e-Nose: फूड पॉइजनिंग पूरी दुनिया में एक गंभीर समस्या बनकर उभरी है। दुनिया भर में लाखों करोड़ों लोग फूड पायजनिंग के शिकार होकर फूड पायजनिंग से होने वाली बीमारियों से जूझ रहे हैं। इसके बाद भी कई हजार लोगों की जान तक चली जाती है। पूरी दुनिया में इजरायल अपने नई नई खोजों के लिये जाना जाता है। इजरायल ऐसा पहला देश था जिसने समुद्र के खारे पाने को पीने योग्य बनाया। हाल ही में इजयाल के बेन रियन विश्वविद्यालय ने एक ऐसी ई-नाक तैयार करने में सफलता प्राप्त की है जो यह बता सकेगी की जो खाना आप खाने जा रहे हैं वह खाना आपके लायक है भी या नहीं। जैसा हम सभी जानते हैं कि आजकल एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) तकनीक का उपयोग पूरी दुनिया छाया हुआ है। एआई तक का इस्तेमाल मानव जीवन के हर क्षेत्र में हर तरह के काम को सुपर स्टाइल से करने में किया जा रहा है। चाहे वह मीडिया का क्षेत्र हो, चाहे केलकुलेशन के आधार पर भविष्य का अनुमान लगाने का काम हो या कोई अन्य क्षेत्र एआई हर क्षेत्र में मानव द्वारा किया जा सकने वाला हर काम उच्च गति और उच्चतम स्तर पर करने में सफल साबित हो रहा है। ऐसे ही एआई तकनीक के इस्तेमाल से जो ‘ई-नोज’ इजरायल ने तैयार कि है वह कमाल के साथ अपने काम को अंजाम दे रही है।
खाने की गंध से पता चल जाएगा खाने की गुणवत्ता किस श्रेणी की है
हाई टेक सेंसर्स का उपयोग करके बनाई गई इस ‘ई-नोज’ के बारे में दावा किया जा रहा है कि यह ‘ई-नोज’ खाने की गंध लेकर जो रिपोर्ट तैयार करके देगी उससे यह पता चल जाएगा की खाने की गुणवत्ता किस श्रेणी की है और यह खाना आपके लिये खाने लायक है भी नहीं। इस ‘ई-नोज’ में इलेक्ट्रोड लगे हैं जो कार्बन नैनोपार्टिकल से लैस और जो बैक्टीरिया द्वारा अलग अलग तरह की छोड़ी जा रही गंध जिसे वीओसी (वोलेटाइटल ऑर्गेनिक कंपाउंड) कहा जाता है से गंध को पहचान कर विद्युत संकेतों में बदलकर एआई द्वारा तैयार साफ्टवेयर द्वारा रिकार्डिंग कर स्टोर किये गये डेटाबेस के द्वारा जांच-पड़ताल यह खाने की गुणवत्ता और उससे जुड़ी हर तरह जानकारी का पता लगाकर खाने के बारे सारी जानकारी उपलब्ध करा देगी। इस ‘ई-नोज’ से एक और बड़ा फायदा यह होगा कि यह खाद्य उद्योग में खाद्य संक्रमण के खिलाफ बेहतर तरीके से अपने काम का अंजाम दे सकेगी। हम जानते हैं कि ज्यादा खाद्य उत्पादकों अभी अपने खाद्य नमूनों को परीक्षा के लिये प्रयोगशालाओं में भेजना होता है और उनके परिणाम के लिये लंबे समय तक इंतजार करना होता है। ‘ई-नोज’ इस मामले एक घंटे से भी कम समय में परिणाम पेश कर देती है। आने वाले समय में इलेक्ट्रॉनिक नोज (नाक) के जरिये यह पता लगाया जा सकेगा कि खाना ताजा है या खराब हो चुका है। हाल ही में इस्राइल के बेन रियन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से लैस ‘ई-नोज’ डिवाइस तैयार की है। हाई-टेक सेंसर से बनी यह डिवाइस विशिष्ट गंध का पता लगाकर रिपोर्ट कर सकती है। दावा है कि इससे खाने की गुणवत्ता का पता लगाना आसान हो जाएगा।
कैसे काम करता है यह ‘ई-नोज’
ई-नोज में इलेक्ट्रोड लगे होते हैं, जो कार्बन के नैनोपार्टिकल से लेपित होते हैं। वे बैक्टीरिया द्वारा छोड़ी गई गंध या वोलेटाइल ऑर्गेनिक कंपाउंड (वीओसी) का पता लगा सकते हैं। अलग-अलग तरह के बैक्टीरिया से अलग-अलग तरह की गंध आती है, जो डिवाइस में एक अलग तरह के विद्युत संकेत देती है। इसके बाद इस गंध को डिवाइस के एआई सॉफ्टवेयर सिस्टम द्वारा रिकॉर्ड किया जाता है, जो इसे अपने डेटाबेस के जरिये जांचता है और यूजर्स को खाद्य पदार्थ की गुणवत्ता से जुड़ी हर तरह की जानकारी उपलब्ध कराता है। ई-नोज में विभिन्न प्रकार के रिसेप्टर्स लगाए गए हैं, जो गंधों का पता लगाने का काम करते हैं। उम्मीद है कि यह डिवाइस खाद्य उद्योग में खाद्य संक्रमण के खिलाफ लड़ाई को बदल सकती है। ध्यान रहे कि ज्यादातर मामलों में खाद्य उत्पादकों को वर्तमान में नमूनों को परीक्षण के लिए प्रयोगशाला में भेजना पड़ता है और फिर परिणाम आने के लिए कई दिनों तक इंतजार करना पड़ता है। ई-नोज का उपयोग खाद्य कंपनियां स्वयं साइट पर कर सकती हैं और कहा जाता है। कि यह एक घंटे से भी कम समय में अपना परिणाम देती है।
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.