नामों से सट्टे का मटका चलाया जा रहा है जिसमें डे और नागपुर दिन और रात के नाम से सिवनी से ही सट्टे का नंबर खोला जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि कई ऐसे सफेदपोश लोग भी इनके काले कारनामों में इन सट्टेबाजों का साथ देते हैं। और तो और कुछ सट्टेबाज राजनीतिक दलों से भी जुड़े हुए हैं। बताया जाता है कि अभी तो एक दो ही सट्टेबाज सिवनी से ही सुबह शाम सट्टा मटका का नंबर खोल रहे हैं और बकायदा इंटरनेट पर चल रहे सट्टा मटका डॉट कॉम( कुछ शुल्क देकर) में इसका रिजल्ट समय पर दे रहे हैं ।जिन्हें पुलिस प्रशासन का कोई डर नहीं है इसी के चलते वह अपने इस खेल को खुलेआम चला रहे हैं। शहर में इन दिनों खुलेआम चल रहे सट्टा कारोबार पर अंकुश न लगने से युवाओं का भविष्य बर्बाद हो रहा है। समाज में जुआ सट्टा कोई नई बात नहीं है। पहले चंद लोग इसमें लिप्त हुआ करते थे, जल्द धनवान बनने की चाहत में इसका प्रचलन बढ़ता चला गया। नगर में बीते कुछ महीनों से तेज़ी से अवैध रूप से सट्टे का कारोबार तेज़ी से पांव पसार रहा है और सट्टा व्यापारी तेज़ी से फल फूल रहें हैं। सट्टे के बढ़ते क्रेज़ को देखते हुए कुछ लोगों ने इसे व्यवसाय बना लिया है। यह व्यापार इस कदर बढ़ा है कि शहर में रोज़ाना लाखों का सट्टा लग रहा है। पैसा कमाने की तीव्र चाहत और भाग्यवादी सोच के लोग तेज़ी से इसकी चपेट में आ रहे हैं। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक सट्टे में अपनी किस्मत आज़मा रहे हैं। इस खेल में पड़कर युवा पीढ़ी बर्बादी की कगार पर जा रही है क्योंकि बिना मेहनत के अमीर बनने की चाहत रखे युवा पीढ़ी इसकी गिरफत में तेज़ी से आती जा रही है। एक का सौ बनाने की चाहत सट्टे के शौकीन लोगों को विनाश की ओर ले जा रही है। इस पर दांव लगाने वाले लोग यह नहीं जानते कि हार जीत का यह अंधा खेल अन्तहीन है। चोरी छिपे किये जाने वाले इस गैरकानूनी धंधे को बाकायदा एक खेल का रूप देकर इसे शहर में ही कई स्थानो पर खेला जा रहा है। शहर की तंग गलियों तक में सट्टा खेला जा रहा है। सट्टा कारोबार पुलिस की नाक के नीचे धड़ल्ले से फल फूल रहा है। इसके बावजूद पुलिस मामले में कोई ठोस कार्यावाही नहीं कर रही है। ऐसे में पुलिस की भूमिका भी संदेहास्पद है। सटटे के अधिकांश अडडे पुलिस के संज्ञान में है लेकिन उन पर कार्यावाही नहीं की जा रही है। परिवार बर्बाद हो रहा है इसी तरह सट्टे का खेल चलता रहा तो कई परिवार बर्बाद होने की कगार पर पहुंच जाएंगे सबसे ज्यादा बर्बाद मजदूर वर्ग होगा जो दिन भर में मजदूरी करता है लालच के चक्कर में मेहनत की कमाई इस खेल में बर्बाद करके अपने घर खाली हाथ लौटता है। समय रहते पुलिस प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों को इस ओर ध्यान देकर इस खेल पर रोक लगानी चाहिए जिनके द्वारा इस खेल को खिलाने का काम किया जा रहा है उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए तभी यह खेल बंद होगा। पुलिस अनजान पुलिस के द्वारा इन पर किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की जाती ना ही इन्हें रोकने टोकने का काम पुलिस प्रशासन करती है। की इनकी जानकारी होने के बाद भी पुलिस अनजान बनी हुई है। इसे ऐसा प्रतीत होता है कहीं ना कहीं इस खेल को बढ़ावा देने का काम पुलिस के द्वारा किया जा रहा है या फिर पुलिस की मिलीभगत से ही इस खेल को खिलाने का काम सट्टा खिलाने वाले कर रहे हैं, तभी तो जो काम पहले चोरी छुपे होता था वह अब खुलेआम हो रहा है। कई बाज बेखौफ होकर इस खेल पर पैसा लगवाने का काम कर रहे हैं । सट्टे का कारोबार खुलेआम होने के कारण कई गरीब परिवार अपनी मेहनत की कमाई इस खेल में गवा कर बर्बाद हो रहा है,