राष्ट्रीय राजनीति में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए पार्टी को आत्मनिरीक्षण का सुझाव देते हुए पूर्व राष्ट्रपति दिवंगत प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने सोमवार को यहां पुरजोर शब्दों में कहा कि निश्चित रूप से अब समय आ गया है कि नेतृत्व के लिए कांग्रेस पार्टी गांधी-नेहरू परिवार से बाहर देखे।
शर्मिष्ठा मुखर्जी ने सोमवार को यहां 17वें जयपुर साहित्योत्सव से इतर ‘पीटीआई-भाषा’ से विशेष बातचीत में कहा कि लोकसभा में कांग्रेस की सीटों की संख्या भले ही कम हो गई है, लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति में बहुत मजबूत उपस्थिति है, क्योंकि वह देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है। कांग्रेस की तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक में सरकार में है। उन्होंने कहा,” कांग्रेस अभी भी मुख्य विपक्षी दल है। उसका स्थान निर्विवाद है। लेकिन इस उपस्थिति को कैसे मजबूत करना है? ये सवाल है। लेकिन इस पर विचार करना कांग्रेस नेताओं का काम है।”
शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि पार्टी में लोकतंत्र की बहाली, सदस्यता अभियान, पार्टी के भीतर संगठनात्मक चुनाव और नीति निर्णय की प्रक्रिया में हर स्तर पर जमीनी कार्यकर्ताओं को शामिल करने की जरूरत है, जैसा कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने भी अपनी डायरी में लिखा है। उन्होंने कहा, ”कोई जादू की छड़ी नहीं है। ये कांग्रेस नेताओं को देखना है कि पार्टी को मजबूत करने के लिए कैसे काम करना है।” पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को बतौर नेता परिभाषित करने संबंधी सवाल पर उन्होंने कहा,” राहुल गांधी को परिभाषित करना मेरा काम नहीं है।
किसी भी व्यक्ति को परिभाषित करना संभव नहीं है। अगर कोई मुझसे मेरे पिता को परिभाषित करने को कहे, तो मैं उनकी भी व्याख्या नहीं कर सकती। व्यक्ति बहुत पेचीदा प्राणी है। उसे परिभाषित करना संभव ही नहीं है।” नेतृत्व के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘इसका जवाब कांग्रेस नेताओं को देना है। लेकिन एक कांग्रेस समर्थक और जिम्मेदार नागरिक होने के नाते मुझे पार्टी की चिंता है।
निश्चित रूप से समय आ गया है कि नेतृत्व के लिए गांधी-नेहरू परिवार से बाहर देखा जाए।” साथ ही उन्होंने कहा कि वह ‘‘कट्टर कांग्रेसी” हैं, लोग यकीन करें या न करें । कांग्रेस समर्थक होने के नाते पार्टी से अपेक्षाओं को लेकर शर्मिष्ठा ने कहा,” कांग्रेस यह आत्मनिरीक्षण करे कि क्या वह सही मायने में आज पार्टी की विचारधारा को आगे ले जा रही है? बहुलवाद , धर्मनिरपेक्षता, सहिष्णुता, समावेशिता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, जो कांग्रेस के मूल में रहे हैं, क्या व्यवहार में उनका अनुसरण किया जा रहा है? अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अर्थ केवल यही नहीं है कि आप अपने नेता का गुणगान करें, और केवल तभी आपको अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता होगी और जिस क्षण पार्टी नेतृत्व की आलोचना करें, तो पूरा इको सिस्टम आपको कठघरे में खड़ा कर दे।
क्या यही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है? इन सवालों पर कांग्रेस को गंभीरता से विचार करने की जरूरत है कि क्या आज वह सही मायने में पार्टी की विचारधारा के इन मूल सिद्वांतों को बरकरार रखे हुए है या नहीं । यही मेरा उनसे सवाल है।” विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव एलायंस’ (इंडिया) के भविष्य पर शर्मिष्ठा ने कहा, ‘‘ मैं इसे ‘इंडी’ एलायंस कहूंगी, क्योंकि जब यह बना था, तभी मैंने ट्वीट किया था कि अगर यह फेल हो गया, तो हेडलाइंस क्या होंगी? ‘इंडिया ब्रेक्स’ । किसी भी राजनीतिक दल को देश का पर्याय नहीं होना चाहिए। यही मेरे दिमाग में विचार आया।
इसलिए मैं इसे ‘इंडिया’ एलायंस नहीं कहती, मैं ‘इंडी’ एलायंस कहती हूं।” इंडिया गठबंधन में नेतृत्व के सवाल पर उन्होंने कहा, ”उन्हें अपने मुद्दे सुलझाने की जरूरत है, जैसे सीट बंटवारे का मुद्दा आदि, लेकिन आम चुनाव तक क्या यह गठबंधन बचा रहेगा, मैं इसका जवाब नहीं दे सकती। जहां तक नेतृत्व का सवाल है, गठबंधन में बहुत से वरिष्ठ नेता हैं, उन्हें स्वयं सुलझाना चाहिए। मैं इसका जवाब नहीं दे सकती।” दिल्ली महिला कांग्रेस की अध्यक्ष रह चुकीं शर्मिष्ठा मुखर्जी ने सितंबर 2021 में सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा की थी। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया था कि वह कांग्रेस की प्राथमिक सदस्य बनी रहेंगी।
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