उमरिया। बांधवगढ़ में एक साथ दो बाघों की मौत के बावजूद यह वन्य प्राणी प्रेमियों के लिए यह खुशखबरी है कि मरने वाला बाघ बजरंग नहीं था। बजरंग पूरी तरह से सुरक्षित है और अपने क्षेत्र में दिखाई भी दे रहा है। मरने वाली मादा बाघ की पहचान टी 40 महामन फिमेल के रूप में की गई है जबकि बाघ की पहचान टी 40 के रूप में हुई है। मरने वाले दोनों ही बाघों की पहचान सामने आने में भले ही लंबा समय लगा लेकिन इस पहचान के सामने आने के बाद उन सभी लोगों ने राहत की सांस ली है जिन्हें बजरंग से काफी लगाव है।
सबकी पसंद बजरंग
बांधवगढ़ के जंगल में बजरंग सबका चहेता बना हुआ है। पर्यटकों के सामने बड़े आराम से विचरण करना उसकी आदत में शामिल है। विशालकाय नर बाघ भीम टी 9 और दरहा बाघिन का बेटा है बजरंग जो वर्ष 2017 में पैदा हुआ था। बजरंग वर्तमान में लगभग 6 वर्ष की आयु का है। खितौली जोन में अपना दबदबा बनाने के बाद काफी दिन वह खितौली मागधी जोन दोनों में विचरण करता रहा। कई बार उसे अपने पिता भीम की तरह ताला रोड को क्रॉस करते देखा गया। वह फिर अपने पिता भीम की तरह ताला जोन में भी अपना एरिया बना चुका है और अभी बाँधवगढ़ का सबसे डोमिनेंट नर बाघ है। उसके पूरे एरिया में अभी 5 मादा बाघिन हैं।
महामन फिमेल का पूरा हुआ जीवन
मरने वाली मादा बाघ टी 40 महामन फिमेल अपने जीवन का लगभग समय पूरा कर चुकी थी। उसकी आयु लगभग 14 वर्ष के आसपास हो गई थी। संभवत: उम्र ज्यादा होने के कारण ही वह अपने शरीर पर आई चोटों को बर्दाश्त नहीं कर सकी और उसकी मौत हो गई। हालांकि अगर उसकी तलाश घटना के बाद तुरंत कर ली जाती और उसका उपचार हो जाता तो संभवत: उसे बचाया भी जा सकता था। महामन फिमेल मगधी क्षेत्र में ही विचरण करती थी और उसकी मौत भी ताला-मगधी के मध्य गोहड़ी बीट में हुई है। महामन फिमेल भी काफी विशाल और आकर्षक मादा बाघ थी जिसका फोटो लेने की इच्छा सभी पर्यटक रखते थे।
वयस्क ही हुआ था टी 86
मरने वाले बाघ की पहचान टी 86 के रूप में की गई है और बताया जा रहा है कि यह स्पॉटी का शावक था। अनुमान लगाया जा रहा है कि टी 86 स्पॉटी के पहले प्रसव का शवक रहा होगा। उसकी उम्र लगभग छह साल बताई जा रही है। छह साल उम्र यानी टी 86 पूरी तरह से व्यस्क हो चुका था और अपना क्षेत्र भी उसने बना लिया था। टी 86 की अपनी बादशाहत भी कायम हो चुकी थी लेकिन वह पहले बजरंग से भिड़कर घायल हो गया था और बाद में घायल अवस्था में ही उसका सामना महामन फिमेल से हो गया जिससे वह खुद को बचा नहीं सका।
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