नई दिल्ली। कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने अयोध्या प्राण प्रतिष्ठा (Ram Mandir Pran Pratishtha) समारोह में जाने से इनकार कर दिया है। कांग्रेस के इस फैसले की देशभर में चर्चा है। वैसे राम मंदिर (Ram Mandir) मुद्दे पर कांग्रेस शुरू से दुविधा की स्थिति में रही है। कभी मस्जिद का पक्ष लिया, तो कभी मंदिर का समर्थन किया। यहां पढ़िए टाइमलाइन
राजीव गांधी के दौर में खुले थे ताले
विवादित स्थल के ताले 1986 में खोले गए थे, जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे। यह बात और है कि बाद में राजीव गांधी के तत्कालीन सहयोगियों ने तर्क दिया कि उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं थी।
तीन साल बाद राजीव गांधी सरकार ने ही विहिप को विवादित स्थल पर शिलान्यास करने की अनुमति दी थी।
1991 घोषणा-पत्र में कहा था, मंदिर बनाएंगे
90 के दशक तक राम मंदिर मुद्दा गर्मा गया था और इसमें भाजपा की एंट्री भी हो गई थी। कांग्रेस को इसका आभास हो गया था। यही कारण है कि 1991 में लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के घोषणापत्र में मंदिर का उल्लेख किया गया था और कहा गया था कि पार्टी बाबरी मस्जिद को ध्वस्त किए बिना मंदिर के निर्माण के पक्ष में है।
एक साल बाद प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने सार्वजनिक रूप से मस्जिद के निर्माण की प्रतिबद्धता जताई थी
फिर नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मालिकाना हक मामले में हिंदू पक्ष के पक्ष में फैसला सुनाया। मोदी राज में अपने राजनीतिक अस्तित्व के लिए लड़ रही कांग्रेस ने आदेश का स्वागत किया और घोषणा की कि वह राम मंदिर के निर्माण के पक्ष में है। इस बार बाबरी मस्जिद का कोई जिक्र नहीं किया गया।
राम मंदिर से दूरी, जुड़ा नया उत्साह
अब राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में जाने से इनकार करने से नया अध्याय जुड़ गया। पार्टी में ही इसको लेकर विरोध की स्थिति है। नेताओं का एक धड़ा आशंका जता रहा है कि इससे पार्टी को 2024 के आम चुनावों में भारी नुकसान हो सकता है।
सोनिया, राहुल, प्रियंका ने कभी नहीं किए राम लला के दर्शन
- सोनिया गांधी के साथ ही बेटे राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा ने कभी राम लला के दर्शन नहीं किए हैं।
- 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद 2016 में अयोध्या जाने वाले राहुल गांधी परिवार के पहले सदस्य थे।
- तब राहुल केवल हनुमानगढ़ी मंदिर गए, लेकिन राम मंदिर नहीं गए।
- प्रियंका वाड्रा ने 2019 में पहली बार अयोध्या की यात्रा की, लेकिन मंदिर नहीं गईं।
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