संयुक्त राष्ट्र। इजरायल-हमास के बीच चल रहे घमासान युद्ध के बीच गाजा में मानवीय आधार पर संघर्ष विराम की कोशिशें भी तेज हो गई है। इसी कड़ी में जॉर्डन की ओर से संयुक्त राष्ट्र महासभा (UN Mahasabha) में संघर्ष विराम का प्रस्ताव पारित हो गया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में शुक्रवार को एक विशेष सत्र के दौरान इजरायल और हमास के बीच मानवीय संवेदनाओं के मद्देनजर संघर्ष विराम का आह्वान किया गया। इस प्रस्ताव में गाजा पट्टी तक सहायता पहुंचाने और स्थानीय लोगों की सुरक्षा की मांग की गई। सदन में यह प्रस्ताव के पक्ष में 120 वोट मिले और तालियों की गड़गड़ाहट के साथ यह प्रस्ताव पारित हो गया।
प्रस्ताव के विरोध में केवल 14 देश
संयुक्त राष्ट्र महासभा में पारित हो चुके इस प्रस्ताव के पक्ष में 120 वोट और विरोध में केवल 14 वोट पड़े। इसके अलावा भारत, कनाडा, जर्मनी और ब्रिटेन सहित करीब 45 देशों ने इस प्रस्ताव पर खुद को मतदान प्रक्रिया से अलग रखा। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ओर से बीत 2 सप्ताह में 4 बार कार्रवाई करने में असफल रहने के बाद महासभा ने मतदान किया। प्रस्ताव पारित करने के लिए दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता थी।
अरब देशों का प्रस्ताव बाध्यकारी नहीं
संयुक्त राष्ट्र महासभा में पारित हो चुके इस प्रस्ताव को इस कथन के साथ पारित किया गया कि अरब देशों की ओर से तैयार किया गया प्रस्ताव बाध्यकारी नहीं है, लेकिन यह राजनीतिक महत्व रखता है। गौरतलब है कि बीते 20 दिनों से इजरायल और हमास के बीच घमासान युद्ध चल रहा है। इसके साथ ही इजरायल ने हमास के हमले के जवाब में गाजा में जमीनी कार्रवाई तेज कर दी है।
इजरायल बोला, हमें अपनी रक्षा का अधिकार
संयुक्त राष्ट्र महासभा में पारित प्रस्ताव पर इजरायल के संयुक्त राष्ट्र राजदूत गिलाद एर्दान ने कहा कि हमें अपने देशी की रक्षा करने का अधिकार है और वह हमास के हमलों को सहता रहे, ऐसा बिल्कुल भी नहीं हो सकता है। एर्दान ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र अब कोई वैधता या प्रासंगिकता नहीं रखता। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा में जारी प्रस्ताव को हास्यास्पद बताया।
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