गिरोह बनाकर धान खरीदी केंद्र का कर रहे शिकार
“तथाकथित पत्रकार की हुई धान खरीदि केंद्र में धुनाई की खबर बानी चर्चा का विषय”
राष्ट्र चंडिका न्यूज़.सिवनी,सिवनी शहर में इन दिनों वरिष्ठ पत्रकारों को भी फर्जी पत्रकारों से भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल जिन पत्रकारों को पत्रकारिता का प भी पता नही है वे लोग हाथ में माइक लेकर अपने आप को बड़ा पत्रकार कहते हुए शहर में सरेआम बिना किसी रोक-टोक के घूम रहे हैं।
दरअसल मामला सिवनी तथाकथित पत्रकार के ऊपर लागू हो रहा है। ये लोग अपनी गाड़ियों पर बड़े-बड़े शब्दों में प्रेस लिखाकर इस शब्द का भी दुरुपयोग कर रहे हैं। सिवनी तथाकथित पत्रकार के द्वारा आए दिन सिवनी शहर में अपने आप को पत्रकार बता कर अवैध वसूली में मगन है। हम आपको बताना चाहेंगे कि फर्जी पत्रकार के द्वारा अपनी गाड़ियों पर प्रेस का नाम दुरुपयोग, करके अपनी वाहन पर प्रेस लिखवा कर चौड़े होकर पुलिस की नजरों से बचते फिरते हैं। देखा जाए तो जो रियल में पत्रकार है, फर्जी पत्रकारों की वजह से असली पत्रकार फेल होते जा रहे हैं, फर्जी पत्रकार कहे या उसे वसूली बाज पत्रकार कहे या भू माफिया जमीन बेचने वाला दलाल कहे, कहने का तात्पर्य है कि पत्रकारिता की आड़ में जमीन दलाल भी पत्रकार बनकर अपने आप को पत्रकारों की ग्रुप में शामिल होने से पीछे नहीं हट रहे है।
देखा जाए तो जिलों में इन दिनों फर्जी पत्रकार बनने और बनाने का गोरख धंधा तेजी से बढ़ता जा रहा है! सड़कों पर दिखने वाली हर चौथी गाड़ी में से एक गाड़ी में जरूर प्रेस लोगो दिखता नजर आ जाएगा। वैसे तो जिलों में काफी सारे संस्थाएं पत्रकार की संगठन बनाई गई है लेकिन आज तक उन संगठनों के द्वारा उन फर्जी पत्रकारों के ऊपर कभी भी एफ आर आई नहीं किया गया है।(बाल्की ऐसे संगठन और तो और इन तथाकथित पत्रकारों को अपने संगठन में जोड़कर) जिससे फर्जी पत्रकार का मानो बाढ़ आ चुकी है। दिसंबर महीने में धान खरीदी केंद्र में जाकर अपने आप को पत्रकार बताता है और धान केंद्रों में वसूली करने से पीछे नहीं हटते है। सिवनी में ऐसा भी है जो दिसंबर महीने का पूरे दिन का इंतिजार करता रहता है जैसी ही धान केंद्र खरीदी चालू होता है, भूखे पेट सुबह निकल कर धान केंद्रों में वसूली के लिए चले जाते है जो पत्रकारिता के स्तर को गिराने में पीछे नहीं हटती रही है।
ऐसे फर्जी पत्रकारों का एक ही काम होता है, लोगों से ठगी करने का, इनका काम केवल आम लोगों व प्रशासन में अपनी हनक बनाने का है, और समाचार पत्रों के सीनियर पत्रकारों कि तरह व्यवहार बनाकर सरकारी कर्मचारियों, प्राइवेट प्रतिष्ठानों के मालिकों व सीधी साधी आम जनता में प्रेस का रौब दिखाकर सिर्फ उनसे ठगी व उगाही कर मीडिया की छवि खराब और बदनाम करना होता है। तथाकथित पत्रकार के द्वारा जमीन दलाल कहे या फर्जी पत्रकार वैसे तो पत्रकार के नाम पर ना जाने कितने सारे असंगठित गतिविधियों को छुपे रुस्तम की तरह दिया जा रहा है। जिससे पुलिस प्रशासन अंधे बहरे गूंगे के समान उनके सामने नजर आ रही है। अब यहां बात उस पर निर्भर करती है कि उस पत्रकार को पुलिस प्रशासन किस नजर अंदाज से उसे अपने ग्रिप में लेती है। क्योंकि यह जानना जरूरी है कि प्रेस के आईडी कार्ड रजिस्टर्ड मीडिया के द्वारा ही दिए जाते हैं, प्रेस कार्ड जारी करने का अधिकार सिर्फ सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा मान्यता प्राप्त प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया संस्थानों को तथा सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग को होता है। पुलिस प्रशासन को ऐसे लोगों पर सख्त निगरानी रखनी चाहिए जो यूट्यूब न्यूज़ चैनल के नाम से आईडी कार्ड बनाकर इधर उधर घूमते नजर आ जाएंगे, इन पर पुलिस प्रशासन को वाहन चेकिंग के दौरान आईडी कार्ड प्रेस कार्ड और कथित संपादक से संपर्क कर वेरीफाई कर असली पत्रकार का योग करना चाहिए।
स्पष्ट तौर पर यह बात सम्मानीय पाठकों अधिकारियों कर्मचारियों जनता को पता होनी चाहिए कि जो अखबार का संपादक होता है वह अपनी मान मर्यादा और अपने अखबार की प्रतिष्ठा को दांव पर नहीं लगने.देता इसीलिए और ना ही उसके पास अखबार से इतनी फुर्सत मिलती है कि वह इन कुत्तों के झुंड की तरह धान खरीदी केंद्र में दो ₹200 के लिए अपने बच्चे के बीमार होने का बहाना बताएं एक 4000- की तनख्वाह पाने वाले प्रबंधक के सामने अपना घर बार छोड़कर पत्नी और बच्चे की बीवी तबीयत बिगड़ने की बात बोल बोल कर भीख मांगते फिरे अगर प्रबंधक इसी प्रकार की कोई ऊंची आवाज में बात कर ले यह रकम देने से इंकार कर दे तो यह अपना टिंटर पारा खोल कर बैठ जाते हैं और अपना मोबाइल निकाल कर वीडियो बनाने लगते हैं ऐसा लगता है मानो सेटेलाइट से डायरेक्ट कनेक्ट हो गए होंगे यह सब एक आम नागरिक डर जाता है और यह खौफ का धंधा चल पड़ता है गिरोह जाते हैं धान खरीदी केंद्रों में इन दिनों फर्जी पत्रकार धान खरीदी केंद्रों पर गिरोह बनाकर हमला बोल रहे हैं तरह- तरह से धान खरीदी केंद्रों में कार्यरत कर्मचारी और सोसाइटी होल्डर ओं को चमका कर पैसा वसूल कर रहे हैं उन्हें तरह-त्रह से चमका रहे हैं जबकि असल पत्रकार के पास इतना समय ही नहीं है कि वह इन धान खरीदी केंद्रों में जाए बजाय खबर निकालने के धन उगाही के काम में लगे ।
वहीं हमारे सूत्रों की माने तो कुछ ऐसे भी तथाकथित पत्रकार हैं जो अपने काले धंधे को छिपाने के लिए पत्रकारिता में आये हैं। हम उनके नाम तो प्रकाशित नहीं करेंगे लेकिन यह बता देना चाहते हैं कि पत्रकारिता को बदनाम करने वाले ऐसे तथाकथित पत्रकारों पर गाज गिरनी चाहिए। सिवनी से प्रकाशित होने वाले अखबार के पूरे साल भर के रिकार्ड ब आरएनआई की प्रतिलिपि अनुविभागीय अधिकारी को मांगनी चाहिए जिससे दूध का दूध और पानी का हो सके। वहीं दूसरे जिले के अखबारों व चैनलो की एजेंसी लेने पत्रकारों पर पैनी नजर रखते हुए उनसे अपाइनमेंट लेटर की भी जांच करनी चाहिए। यदि इस प्रकार की कार्यवाही शीघ्र ही नहीं की गई तो सिवनी जिले में और भी कई तथाकथित पत्रकार रोज पैदा होते रहेंगे जो प्रशासन के लिए चिंता का विषय है।
तथाकथित पत्रकार की हुई धान खरीदि केंद्र में धुनाई की खबर बानी चर्चा का विषय- सूत्र बताते हैं 28 दिसंबर दिन गुरुवर को एक खरीद केंद्र में दो तथाकथित पत्रकारों की हो गई खरीदि केंद्र में धुनाई की खबर शहर में चर्चा का विषय बना रहा. लोग एक दूसरे से फोन पर यहीं जानकारी ले रहे थे कि कौन तथाकथित पत्रकार है.इतना ही नहीं मजे की बात तो यह है अनेक धान खरीद केंद्र के प्रभारी भी एक दूसरे प्रभारी एवन अपने जान पहचान के वरिष्ठ पत्रकारों से इस विषय की जानकारी ले रहे हैंकौन से धान खरीद केंद्र में और कौन से तथाकथित पत्रकार की पिटाई हो गई।