Kailash Vijayvargiya: कैलाश विजयवर्गीय ने कहा- एक बड़ा नेता अपने परिवार तो दूसरा स्टाफ के कारण हारा

भोपाल। संसदीय कार्य मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि एक सफल जनप्रतिनिधि होने के नाते आपका निजी जीवन भी पारदर्शी होना चाहिए। जनता के बीच विश्वास अर्जित करना बहुत जरूरी है। पहली बार चुनाव जीते लोगों में से इस बार 30 से 40 प्रतिशत ही चुनकर आए। अभी एक बहुत बड़ा व्यक्ति सिर्फ अपने आफिस के कर्मचारियों के कारण हार गया। एक और व्यक्ति अपने परिवार के सदस्य के कारण चुनाव हार गया। हमें अपनी छवि की भी चिंता करनी चाहिए क्योंकि सब आपको देखते हैं।

विधानसभा के नव निर्वाचित सदस्यों के दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम के समापन के अवसर पर मंत्री विजयवर्गीय ने कहा कि परिवार का राजनीति में कितना उपयोग करना, कहीं हमारे लिए यह नुकसानदायक तो नहीं है, इसकी हमें चिंता करनी चाहिए। आप कितने भी बड़े नेता बन जाओ यदि घर के लोग दिल से सम्मान नहीं करते तो ऐसी नेतागीरी का कोई महत्व नहीं, इसलिए परिवार में हमारी भूमिका क्या है उसके बारे में हमेशा ध्यान रखना चाहिए।

मंत्री विजयवर्गीय ने कहा कि मैं सफल नेता उसको मानता हूं, जो अपने हर कर्तव्य का कार्य ईमानदारी से करें। प्रतिष्ठा और विश्वास ऐसा अर्जित करना चाहिए जैसा करण सिंह वर्मा को लेकर है कि वे किसी की चाय नहीं पीते हैं। विधायक के रूप में निर्वाचित होने के बाद जनता में विश्वास कायम रखना चुनौतीपूर्ण होता है। विधायक ऐसा होना चाहिए जिस पर क्षेत्र की जनता और कार्यकर्ता विश्वास करें।

मौखिक सूचना पर भी शून्यकाल में बात रखने का मिलेगा अवसर

विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि विधानसभा में नए सदस्यों को बोलने में प्राथमिकता दी जाएगी। अभी शून्यकाल में लिखित सूचनाओं पर बोलने का प्रविधान है लेकिन आगामी सत्र में महत्वपूर्ण तत्कालीन घटनाओं पर सदस्य मौखिक सूचना पर भी अपनी बात रख सकेंगे। इस बार 69 विधायक पहली बार चुन कर आए हैं। उनसे इस दो दिवसीय प्रबोधन का अनुभव लिया जाना चाहिए।

लोकसभा की विशेषाधिकार समिति के सदस्य सुनील कुमार सिंह ने कहा कि विधायक जब निर्वाचित होकर सदन में पहुंचता है, तो यह जिज्ञासा होती है कि उन्हें क्या-क्या अधिकार हैं। उन्होंने सलाह दी कि वे विशेषाधिकार के साथ-साथ कर्त्तव्यों पर ज्यादा ध्यान दें। सदन में उनका बेहतर प्रदर्शन उन्हें राज्य के नेता के रूप में पहचान दिलाने में मददगार होता है।

विधायक सदन में कुछ न बोलें पर उपस्थिति अनिवार्य

विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष डा.राजेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि जब कोई विपक्ष में होता है तो दूसरी बात करता है और जब सत्ता में रहता है तो कुछ और बात करता है लेकिन हमारा लक्ष्य केवल विकास होना चाहिए। विधायक सदन में कुछ न बोलें तो भी चलेगा पर सदन में उपस्थिति अनिवार्य है। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह का उल्लेख करते हुए कहा कि वह बोलते कम और सुनते अधिक थे।

बजट पर चर्चा के समय अपनी बात रखने का अवसर होता है, इसका उपयोग करना चाहिए। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डा.सीतासरन शर्मा ने विधायकों से कहा कि वह प्रश्न अवश्य पूछें, क्योंकि प्रश्न लगाने से ही सरकार को भी यह पता चलता है कि शासन-प्रशासन कैसा चल रहा है। किसी भी सूरत में प्रश्नकाल को स्थगित नहीं किया जाना चाहिए। विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह ने संसदीय प्रक्रिया स्थगन, ध्यानाकर्षण और अविलंब लोक महत्व की सूचना के महत्व के बारे में सदस्यों को जानकारी दी।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.