इंदौर। साल 2009 के बाद देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में बैकलाग और नियमित शिक्षकों की 92 पदों पर नियुक्तियां निकाली, लेकिन सालभर से चल रही प्रक्रिया में महज 38 पदों पर शिक्षकों को रखा गया है। 14 साल बाद हो रही नियुक्तियों से जुड़े विवाद भी कुछ सामने आए है। कुछ ने अयोग्य व अपात्र उम्मीदवारों को नियुक्ति देने का आरोप भी लगाया है। बावजूद इसके विश्वविद्यालय प्रशासन ने इनकी शिकायतों को दरकिनार कर दिया है। वैसे इन उम्मीदवारों ने अपनी आपत्तियां राजभवन से लेकर उच्च शिक्षा विभाग तक लगाई है। फिलहाल वहां से भी कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिल रहा है। उधर कुछ मामलों में उम्मीदवारों ने उच्च न्यायालय की शरण भी ली है।
विश्वविद्यालय ने प्रशासन ने 47 बैकलाग और 45 नियमित पदों पर भत्तियां जुलाई 2021 में निकाली थी। सालभर में बैकलाग और नियमित दोनों के लिए आवेदन आए। मगर स्क्रूटनी मई 2023 में शुरू हुई। साक्षात्कार जुलाई-अगस्त 2023 में किए जाए। लाइफ साइंस विभाग में बैकलाग पद पर एक ही उम्मीदवार आया था। विश्वविद्यालय ने यह बोलकर इंटरव्यू नहीं करवाए कि एक पद के लिए कम से कम तीन उम्मीदवार जरूरी है।
इसे लेकर शिक्षक ने कोर्ट में प्रकरण लगा दिया। दो महीने तक विश्वविद्यालय ने कोई जवाब नहीं दिया। इसके बाद शिक्षा अध्ययनशाला में रिक्त पदों पर नियुक्तियां की गई, लेकिन सबसे ज्यादा आपत्तियां यहीं से लगी है। विज्ञापन में जिस विषय में पीजी मांगा गया था। वह नहीं होने के बावजूद शिक्षक को नियुक्ति दी गई। यहां तक कि एक शिक्षक के पास पीएचडी नहीं थी। साथ ही अन्य शिक्षक का पीजी विषय मान्य नहीं होने के बावजूद विश्वविद्यालय ने नियुक्ति पत्र दिए है।
उधर विश्वविद्यालय में विभागाध्यक्ष रहे एक शिक्षक की पत्नी को अपात्र बताकर प्रक्रिया से बाहर कर दिया, जबकि सालों से वह बतौर शिक्षिका अपनी सेवाएं दे रही है। विश्वविद्यालय की इस हरकत के बाद उन्होंने राजभवन में शिकायत कर दी। ऐसा ही हाल पत्रकारिता विभाग में भी हुआ है।
एक पद पर 50 से ज्यादा आवेदन आए। नियुक्ति विश्वविद्यालय ने एक उम्मीदवार को दी, जिनकी पीएचडी खत्म हुए दो साल हुए थे। बल्कि पढ़ाने का अनुभव भी नहीं था। निजी विश्वविद्यालय में पत्रकारिता की शिक्षका ने इस विषय में उच्च शिक्षा विभाग में नियुक्तियों में गड़बड़ी का आरोप लगाया है।
कम्प्युटर साइंस में लिफाफे खुलना बाकी
दस विभाग की 30 पदों पर नियुक्तियां कर ली है। इन्हें नियुक्ति पत्र भी दिए गए है। अभी कम्प्युटर साइंस और लाइफ साइंस के इंटरव्यू हुए है। इनमें चयनित उम्मीदवारों के लिफाफे खुलना बाकी है। आठ से नौ पदों पर नियुक्तियां होगी। इन्हें मिलकर 38 पद पर शिक्षकों की भर्ती की गई है। विश्वविद्यालय ने अब दोबारा रिक्त पदों की भर्ती प्रक्रिया करेंगा। इसके लिए अगले महीने विज्ञापन निकाला जा सकता है।
कार्यपरिषद पर उठे सवाल
भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी को लेकर इतनी शिकायत हो चुकी है। मगर कार्यपरिषद ने कोई कदम नहीं उठाया है। यहां तक कि गड़बड़ियों की जांच करना भी उचित नहीं समझा है। कारण यह है कि कुछ सदस्यों की नियुक्ति में काफी रूचि है। इन भर्तियों में कुछ राजनीति दवाब होने के साथ ही कुछ राजनीति पृष्टभूमि से उम्मीदवार आए है। इसके चलते बाकी सदस्य भी भर्ती प्रक्रिया की तरफ ध्यान नहीं दे रहे है।
एक ही बार खुलना थे लिफाफे
विश्वविद्यालय की भर्ती प्रक्रिया पर काफी सवाल खड़े हुए है। जैसा कि 92 पदों के लिए एक विज्ञापन निकाला गया था। नियमानुसार सारे विभागों के साक्षात्कार होने के बाद उम्मीदवारों को एक साथ नियुक्ति पत्र देना चाहिए था। मगर ऐसा नहीं हो रहा है। विश्वविद्यालय ने नियमों का ताक पर रखकर टुकड़ों-टुकड़ों में नियुक्ति पत्र जारी किए है। पूरे मामले में विश्वविद्यालय के प्रत्येक व्यक्ति की सहमति है। यहां तक कि कुछ कार्यपरिषद सदस्यों ने भी दवाब में नियुक्तियां करवाई है। पूर्व कार्यपरिषद सदस्य डा. मंगल मिश्र का कहना है कि एक बार लिफाफे खोले जाना थे। ऐसा करने से सभी नियुक्तियों पर जांच के दायरे में आ सकती है।
दोबारा निकालेंगे विज्ञापन
30 पदों पर नियुक्तियां हो चुका है। शेष पदों के लिफाफे खुलना बाकी है। मिलकर 38-40 शिक्षक नियुक्त होंगे। विज्ञापन के शेष पदों पर आवेदन नहीं आए है। इन्हें दोबारा विज्ञापन निकालकर आवेदन मांगवाएंगे।
-अजय वर्मा, रजिस्ट्रार, डीएवीवी
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