इंदौर। मध्य प्रदेश में सरकार के गठन के बाद विधायकों के शपथ ग्रहण का दौर जारी है। जिन्हें शपथ दिलाने की जिम्मेदारी गोपाल भार्गव को सौंपते हुए उन्हें प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया गया है। विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव होने तक गोपाल भार्गव प्रोटेम स्पीकर बने रहेंगे।
बता दे कि भाजपा की विधायक दल की बैठक के बाद विधानसभा अध्यक्ष के तौर पर नरेंद्र सिंह तोमर का नाम तय किया गया है। जिसके बाद उन्होंने इसके लिए नामांकन भी जमा कर दिया है। अब 20 दिसंबर को विधानसभा अध्यक्ष पद के चयन की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। वहीं नरेंद्र सिंह तोमर को कांग्रेस का साथ भी मिला है, ऐसे में वे अब निर्विरोध विधानसभा अध्यक्ष चुने जाएंगे।
कौन होता है प्रोटेम स्पीकर?
चुनाव खत्म होने के बाद अस्थाई तौर पर सदन के संचालन के लिए स्पीकर की नियुक्ति की जाती है, जिसे प्रोटेम स्पीकर कहा जाता है। प्रोटेम स्पीकर स्थाई विधानसभा अध्यक्ष की नियुक्ति तक इस पद पर बने रहते हैं।
संविधान में कहां है उल्लेख
संविधान के अनुच्छेद 180(1) में प्रोटेम स्पीकर के पद का उल्लेख किया गया है। जिसमें कहा गया है कि विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद रिक्त होने तक प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति की जाती है। यह नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है।
क्या है नियुक्ति के नियम
प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति के लिए कोई संवैधानिक नियम तो नहीं बनाए गए हैं, लेकिन परंपरागत तौर पर सदन के सबसे वरिष्ठ सदस्य को यह जिम्मेदारी दी जाती है। यहां वरिष्ठता का अर्थ सदन की सदस्यता से है, न कि उम्र से।
गोपाल भार्गव ही क्यों बने प्रोटेम स्पीकर?
गोपाल भार्गव सदन में सबसे वरिष्ठ विधायक है। उन्होंने लगातार 9 बार चुनाव जीतने का रिकार्ड बनाया है। भार्गव 38 सालों से विधायक है। ऐसे में उनकी वरिष्ठता को देखते हुए उन्हें प्रोटेम स्पीकर बनाया गया है।
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