बहुमत की आड़ में देश चुनावी लोकतंत्र के बजाय चुनावी तानाशाही में बदल रहा, आम चुनाव से पहले थरूर का केंद्र पर हमला
लोकतांत्रिक संस्थाओं के क्षरण पर चिंता जताते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने रविवार को यहां कहा कि बहुमत की आड़ में देश चुनावी लोकतंत्र के बजाय ‘चुनावी तानाशाही’ में बदल रहा है। थरूर ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा कि भारतीय राजनीतिक परिदृश्य व्यक्ति केंद्रित हो गया है और पिछले दस वर्षों से देश ने केवल ‘मैं ‘ और ‘सिर्फ मैं’ ही सुना है।
लोकतंत्र के मूल ढांचे को किया जा रहा ध्वस्त
पूर्व नौकरशाह, लेखक और कांग्रेस पार्टी के नेता शशि थरूर ने यहां 17वें जयपुर साहित्य महोत्सव में यूनिवर्सिटी ऑफ यॉर्क में ग्लोबल डेवलपमेंट पॉलिटिक्स के वरिष्ठ प्रोफेसर इंद्रजीत रॉय की पुस्तक पर आधारित सत्र ‘ऑडेसियस होप : हाउ टू सेव ए डेमोक्रेसी’ पर एक चर्चा में भाग लेते हुए केंद्र की भाजपा सरकार पर लोकतांत्रिक संस्थाओं की स्वायत्तता और उनके मूल ढांचे को ध्वस्त करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि लेकिन अब देश को एक ऐसे वैकल्पिक नेतृत्व की जरूरत है, जो जनता जनार्दन की बात सुने, उसकी जरूरतों को समझे और उसकी समस्याओं का समधान निकाले।
हमने पिछले दस साल में बहुत मैं सुना
आगामी आम चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी के व्यक्तित्व का भारतीय जनता पार्टी को फायदा मिलने और इसके विपक्ष के लिए नुकसानदेह होने की आशंका पर तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस के सांसद थरूर ने कहा, ‘‘ हमारे यहां संसदीय प्रणाली है, जिसे राष्ट्रपति द्वारा संचालित किया जाता है और हमें इस बारे में 2014 के ‘मैं नहीं, हम’ नारे को याद रखना चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी का नाम लिए बिना कहा,” हमने पिछले दस साल में बहुत मैं, मैं सुना है। केवल एक व्यक्ति की बात होती रही है।”
वोट दीजिए, फिर हम इस सवाल का जवाब देंगे
थरूर ने कहा कि इसका जवाब यह है कि एक भिन्न प्रकार का नेतृत्व तैयार किया जाए, जो केवल अपना ही बखान न करे, बल्कि पूरी विनम्रता के साथ आपकी बात सुने, आपके बारे में बात करे, आपकी जरूरतों को समझे और उनका समाधान करे। श्रोताओं की ओर से यह सवाल भी पूछा गया कि ‘इंडिया’ गठबंधन मोदी के मुकाबले में किसी एक ऐसे नाम पर सहमति नहीं बना सका, जो उनका मुकाबला कर सके। श्रोताओं की ओर से वैकल्पिक नेतृत्व प्रदान करने की दिशा में ‘इंडिया’ गठबंधन की रणनीति संबंधी सवाल पर थरूर ने कहा, ”वोट दीजिए, और फिर हम इस सवाल का जवाब देंगे।”
‘इंडिया’ गठबंधन एकजुट क्यों नहीं हो रहा
तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के क्रमश: पश्चिम बंगाल और पंजाब में अकेले चुनाव मैदान में उतरने संबंधी घोषणाओं के संदर्भ में यह पूछे जाने पर कि ‘इंडिया’ गठबंधन एकजुट क्यों नहीं हो रहा है, तो इसपर थरूर ने कहा, ”तथ्य की बात यह है कि इसमें कई सारी राजनीतिक पार्टियां शामिल हैं, कोई एक फार्मूला सभी पर लागू नहीं हो सकता, प्रत्येक राज्य की अपनी राजनीति और अपना राजनीतिक इतिहास है। इसलिए जब बात राष्ट्र की हो, तो आपको हैरानी नहीं होनी चाहिए। कुछ राज्य हैं, जहां हम एक दूसरे से सहमत हैं, कुछ में सहमत नहीं हैं।”
देश चुनावी तानाशाही में बदल रहा
न्यायपालिका, निर्वाचन आयोग, संसद और मीडिया जैसी संस्थाओं का क्षरण लोकतंत्र के भविष्य के लिए कितना गंभीर है, इस बारे में पूछे जाने पर थरूर ने कहा कि पिछले छह सात दशकों में पूर्ववर्ती सरकारों ने लोकतंत्र के सुचारू संचालन के लिए विभिन्न संस्थाओं को मजबूती प्रदान की थी, लेकिन आज इन संस्थाओं की स्वायत्तता को खत्म किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि न केवल इन लोकतांत्रिक संस्थाओं की गरिमा का क्षरण हो रहा है, बल्कि इनसे जनता की आकांक्षाएं भी धूमिल पड़ रही हैं। उन्होंने कहा, ‘‘बहुमत की आड़ में देश चुनावी लोकतंत्र के बजाय चुनावी तानाशाही में बदल रहा है।”
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.